आनुवांशिकता और जैव विकास

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अध्याय 8: अनुवांशिकता और जैव विकास

जीवन के विविध रंगों और रूपों के पीछे एक अद्भुत प्रक्रिया काम करती है – अनुवांशिकता (Heredity) और
जैव विकास (Evolution)। जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव तक, हमारे शरीर की विशेषताएँ
डी.एन.ए. नामक नींव पर बनी होती हैं, और वक्त के साथ प्रजातियाँ नई चुनौतियों के हिसाब से खुद को ढालती हैं।
इस अध्याय में हम सीखेंगे:

जानें:
प्रत्येक कोशिका के केंद्रक में स्थित क्रोमोसोम में सहेजे जीन ही हमें हमारे माता-पिता से जुड़े गुण देते हैं।

वंशानुक्रम (Heredity)

वंशानुक्रम वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा माता-पिता अपने लक्षण संतानों को प्रदान करते हैं।
यह सिलसिला चलता है जीन (Genes) और डी.एन.ए. (DNA) के माध्यम से।

पद परिभाषा
जीन DNA का विशेष खंड जो एक लक्षण नियंत्रित करता है।
क्रोमोसोम केंद्रक में स्थित संरचनाएँ, जो जीन को पैकैज्ड रखती हैं।
DNA आनुवांशिक जानकारी का भंडार, जो हर पीढ़ी तक गुण ले जाता है।

मेंडल के प्रयोग

ग्रेगर मेंडल ने मटर के पौधों पर अपने प्रसिद्ध प्रयोग में दिखाया कि कैसे प्रमुख
(Dominant) और अप्रमुख (Recessive) लक्षण संतति में प्रकट होते हैं।

उदाहरण: मटर में लंबा (T) प्रमुख लक्षण होता है और बौना (t) अप्रमुख।

जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचयन

जब जीव जनन करते हैं, तो उनके आनुवंशिक पदार्थ (DNA) की प्रतिकृति बनती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह सटीक नहीं होती और छोटी-मोटी त्रुटियाँ हो सकती हैं। यही त्रुटियाँ विभिन्नता (variation) का कारण बनती हैं।

यदि जनन लैंगिक (Sexual) तरीके से होता है, तो दो अलग-अलग माता-पिता के DNA मिलते हैं, जिससे अधिक विविधताएँ उत्पन्न होती हैं। जबकि अलैंगिक जनन में केवल एक जीव शामिल होता है, इसलिए विविधता सीमित होती है और केवल DNA प्रतिकृति की त्रुटियों पर निर्भर होती है।

तथ्य:
विभिन्नताएँ जीवों को अपने वातावरण के अनुसार खुद को ढालने में सहायता करती हैं, और यही जैव विकास (Evolution) की नींव है।
जनन का प्रकार विविधता की संभावना कारण
अलैंगिक जनन कम केवल DNA प्रतिकृति में त्रुटियाँ
लैंगिक जनन अधिक दो माता-पिता के DNA का संयोजन

1. यदि एक ‘लक्षण – A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10% सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण – B’ उसी समष्टि में 60% जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?

अलैंगिक जनन में संतति माता-पिता की बिल्कुल समान प्रतिलिपि होती है, जिससे नई लक्षणों का प्रसार धीरे-धीरे होता है। यदि किसी लक्षण वाले जीवों की संख्या अधिक है, तो इसका अर्थ है कि वह लक्षण पहले उत्पन्न हुआ और अधिक समय से संततियों में स्थानांतरित होता आ रहा है

निष्कर्ष:
लक्षण-B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि वह 60% जीवों में पाया जाता है जबकि लक्षण-A केवल 10% में।

2. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?

विभिन्नताएँ एक प्रजाति के अंदर आनुवंशिक विविधता लाती हैं। यह विविधता तब काम आती है जब वातावरण में बदलाव होते हैं। जो जीव उस वातावरण के अनुकूल होते हैं, वे जीवित रहते हैं और अगली पीढ़ी को जन्म देते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर किसी क्षेत्र में तापमान अचानक बढ़ जाए, तो जिन जीवों में उच्च तापमान सहन करने की क्षमता है, वे जीवित रहेंगे और बाकी खत्म हो सकते हैं। इस प्रकार, विविधता स्पीशीज को लचीला और टिकाऊ बनाती है

निष्कर्ष:
विभिन्नताओं के कारण स्पीशीज पर्यावरणीय परिवर्तनों के अनुरूप खुद को ढाल सकती हैं, जिससे उनका अस्तित्व लंबे समय तक बना रहता है।

आनुवांशिकता और जैव विकास

वंशगत लक्षण (Inherited Traits)

