Science class 9 chapter 5 कोशिका जीवन की मौलिक इकाई

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अध्याय 5: कोशिका जीवन की मौलिक इकाई

हमारे चारों ओर सभी जीवित प्राणी — पेड़-पौधे, पशु, पक्षी और स्वयं मनुष्य — असंख्य सूक्ष्म इकाइयों से बने होते हैं जिन्हें हम कोशिकाएँ कहते हैं। यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करता है कि कोशिका क्या होती है, इसकी संरचना कैसी होती है और यह जीवों के जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है।

क्या आप जानते हैं?
एक मनुष्य के शरीर में लगभग 37 खरब (trillion) कोशिकाएँ होती हैं!

इस अध्याय में हम जानेंगे कोशिका की खोज कैसे हुई, कोशिका सिद्धांत क्या है, कोशिकाओं की संरचना, उसके अंगक (organelles) जैसे नाभिक, माइटोकॉन्ड्रिया, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गॉल्जी बॉडी आदि की भूमिका और पौधों तथा जन्तुओं की कोशिकाओं के बीच क्या अंतर होता है। यह अध्याय जीव विज्ञान के मूलभूत ज्ञान की नींव रखता है।

मुख्य बिंदु:

  • कोशिका की खोज और सिद्धांत
  • कोशिका के अंगक और उनके कार्य
  • पौधों और जन्तुओं की कोशिकाओं में अंतर

इस पाठ के अंत तक आप समझ पाएंगे कि क्यों कोशिका को “जीवन की मौलिक इकाई” कहा जाता है और यह जीवन के कार्यों को कैसे संचालित करती है।

अध्याय संरचना: जीवन की मौलिक इकाई

  1. कोशिका की खोज – रॉबर्ट हुक और कोशिका की पहचान
  2. कोशिका सिद्धांत – श्लाइडन, श्वान और रुडॉल्फ विर्चो
  3. कोशिकाओं के प्रकार – प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक
  4. कोशिका की आकृति और आकार
  5. कोशिका की संरचना
    • कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
    • कोशिका भित्ति (Plant Cells)
    • साइटोप्लाज्म
    • नाभिक (Nucleus)
  6. कोशिकांग (Cell Organelles)
    • माइटोकॉन्ड्रिया
    • एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER)
    • गॉल्जी निकाय
    • लाइसोजोम
    • प्लास्टिड्स (केवल पादप कोशिकाओं में)
    • सेंट्रिओल (केवल जन्तु कोशिकाओं में)
    • राइबोसोम
    • वैक्यूल
  7. पादप और जन्तु कोशिका में अंतर
  8. सारांश और मुख्य बिंदु

सजीव किससे बने होते हैं?

सभी सजीव कोशिकाओं (Cells) से बने होते हैं। कोशिका को जीवन की मौलिक इकाई कहा जाता है।

जैसे भवन ईंटों से बनता है, वैसे ही शरीर कोशिकाओं से बना होता है।

बिंदु विवरण
कोशिका जीवन की सबसे छोटी संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई
एककोशकीय जीव जैसे अमीबा, पैरामीशियम – केवल एक कोशिका से बने होते हैं
बहुकोशकीय जीव जैसे मानव, पादप – लाखों कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं
क्या आप जानते हैं?
मानव शरीर में लगभग 37 ट्रिलियन कोशिकाएँ होती हैं।

 

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope)

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से हम सूक्ष्म वस्तुओं, जैसे कोशिकाओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। यह सूक्ष्मदर्शी दो या अधिक लेंसों का उपयोग करता है जिससे वस्तु का आकार कई गुना बढ़ जाता है।

क्या आप जानते हैं?
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की खोज रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने की थी। उन्होंने 1665 में कॉर्क की पतली परत को देखकर पहली बार “कोशिका” शब्द का प्रयोग किया।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के मुख्य भाग

भाग कार्य
आंख का लेंस (Eyepiece) जिससे हम वस्तु को देखते हैं; यह आवर्धन करता है।
उद्देश्य लेंस (Objective Lens) वस्तु के पास स्थित होता है और उसका वास्तविक आवर्धन करता है।
स्टेज (Stage) यहाँ स्लाइड रखी जाती है।
आइना (Mirror) प्रकाश को स्लाइड पर केंद्रित करता है।
फोकसिंग स्क्रू दृश्य को स्पष्ट करने के लिए ऊपर-नीचे करने वाला यंत्र।

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का उपयोग

  • सूक्ष्म जीवों को देखने में
  • कोशिकाओं और उनके अंगों का अध्ययन करने में
  • रोगाणुओं की पहचान में
  • शैक्षिक प्रयोगशालाओं और चिकित्सा प्रयोगों में
नोट: संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा 1000x से अधिक आवर्धन (zoom) किया जा सकता है।

 

प्याज की झिल्ली कोशिकाएं: ये संरचनाएं क्या हैं?