किसी जीव के वे लक्षण जो उसे अपने माता-पिता से मिलते हैं, उन्हें वंशागत लक्षण या Inherited Traits कहते हैं। ये लक्षण जीन (Genes) के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुँचते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति में एक लक्षण के लिए दो जीन होते हैं – एक माँ से और एक पिता से। यह जोड़ी यह तय करती है कि कौन-सा लक्षण बच्चे में प्रकट होगा। यदि एक जीन प्रमुख (Dominant) है और दूसरा अप्रमुख (Recessive), तो प्रमुख लक्षण ही दिखेगा।

तथ्य:
हमारी आंखों का रंग, बालों की बनावट, कद आदि वंशागत लक्षणों के उदाहरण हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

विशेषता विवरण
वंशागत लक्षण माता-पिता से संतति को प्राप्त लक्षण
प्रमुख लक्षण ऐसा जीन जो हमेशा प्रकट होता है (जैसे – T = लंबा पौधा)
अप्रमुख लक्षण ऐसा जीन जो केवल तब प्रकट होता है जब दोनों जीन अप्रमुख हों (जैसे – t = बौना पौधा)

लक्षणों की वंशगति के नियमों में मेंडल का योगदान

वंशानुक्रम के क्षेत्र में ग्रेगर जोहान मेंडल का योगदान क्रांतिकारी था। उन्होंने मटर के पौधों पर प्रयोग करके यह स्पष्ट किया कि लक्षण किस प्रकार माता-पिता से संतति को प्राप्त होते हैं। उनके कार्यों के आधार पर वंशगति के दो प्रमुख नियम स्थापित हुए:

  1. विभाजन का नियम (Law of Segregation) – यह नियम बताता है कि लक्षणों के लिए उत्तरदायी दो जीन (alleles) अलग-अलग होकर संतति में जाते हैं।
  2. स्वतंत्र संचलन का नियम (Law of Independent Assortment) – यह नियम बताता है कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से संतति में आते हैं।
तथ्य:
मेंडल को उनके कार्यों के लिए “आनुवंशिकी का जनक (Father of Genetics)” कहा जाता है। उनके प्रयोग 1865 में प्रकाशित हुए थे, लेकिन उन्हें 1900 में वैज्ञानिकों ने मान्यता दी।

मटर के पौधों का चयन क्यों?

मेंडल ने Pisum sativum (मटर का पौधा) का चयन किया क्योंकि उसमें विपरीत लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते थे, जैसे – लंबा/बौना, हरे/पीले बीज, चिकने/झुर्रीदार बीज आदि। इसके अलावा इसका जीवनचक्र छोटा था और यह स्व-परागण करता था।

लक्षण प्रमुख लक्षण अप्रमुख लक्षण
तना की लंबाई लंबा बौना
बीज का रंग पीला हरा
बीज की सतह चिकना झुर्रीदार

ग्रेगर जॉन मेंडल का जीवन और योगदान

ग्रेगर जोहान मेंडल (Gregor Johann Mendel) एक ऑस्ट्रियाई भिक्षु एवं वैज्ञानिक थे, जिन्हें आधुनिक आनुवंशिकी का जनक (Father of Modern Genetics) कहा जाता है। उन्होंने 19वीं शताब्दी में मटर के पौधों पर प्रयोग करके यह सिद्ध किया कि लक्षण किस प्रकार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:
ग्रेगर मेंडल का कार्य 1865 में प्रकाशित हुआ, लेकिन 1900 के आसपास वैज्ञानिकों द्वारा मान्यता प्राप्त हुई।

मेंडल का संक्षिप्त जीवन परिचय

विवरण जानकारी
पूरा नाम ग्रेगर जोहान मेंडल (Gregor Johann Mendel)
जन्म 20 जुलाई 1822, ऑस्ट्रिया (अब चेक गणराज्य में)
मृत्यु 6 जनवरी 1884
कार्य स्थल सेंट थॉमस मठ, ब्रनो
प्रमुख कार्य वंशानुक्रम के नियम (Inheritance Laws), मटर के पौधों पर प्रयोग

मेंडल का वैज्ञानिक कार्य

मेंडल ने Pisum sativum (मटर के पौधे) पर सात अलग-अलग विपरीत लक्षणों का चयन किया और सैकड़ों पौधों पर क्रॉस-ब्रीडिंग प्रयोग किए। उन्होंने अपनी गणनाओं के आधार पर दो नियम प्रतिपादित किए:

  • विभाजन का नियम (Law of Segregation)
  • स्वतंत्र संयोजन का नियम (Law of Independent Assortment)
क्या आप जानते हैं?
मेंडल के प्रयोगों को उनके जीवनकाल में उतनी मान्यता नहीं मिली, लेकिन बाद में यही कार्य आधुनिक जेनेटिक्स की नींव बना।

स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)