जब हम प्याज की झिल्ली को सूक्ष्मदर्शी से देखते हैं, तो हमें अनेक कोशिकाओं (Cells) की एक परत दिखाई देती है। प्रत्येक कोशिका की अपनी एक विशेष संरचना होती है।

प्याज की कोशिकाओं की मुख्य संरचनाएं:

  • कोशिका भित्ति (Cell Wall): यह कोशिका की बाहरी कठोर परत होती है, जो उसे आकार और सुरक्षा देती है।
  • कोशिका झिल्ली (Cell Membrane): यह अर्धपारगम्य झिल्ली कोशिका के अंदर पाई जाती है और पदार्थों के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है।
  • साइटोप्लाज्म (Cytoplasm): एक जैली जैसी द्रव्य जिसमें कोशिका के अन्य अंग तैरते हैं।
  • नाभिक (Nucleus): यह कोशिका का नियंत्रण केंद्र होता है जो अनुवांशिक जानकारी को संग्रहीत करता है।
  • रसधान (Vacuole): एक बड़ा सा तरल से भरा अंग जिसे टोनोप्लास्ट नामक झिल्ली घेरे रहती है।

प्याज की कोशिकाएं पारदर्शी होती हैं, इसलिए उन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है। यह प्रयोग यह सिखाने में मदद करता है कि पौधों की कोशिकाएं कैसे दिखती हैं और उनकी आंतरिक संरचना क्या होती है।

कोशिका की खोज और विकास

कोशिका का सबसे पहले पता रॉबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था। उसने कोशिका को कर्क की पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा।

ल्युवेनहॉक (1674) ने सबसे पहले उन्नत सूक्ष्मदर्शी से तालाब के जल में स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिकाओं का पता लगाया।

रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 में कोशिका में केंद्रक का पता लगाया।

जे. ई. पुरोकंज ने 1839 में कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य का नाम दिया।

दो जीव वैज्ञानिक – एम. स्लाइडन (1838) तथा टी. श्वान (1839) ने कोशिका सिद्धांत के विषय में बताया। इस सिद्धांत के अनुसार सभी पौधे तथा जंतु कोशिकाओं से बने हैं और वे जीवन की मूलभूत इकाई हैं।

विर्चो (1855) ने कोशिका सिद्धांत को और आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि सभी कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती हैं।

1940 में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद कोशिका की जटिल संरचना तथा बहुत से अंगकों को समझना संभव हो सका।

कोशिका का नाम संरचना मुख्य कार्य स्थान
लाल रक्त कोशिका (RBC) गोल व द्वConcave, नाभिक रहित ऑक्सीजन का वहन रक्त
श्वेत रक्त कोशिका (WBC) असमान आकार, नाभिक युक्त प्रतिरक्षा प्रदान करना रक्त और लसीका
तंत्रिका कोशिका (Neuron) लंबी कोशिका, डेंड्राइट्स और अक्षतंतु संदेशों का संचार मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी
मांसपेशी कोशिका लंबी, रेखांकित या चिकनी संकुचन और गति हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियां
स्पर्म कोशिका सिर, मध्य भाग, पूंछ अंडाणु का निषेचन अधिवृषण (Epididymis)
अंडाणु (Ovum) गोल, बड़ी, नाभिक युक्त निषेचन के लिए अंडाशय
त्वचा की कोशिकाएं पतली, चपटी शरीर की रक्षा त्वचा की बाहरी परत
अस्थि कोशिका (Osteocyte) कठोर, शाखित हड्डी बनाना और मजबूत करना हड्डियाँ
वसा कोशिका गोल, बड़ी व केंद्र में वसा ऊर्जा संग्रह त्वचा के नीचे, अंगों के पास
यकृत कोशिका (Hepatocyte) बहुभुजी, बड़ी विषहरण, चयापचय यकृत (Liver)

 

1. कोशिका की खोज किसने और कैसे की?

कोशिका की खोज सन 1665 में रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने की थी। उन्होंने एक सूखे कॉर्क (Oak Tree की छाल) की पतली स्लाइड को अपने बनाए हुए संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope) से देखा। उन्हें उसमें मधुमक्खी के छत्ते जैसी छोटी-छोटी कोठरियाँ दिखाई दीं, जिन्हें उन्होंने “Cells” नाम दिया। यह शब्द लैटिन शब्द “Cellula” से लिया गया है, जिसका अर्थ है – छोटी कोठरी।

2. कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?