यह नियम ग्रेगर मेंडल द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इसके अनुसार, जब दो या अधिक लक्षणों की वंशगति होती है, तो एक लक्षण का दूसरे लक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। प्रत्येक लक्षण स्वतंत्र रूप से संतति में विभाजित होता है।

उदाहरण के लिए, अगर एक पौधे में बीज का रंग (पीला या हरा) और बीज की सतह (चिकनी या झुर्रीदार) जैसे दो लक्षण हैं, तो ये दोनों लक्षण अगली पीढ़ी में स्वतंत्र रूप से संयोजित हो सकते हैं।

जनक संयोजन (Parents) संभावित गमेट्स F1 पीढ़ी संयोजन
YYRR × yyrr YR और yr YyRr (सभी पीले और चिकने बीज)

F2 पीढ़ी में सम्भावित संयोजन

बीज का रंग बीज की सतह फेनोटाइप संभाव्यता अनुपात
पीला चिकना Yellow Round 9
पीला झुर्रीदार Yellow Wrinkled 3
हरा चिकना Green Round 3
हरा झुर्रीदार Green Wrinkled 1
कुल अनुपात 9 : 3 : 3 : 1
निष्कर्ष:
स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम से पता चलता है कि एक लक्षण के लिए होने वाला संयोजन दूसरे लक्षण को प्रभावित नहीं करता। इससे संतति में नई-नई विशेषताएँ उत्पन्न होती हैं।

Dihybrid Cross Table (Punnett Square)

मेंडल ने दो लक्षणों के लिए क्रॉस किया: बीज का रंग (पीला – Y, हरा – y) और बीज की सतह (चिकना – R, झुर्रीदार – r)। जब YyRr × YyRr का क्रॉस किया गया, तो 16 संयोजनों का Punnett Square प्राप्त हुआ।

Gametes ↓
× →
YR Yr yR yr
YR YYRR YYRr YyRR YyRr
Yr YYRr YYrr YyRr Yyrr
yR YyRR YyRr yyRR yyRr
yr YyRr Yyrr yyRr yyrr

Phenotypic Ratio:

9 Yellow Round : 3 Yellow Wrinkled : 3 Green Round : 1 Green Wrinkled

महत्वपूर्ण:
यह क्रॉस स्वतंत्र अपव्यूहन का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें दो लक्षणों का एक-दूसरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

लक्षण अपने-आपको किस प्रकार व्यक्त करते हैं?

प्रत्येक लक्षण जीन (Gene) द्वारा नियंत्रित होता है। हर जीन के दो वैकल्पिक रूप होते हैं जिन्हें एलील (Alleles) कहते हैं। व्यक्ति को एक एलील पिता से और एक माँ से प्राप्त होता है। ये एलील्स मिलकर यह तय करते हैं कि लक्षण प्रकट (express) कैसे होंगे।

जब दोनों एलील अलग-अलग होते हैं (जैसे – Tt), तब दो स्थितियाँ हो सकती हैं:

  • Dominant allele (प्रमुख एलील): यह हमेशा लक्षण को प्रकट करता है।
  • Recessive allele (अप्रमुख एलील): यह तभी प्रकट होता है जब दोनों एलील वही हों।
महत्वपूर्ण:
यदि जीन का एक dominant और एक recessive संस्करण हो, तो dominant वाला लक्षण ही दिखाई देगा।

उदाहरण: तना की लंबाई

जीन संयोजन प्रकट लक्षण कारण
TT लंबा पौधा दोनों dominant allele
Tt लंबा पौधा एक dominant, एक recessive – लेकिन dominant प्रकट होता है
tt बौना पौधा दोनों recessive allele – अब recessive प्रकट हो पाता है

निष्कर्ष:

लक्षण तब ही दिखाई देते हैं जब संबंधित जीन सक्रिय रूप से अभिव्यक्त होते हैं। यदि कोई जीन dominant है तो वह recessive को दबा देता है और खुद प्रकट होता है। यह नियम वंशानुक्रम की बहुत-सी स्थितियों में लागू होता है।

लिंग निर्धारण (Sex Determination in Humans)

मानव में यह तय करना कि बच्चा लड़का (Male) होगा या लड़की (Female), जीन के विशेष समूह यानी लिंग गुणसूत्रों (Sex Chromosomes) पर निर्भर करता है। मनुष्यों में कुल 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 1 जोड़ी लिंग निर्धारण करती है

तथ्य:
स्त्रियों में XX लिंग गुणसूत्र होते हैं, जबकि पुरुषों में XY लिंग गुणसूत्र होते हैं।

कैसे होता है लिंग निर्धारण?

मानव में युग्मनज (Zygote) के निर्माण के समय, माँ से X गुणसूत्र और पिता से X या Y गुणसूत्र आता है:

आनुवांशिकता और जैव विकास

माँ (Egg) पिता (Sperm) बच्चे का लिंग
X X XX = लड़की
X Y XY = लड़का

निष्कर्ष:

चूंकि पिता का शुक्राणु X या Y कोई भी दे सकता है, इसलिए शिशु के लिंग निर्धारण के लिए केवल पिता उत्तरदायी होता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है जिसे समाज में सभी को समझना चाहिए।

सामाजिक सन्देश:
किसी महिला को लड़के या लड़की को जन्म देने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। यह पूरी तरह से जैविक प्रक्रिया है जिसमें महिला की कोई भूमिका नहीं होती।

मानव में लिंग निर्धारण का क्रॉस (Punnett Square for Sex Determination)

लिंग निर्धारण यह दर्शाता है कि शिशु लड़का होगा या लड़की, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पिता द्वारा कौन-सा लिंग गुणसूत्र प्रदान किया गया — X या Y।

Punnett Square (क्रॉस तालिका)

गमेट्स ↓
× →
X (पिता) Y (पिता)
X (माता) XX (लड़की) XY (लड़का)
संभावना: 50% लड़का : 50% लड़की

आम भ्रांतियाँ और महत्वपूर्ण तथ्य

  • 1. शिशु के लिंग निर्धारण के लिए केवल पिता उत्तरदायी होता है।
  • 2. पुरुषों में X और Y दोनों लिंग गुणसूत्र होते हैं, जबकि महिलाओं में केवल X और X।
  • 3. यदि पुरुष से X गुणसूत्र प्राप्त होता है → लड़की (XX)
  • 4. यदि पुरुष से Y गुणसूत्र प्राप्त होता है → लड़का (XY)
  • 5. महिला कभी Y गुणसूत्र नहीं दे सकती, इसलिए वह शिशु के लिंग को नियंत्रित नहीं करती।
सामाजिक संदेश:
लिंग चयन के आधार पर किसी महिला को दोष देना वैज्ञानिक रूप से गलत और नैतिक रूप से अनुचित है। हमें विज्ञान को समझकर सामाजिक भेदभाव को खत्म करना चाहिए।

 

मानव में रक्त समूह (Human Blood Groups)

मनुष्यों में रक्त समूह का निर्धारण ABO प्रणाली और Rh फैक्टर के आधार पर होता है। यह एक वंशानुगत लक्षण है जो माता-पिता से संतानों में स्थानांतरित होता है।

तथ्य:
रक्त समूह का निर्धारण लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की सतह पर पाए जाने वाले एंटीजन (Antigens) और प्लाज्मा में उपस्थित एंटीबॉडी (Antibodies) पर निर्भर करता है।

ABO रक्त समूह प्रणाली

रक्त समूह RBC पर उपस्थित एंटीजन प्लाज्मा में एंटीबॉडी किसे रक्त दे सकता है किससे रक्त ले सकता है
A A Anti-B A, AB A, O
B B Anti-A B, AB B, O
AB A and B None AB only A, B, AB, O (Universal recipient)
O None Anti-A and Anti-B A, B, AB, O (Universal donor) O only

Rh फैक्टर क्या है?

Rh एक और प्रकार का एंटीजन है जो RBCs की सतह पर पाया जाता है। अगर यह मौजूद है, तो व्यक्ति Rh+ (पॉजिटिव) होता है, और अगर नहीं है तो Rh− (नेगेटिव)

महत्वपूर्ण:
यदि Rh− महिला और Rh+ पुरुष का संतान Rh+ होता है, तो अगली गर्भावस्था में जटिलताएँ हो सकती हैं, इसलिए विशेष चिकित्सा सलाह आवश्यक है।

निष्कर्ष:

रक्त समूह का सही ज्ञान रक्तदान, ऑपरेशन और अंग प्रत्यारोपण जैसी चिकित्सा स्थितियों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आनुवंशिक नियमों का सुंदर उदाहरण भी है।

रक्त समूहों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण

रक्त समूहों का वंशानुगत स्थानांतरण एक आनुवंशिक प्रक्रिया है, जो माता-पिता के जीन (alleles) पर आधारित होती है। यह ABO और Rh रक्त समूह प्रणाली के अनुसार होता है।

ABO जीन संयोजन (Genotype vs Phenotype)

ABO प्रणाली में तीन प्रकार के एलील होते हैं – IA, IB और i। इनमें से IA और IB dominant होते हैं जबकि i recessive होता है। इन एलील्स के विभिन्न संयोजन से व्यक्ति का रक्त समूह तय होता है।

Genotype (जीन संयोजन) Phenotype (रक्त समूह)
IAIA या IAi A
IBIB या IBi B
IAIB AB
ii O

Punnett Square द्वारा उत्तराधिकार

मान लीजिए माता का रक्त समूह A (IAi) है और पिता का समूह B (IBi) है:

गमेट्स ↓
× →
IB i
IA IAIB (AB) IAi (A)
i IBi (B) ii (O)