कोशिका को जीवन की संरचनात्मक इकाई इसलिए कहते हैं क्योंकि सभी जीवधारी कोशिकाओं से बने होते हैं, जैसे – मानव शरीर अरबों कोशिकाओं से मिलकर बना है।

कोशिका को क्रियात्मक इकाई इसलिए कहते हैं क्योंकि जीवन की सभी आवश्यक क्रियाएं जैसे – पोषण, श्वसन, उत्सर्जन, विभाजन आदि कोशिका के अंदर ही संपन्न होती हैं।

इसलिए कोशिका ही किसी भी जीव का मूलभूत आधार है, और इसी कारण इसे “जीवन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई” कहा जाता है।

 

कोशिका किससे बनी होती है? कोशिका का संरचनात्मक संगठन क्या है?

कोशिका जीवन की सबसे छोटी इकाई है जो सभी जीवधारियों में पाई जाती है। कोशिका एक अत्यंत जटिल संरचना होती है जो कई प्रकार के अंगकों और रसायनों से बनी होती है।

कोशिका किससे बनी होती है?

  • पानी (Water): कोशिका का लगभग 70-90% भाग जल होता है।
  • कार्बनिक यौगिक: जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट और न्यूक्लिक अम्ल (DNA और RNA)।
  • अकार्बनिक यौगिक: जैसे लवण (Na⁺, K⁺, Ca²⁺), गैसें (O₂, CO₂)।
  • एंजाइम: जो रासायनिक अभिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

कोशिका का संरचनात्मक संगठन

कोशिका का संगठन तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है:

संरचना मुख्य कार्य
1. कोशिका भित्ति (Cell Wall)
केवल वनस्पति कोशिकाओं में पाई जाती है
कोशिका को कठोरता और संरचना प्रदान करती है
2. कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) अर्धपारगम्य होती है, पदार्थों का अंदर-बाहर आदान-प्रदान नियंत्रित करती है
3. साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) इसमें सभी कोशिकांगक तैरते हैं; रासायनिक क्रियाएं यहीं होती हैं
4. नाभिक (Nucleus) कोशिका का नियंत्रण केंद्र, अनुवांशिक पदार्थ (DNA) होता है
5. कोशिका अंगक (Cell Organelles)
  • माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा का निर्माण (ATP)
  • गोल्गी निकाय: प्रोटीन का संशोधन और पैकेजिंग
  • राइबोसोम: प्रोटीन संश्लेषण
  • एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम: पदार्थों का परिवहन
  • लाइसोजोम: कोशिका की सफाई (“सुसाइड बैग”)
  • प्लास्टिड: केवल पादप कोशिकाओं में — जैसे क्लोरोप्लास्ट (हरित लवक)
  • सेंट्रिओल: केवल पशु कोशिकाओं में — कोशिका विभाजन में सहायक
नोट: पादप और पशु कोशिकाओं की संरचना में कुछ अंतर होते हैं। जैसे, पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति और प्लास्टिड्स होते हैं, जबकि पशु कोशिकाओं में सेंट्रिओल पाया जाता है।
कोशिका जीवन की मौलिक इकाई
पादप कोशिका

निष्कर्ष: कोशिका विभिन्न जैविक अणुओं और कोशिकांगकों से बनी होती है। इन सभी संरचनाओं का मिलकर कार्य करना ही जीवन की विविध प्रक्रियाओं को संभव बनाता है।

 

प्लाज्मा झिल्ली अथवा कोशिका झिल्ली

प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane) को कोशिका झिल्ली भी कहा जाता है। यह सभी कोशिकाओं की बाहरी सीमारेखा होती है, जो कोशिका की आंतरिक सामग्री को बाहरी वातावरण से अलग करती है। यह अर्धपारगम्य होती है अर्थात कुछ पदार्थों को अंदर जाने देती है और कुछ को रोकती है।

महत्वपूर्ण तथ्य:
प्लाज्मा झिल्ली सभी प्रकार की कोशिकाओं – पौधों, प्राणियों, बैक्टीरिया आदि में पाई जाती है।

संरचना

  • यह लिपिड द्विस्तरीय (Lipid Bilayer) से बनी होती है जिसमें प्रोटीन अणु इधर-उधर फैले रहते हैं।
  • यह संरचना फ्लूइड मोज़ेक मॉडल के आधार पर समझाई जाती है।
  • लिपिड द्विस्तर में फॉस्फोलिपिड, कोलेस्ट्रॉल और प्रोटीन उपस्थित होते हैं।

कार्य

  • यह कोशिका को उसका आकार और सीमारेखा प्रदान करती है।
  • यह कोशिका के अंदर और बाहर पदार्थों के आवागमन को नियंत्रित करती है।
  • यह अर्धपारगम्यता (Selectively Permeability) प्रदर्शित करती है।
  • यह अंतःकोशिकीय संचार और संकेतों के आदान-प्रदान में सहायक होती है।