Possible Blood Groups in Children: A, B, AB, O

महत्वपूर्ण:
रक्त समूह का उत्तराधिकार माता-पिता के जीन संयोजन पर निर्भर करता है। यह संभव है कि AB और O वाले सभी समूह संतान में आएँ – यदि माता-पिता उपयुक्त heterozygous genotype रखते हों।

Rh फैक्टर का वंशानुगत स्थानांतरण

Rh फैक्टर भी एक जीन द्वारा नियंत्रित होता है – Rh+ (dominant) और Rh− (recessive)। यदि माता-पिता में से कोई एक Rh+ होता है (heterozygous), तो संतान Rh+ या Rh− दोनों हो सकते हैं।

निष्कर्ष:
रक्त समूह एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में वैज्ञानिक रूप से स्थानांतरित होता है, जिसमें ABO और Rh प्रणाली की विशेष भूमिका होती है। यह प्रक्रिया Mendel के वंशानुक्रम के सिद्धांतों पर आधारित है।

1. मेंडल के प्रयोगों से प्रभावी और अप्रभावी लक्षण का पता कैसे चला?

मेंडल ने मटर के पौधों पर प्रयोग करते हुए पाया कि जब उन्होंने लंबे (TT) और बौने (tt) पौधों को संकरण किया, तो F₁ पीढ़ी में सभी पौधे लंबे (Tt) आए। इसका अर्थ है कि लंबा लक्षण प्रभावी (dominant) है और बौना लक्षण अप्रभावी (recessive)।

जब F₁ को आपस में संकरण किया गया तो F₂ में 3:1 अनुपात में लंबे और बौने पौधे प्राप्त हुए — इससे यह सिद्ध हुआ कि एक लक्षण छिपा होता है और दूसरा प्रकट।

निष्कर्ष: जो लक्षण F₁ में प्रकट हुआ – उसे प्रभावी (Dominant) कहा गया और जो छिप गया – उसे अप्रभावी (Recessive)।

2. मेंडल से यह कैसे सिद्ध हुआ कि लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?

मेंडल ने डाइहाइब्रिड क्रॉस किया जिसमें दो लक्षणों को एक साथ देखा – बीज का रंग (पीला/हरा) और आकार (गोल/चकतीदार)।
जब उन्होंने YYRR × yyrr क्रॉस किया, तो F₁ में सभी YyRr (पीले-गोल) आए।
F₁ को आपस में संकरण करने पर F₂ में 9:3:3:1 अनुपात में चार प्रकार के संयोजन मिले।

निष्कर्ष: यह दर्शाता है कि दोनों लक्षण (रंग और आकार) एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इसे स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment) कहते हैं।

3. रक्त समूह से प्रभावी लक्षण कैसे पहचाने?

पिता का रक्त समूह A है (संभावित जीनोटाइप IAi), और माता का समूह O है (जीनोटाइप ii)। यदि पुत्री का रक्त समूह O है, तो वह ii होगी — जिससे यह साबित होता है कि पिता ने ‘i’ एलील दिया होगा।

इसका अर्थ है कि ‘A’ एलील (IA) प्रभावी है और ‘O’ एलील (i) अप्रभावी है, क्योंकि पिता में A होते हुए भी पुत्री में O आ गया।

निष्कर्ष: ‘A’ एलील प्रभावी है (IA), और ‘O’ एलील (i) तभी प्रकट होता है जब दोनों i हों — इसलिए ‘O’ एलील अप्रभावी है।

4. मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?

मानव में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से एक जोड़ी लिंग गुणसूत्र  कहलाती है:
• स्त्री = XX
• पुरुष = XY

माँ हमेशा X गुणसूत्र देती है। पिता X या Y कोई भी दे सकता है। यदि पिता से Y और माँ से X मिले तो बच्चा XY = लड़का होगा। यदि पिता से X और माँ से X मिले तो XX = लड़की होगी।

निष्कर्ष: लिंग निर्धारण पिता के दिए हुए गुणसूत्र पर निर्भर  करता है। इसलिए यह निर्णय **माता के हाथ में नहीं होता**।
सामाजिक संदेश: किसी महिला को लड़का या लड़की होने के लिए जिम्मेदार ठहराना वैज्ञानिक रूप से गलत और अनुचित है।

जैव विकास (Evolution)

जैव विकास (Biological Evolution) का तात्पर्य उन जैविक परिवर्तनों से है जो समय के साथ जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी होते हैं, जिससे नए प्रजातियों (species) का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों में धीरे-धीरे होती है और इसे प्रमाणित करने के लिए कई वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध हैं।

परिभाषा: जैव विकास वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के जीवों का उद्भव तथा विकास समय के साथ हुआ है।

जैव विकास के साक्ष्य (Evidence of Evolution)

साक्ष्य का प्रकार विवरण
1. जीवाश्म (Fossils) पुराने जीवों के अवशेष, जिनसे उनके समय व संरचना की जानकारी मिलती है
2. समरूप अंग (Homologous Organs) संरचना समान लेकिन कार्य भिन्न – जैसे मानव, पक्षी और व्हेल का अगला अंग
3. विवक्षित अंग (Vestigial Organs) ऐसे अंग जो अब कार्य नहीं करते – जैसे मानव में अपेंडिक्स
4. भ्रूणीय समानता विकास की प्रारंभिक अवस्था में अलग-अलग जीवों के भ्रूणों में समानता

डार्विन का प्राकृतिक वरण सिद्धांत

चार्ल्स डार्विन ने ‘Natural Selection’ का सिद्धांत दिया, जिसके अनुसार:

  • सभी जीवों में विभिन्नता होती है।
  • संघर्ष में वही जीव बचते हैं जिनमें अनुकूल लक्षण होते हैं।
  • ये अनुकूल लक्षण अगली पीढ़ी को स्थानांतरित होते हैं।
  • धीरे-धीरे यह लक्षण आम हो जाते हैं और नई प्रजाति बन सकती है।
उदाहरण: जिराफ की लंबी गर्दन – जो ऊँचे पेड़ों की पत्तियाँ खाने में मदद करती है, यह प्राकृतिक वरण का परिणाम है।

मानव विकास (Human Evolution)

मानव का विकास भी एक क्रमिक प्रक्रिया है। वैज्ञानिकों ने जीवाश्म, DNA और उपकरणों की सहायता से यह जानने की कोशिश की है कि आधुनिक मानव का विकास कैसे हुआ।

प्रजाति मुख्य विशेषताएँ
Australopithecus सबसे प्राचीन मानव जैसे जीव, दो पैरों पर चलते थे
Homo habilis औजार बनाने की क्षमता
Homo erectus सीधे चलने वाले, आग का प्रयोग
Homo sapiens आधुनिक मानव, भाषा व संस्कृति का विकास

कुछ प्रमुख तथ्य (Important Facts)

  • जीवों में जटिलता धीरे-धीरे बढ़ी है।
  • DNA में परिवर्तन (mutation) विकास का एक मुख्य कारण है।
  • जीवाश्म कालक्रम विकास की दिशा को दर्शाते हैं।
  • जैव विविधता विकास का परिणाम है।
निष्कर्ष: जैव विकास यह बताता है कि कैसे वर्तमान में पाए जाने वाले जीव, उनके पूर्वजों से धीरे-धीरे विकसित हुए हैं और कैसे विविधता जीवों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।

आपने क्या सीखा (Summary with Explanation)

इस अध्याय में आपने अनुवांशिकता के सिद्धांतों और उनके जैव विकास से संबंध को समझा। यहाँ प्रमुख बिंदुओं को विस्तार से समझाया गया है:

1. जनन के समय उत्पन्न विभिन्नताएँ वंशानुगत हो सकती हैं

जब जनन (reproduction) होता है, तब नई संतति में जीन का पुनर्संयोजन होता है। इससे कुछ नई विशेषताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यदि ये विभिन्नताएँ जीन में होती हैं, तो वे संतति में स्थानांतरित हो सकती हैं — इन्हें वंशानुगत विभिन्नताएँ कहते हैं।

2. विभिन्नताएँ जीव की उत्तरजीविता में सहायक होती हैं

सभी विभिन्नताएँ लाभदायक नहीं होतीं, लेकिन कुछ विभिन्नताएँ वातावरण के अनुकूल होने पर जीव को जीवित रहने में मदद करती हैं। इस प्रकार, प्राकृतिक वरण (natural selection) के द्वारा ऐसी संतति जीवित रहती हैं और प्रजाति का अस्तित्व बनाए रखती हैं।

उदाहरण: यदि किसी जीव में त्वचा का रंग वातावरण के अनुकूल बदल गया हो, तो वह जीव शिकारियों से बच सकता है।

3. प्रभावी और अप्रभावी लक्षण क्या होते हैं?

लैंगिक जनन वाले जीवों में किसी लक्षण (trait) के दो जीन (copies) होते हैं – एक माता से और एक पिता से। यदि दोनों प्रतिरूप भिन्न हों, तो जो लक्षण व्यक्त होता है वह प्रभावी (Dominant) कहलाता है, और जो छिपा रहता है वह अप्रभावी (Recessive) कहलाता है।

उदाहरण: लंबे पौधे का लक्षण (T) प्रभावी है और बौने पौधे का (t) अप्रभावी। TT या Tt पौधे लंबे होंगे, पर केवल tt पौधा ही बौना होगा।

4. विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं

मेंडल के डाइहाइब्रिड प्रयोग से यह सिद्ध हुआ कि एक जीव के अलग-अलग लक्षण (जैसे बीज का रंग और आकार) एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से अगली पीढ़ी में जाते हैं। इससे संतति में नए जीन संयोजन उत्पन्न होते हैं।

5. मानव में लिंग निर्धारण का तंत्र

मनुष्यों में संतान का लिंग इस बात पर निर्भर करता है कि पिता से X गुणसूत्र आता है या Y:

माता से पिता से संतान का लिंग
X X XX = लड़की
X Y XY = लड़का
निष्कर्ष: चूंकि पिता X या Y कोई भी गुणसूत्र दे सकता है, इसलिए संतान का लिंग पिता पर निर्भर करता है, माता पर नहीं। यह एक सामाजिक जागरूकता का विषय भी है।

अभ्यास प्रश्नोत्तर (Exercise Questions with Answers)

1. मेंडल के एक प्रयोग में लंबे बैंगनी पुष्पों वाले मटर के पौधों का बौने सफेद पुष्पों वाले पौधों से संकरण किया गया। संतति के सभी पुष्प बैंगनी रंग के थे, परंतु आधे पौधे बौने थे। इससे जनक पौधे की आनुवंशिक रचना क्या थी?

उत्तर: (c) TtWW

स्पष्टीकरण: संतति के सभी पौधों के पुष्प बैंगनी थे – इसका अर्थ है कि बैंगनी रंग के लिए जनक पौधा WW (प्रभावी) था।
लेकिन बौने पौधे भी उत्पन्न हुए, इसका अर्थ है ऊँचाई के लिए जनक पौधा Tt था (heterozygous)।
इसलिए सही आनुवंशिक रचना TtWW है।

2. हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के माता-पिता की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। क्या यह लक्षण प्रभावी है या अप्रभावी? उत्तर सहित स्पष्टीकरण दें।

उत्तर: हल्के रंग की आँखों का लक्षण अप्रभावी (Recessive) है।

स्पष्टीकरण: यदि बच्चों की आँखों का रंग हल्का है और माता-पिता की भी हल्की आँखें हैं, तो इसका अर्थ है कि दोनों ने यह लक्षण एक जैसे ‘recessive’ एलील के द्वारा दिया।
अगर यह लक्षण प्रभावी होता, तो यह किसी भी ‘dominant’ एलील के साथ भी प्रकट हो जाता। लेकिन यह केवल तभी प्रकट होता है जब दोनों एलील एक जैसे हों (homozygous recessive – aa)।
अतः यह एक अप्रभावी लक्षण है।

3. कुत्ते की खाल के प्रभावी रंग का पता लगाने हेतु एक प्रोजेक्ट बनाइए।

उत्तर:

प्रोजेक्ट डिजाइन:
• दो भिन्न रंगों के शुद्ध नस्ल वाले कुत्तों (जैसे काले और भूरे) को क्रॉस कराएँ।
• यदि F₁ संतति में सभी का रंग समान (जैसे काला) है, तो वह रंग प्रभावी होगा।
• फिर F₁ संतति को आपस में क्रॉस करें (self-cross)।
• यदि F₂ में दोनों रंग (काला और भूरा) आएँ और उनका अनुपात 3:1 हो, तो यह सिद्ध करेगा कि काला रंग प्रभावी और भूरा रंग अप्रभावी है।

4. संतति में माता-पिता का आनुवंशिक योगदान समान कैसे होता है?

उत्तर:

• मानव में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से एक जोड़ी लिंग निर्धारण के लिए होती है।
• संतति को 23 गुणसूत्र माँ से और 23 पिता से मिलते हैं।
• यह आधे-आधे योगदान को दर्शाता है।
• इस प्रकार हर जीन की दो प्रतियाँ होती हैं – एक माता की और एक पिता की।
अतः आनुवंशिक दृष्टिकोण से माता और पिता दोनों का बराबर योगदान होता है।


अनुवांशिकता और जैव विकास MCQ

Section 1: विविधता और जनन

  1. अलैंगिक जनन में संतति में विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती क्योंकि:
    (a) यह सरल प्रक्रिया है
    (b) केवल एक जनक शामिल होता है ✅
    (c) कोई निषेचन नहीं होता
    (d) जीन नहीं होते
  2. जनन के समय उत्पन्न विभिन्नताएँ किसके कारण होती हैं?
    (a) वंशवृक्ष
    (b) पर्यावरण
    (c) DNA की प्रतिकृति में त्रुटि ✅
    (d) पोषण

Section 2: मेंडल और वंशगति के नियम

  1. वंशागत लक्षणों के अध्ययन के लिए मेंडल ने किस पौधे का चयन किया?
    (a) सूरजमुखी
    (b) मटर ✅
    (c) गेहूं
    (d) सरसों
  2. मेंडल के अनुसार प्रभावी लक्षण क्या होता है?
    (a) जो हमेशा छिपा रहता है
    (b) जो कभी-कभी प्रकट होता है
    (c) जो F1 में प्रकट होता है ✅
    (d) जो अनुवांशिक नहीं होता
  3. F2 पीढ़ी में प्रभावी और अप्रभावी लक्षण का अनुपात क्या होता है?
    (a) 1:2
    (b) 3:1 ✅
    (c) 1:1
    (d) 2:3

Section 3: स्वतंत्र अपव्यूहन

  1. मेंडल ने स्वतंत्र अपव्यूहन सिद्धांत किस प्रयोग से सिद्ध किया?
    (a) मोनोहाइब्रिड क्रॉस
    (b) डाइहाइब्रिड क्रॉस ✅
    (c) अलैंगिक जनन
    (d) लैंगिक जनन
  2. डाइहाइब्रिड क्रॉस में F2 पीढ़ी का गुणसूत्रीय अनुपात क्या होता है?
    (a) 1:2:1
    (b) 9:3:3:1 ✅
    (c) 1:1:2
    (d) 3:1

Section 4: लिंग निर्धारण

  1. मानव में लिंग निर्धारण किस पर निर्भर करता है?
    (a) माता द्वारा दिए गए गुणसूत्र पर
    (b) पिता द्वारा दिए गए गुणसूत्र पर ✅
    (c) दोनों पर
    (d) हार्मोन पर
  2. अगर संतान को XX गुणसूत्र मिलते हैं, तो वह होगी:
    (a) लड़का
    (b) लड़की ✅
    (c) जुड़वां
    (d) अनिश्चित
  3. पिता से मिलने वाला कौन सा गुणसूत्र संतान को लड़का बनाता है?
    (a) X
    (b) Y ✅
    (c) XX
    (d) YY

Section 5: रक्त समूह और अनुवांशिकता

  1. O रक्त समूह का जीनोटाइप क्या होता है?
    (a) IA IA
    (b) IA IB
    (c) ii ✅
    (d) IB i
  2. यदि पिता का रक्त समूह A और माता का O है, तो संतान का कौन सा रक्त समूह संभव नहीं है?
    (a) A
    (b) O
    (c) B ✅
    (d) A और O दोनों

Section 6: जैव विकास (Evolution)

  1. डार्विन का सिद्धांत किस पर आधारित है?
    (a) उत्परिवर्तन
    (b) प्राकृतिक वरण ✅
    (c) कृत्रिम चयन
    (d) अनुवांशिकता
  2. जैव विकास को किससे अध्ययन किया जा सकता है?
    (a) मूर्तियाँ
    (b) जीवाश्म ✅
    (c) DNA
    (d) कोशिकाएँ
  3. आधुनिक मानव का वैज्ञानिक नाम क्या है?
    (a) Homo erectus
    (b) Homo sapiens ✅
    (c) Australopithecus
    (d) Neanderthal man
  4. टिकाऊ विभिन्नताएँ किसे कहा जाता है?
    (a) जो वातावरण से प्रभावित हों
    (b) जो जीन द्वारा नियंत्रित हों ✅
    (c) जो जन्म के बाद आएँ
    (d) जो केवल माँ से आएँ

Section 7: सामान्य समझ और मिश्रित प्रश्न

  1. DNA प्रतिकृति में त्रुटि से क्या उत्पन्न हो सकता है?
    (a) उत्परिवर्तन ✅
    (b) निषेचन
    (c) जैव विकास
    (d) कोशिका विभाजन
  2. किस जीव का विकास सबसे पहले हुआ माना जाता है?
    (a) मछली
    (b) उभयचर
    (c) प्रोकैरियोटिक जीव ✅
    (d) पक्षी
  3. फॉसिल किसे कहा जाता है?
    (a) जीवित जीवों को
    (b) मृत जीवों के अवशेष ✅
    (c) हड्डियाँ
    (d) पत्थर
  4. कृत्रिम चयन किसे कहा जाता है?
    (a) प्राकृतिक चयन
    (b) मनुष्य द्वारा वरण ✅
    (c) स्वाभाविक विभाजन
    (d) जीवाश्मों का अध्ययन


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जीव जनन कैसे करते हैं – Class 10 Chapter 7

रासायनिक अभिक्रियाएँ और समीकरण

अम्ल, क्षार एवं लवण – Class 10 Chapter 2

विज्ञान MCQ प्रैक्टिस – सभी कक्षाओं के लिए

आनुवांशिकता और जैव विकास से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न स्रोतों पर जा सकते हैं।

NCERT की आधिकारिक पाठ्यपुस्तक (PDF अध्याय 8)

Byju’s – Heredity and Evolution Biology Explanation

Khan Academy – Heredity and Genetics


 

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