विशेषताएँ

विशेषता विवरण
प्रकृति अर्धपारगम्य झिल्ली
मुख्य घटक फॉस्फोलिपिड और प्रोटीन
मॉडल फ्लूइड मोज़ेक मॉडल
कार्य परिवहन, संरक्षण, संचार

प्लाज्मा झिल्ली के माध्यम से परिवहन

  • सक्रिय परिवहन (Active Transport): ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जैसे- सोडियम-पोटेशियम पंप।
  • निष्क्रिय परिवहन (Passive Transport): बिना ऊर्जा के होता है, जैसे- परासरण (osmosis), विसरण (diffusion)।
क्या आप जानते हैं?
प्लाज्मा झिल्ली में उपस्थित कुछ प्रोटीन कोशिका की पहचान और संप्रेषण (communication) के लिए कार्य करते हैं।

 

अल्प्रसारी, संप्रसारी और अतिप्रसारी विलयन में कोशिका का व्यवहार

विलयन (Solution) एक प्रकार का मिश्रण होता है जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ समान रूप से घुले होते हैं। जब कोशिका को विभिन्न प्रकार के विलयनों में रखा जाता है, तो उसमें जल का आवागमन होता है, जिससे कोशिका का आकार एवं स्वरूप बदल सकता है।

मुख्य प्रकार के विलयन:

  • अल्प्रसारी (Hypotonic): विलयन की सांद्रता कोशिका के अंदर की तुलना में कम होती है।
  • संप्रसारी (Isotonic): विलयन की सांद्रता कोशिका के अंदर और बाहर समान होती है।
  • अतिप्रसारी (Hypertonic): विलयन की सांद्रता कोशिका के अंदर की तुलना में अधिक होती है।
विलयन का प्रकार जल की दिशा कोशिका में प्रभाव
अल्प्रसारी (Hypotonic) बाहर से कोशिका के अंदर कोशिका फूल जाती है, पशु कोशिका फट भी सकती है (lysis), वनस्पति कोशिका टर्गिड हो जाती है।
संप्रसारी (Isotonic) कोई शुद्ध जल आवागमन नहीं कोशिका सामान्य स्थिति में रहती है।
अतिप्रसारी (Hypertonic) कोशिका से बाहर कोशिका सिकुड़ जाती है (plasmolysis)।
ध्यान दें: प्लास्मोलाइसिस की प्रक्रिया केवल वनस्पति कोशिकाओं में ही पाई जाती है क्योंकि उनमें कोशिका भित्ति होती है।

1. CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अंदर तथा बाहर जाते हैं?

CO2 और पानी जैसे छोटे और सरल अणु कोशिका में प्रसरण (Diffusion) तथा परासरण (Osmosis) की क्रियाओं के माध्यम से प्रवेश करते हैं या बाहर निकलते हैं।

  • CO2 का प्रसरण: चूँकि CO2 एक गैस है, यह कोशिका झिल्ली से सरल प्रसरण द्वारा गुजरती है। जब कोशिका के अंदर CO2 की मात्रा अधिक हो जाती है (जैसे श्वसन के बाद), तो यह बाहर के वातावरण में कम एकाग्रता की दिशा में स्वतः बाहर निकलती है।
  • पानी का परासरण: पानी का आवागमन परासरण के नियम के अनुसार होता है। जब कोशिका के अंदर और बाहर जल की सापेक्ष एकाग्रता में अंतर होता है, तो जल अणु अर्धपारगम्य झिल्ली (Plasma membrane) से होकर उच्च एकाग्रता से निम्न एकाग्रता की दिशा में प्रवाहित होते हैं।

2. प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य (Selectively Permeable) झिल्ली क्यों कहते हैं?

प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सभी पदार्थों को नहीं, बल्कि केवल चुनिंदा अणुओं को ही अंदर आने या बाहर जाने देती है। यह कोशिका की भीतरी रचना और कार्यों को नियंत्रित करने में सहायक होती है।

  • यह झिल्ली छोटे अणुओं जैसे O2, CO2 और H2O को सरलता से पार करने देती है।
  • बड़े अणुओं (जैसे शर्करा, अमीनो अम्ल) के लिए यह झिल्ली विशेष परिवाहक प्रोटीन की सहायता से सक्रिय या निष्क्रिय परिवहन की प्रक्रिया अपनाती है।
  • इस प्रकार यह झिल्ली यह सुनिश्चित करती है कि केवल आवश्यक पदार्थ ही अंदर प्रवेश करें या बाहर निकलें।

कोशिका भित्ति

कोशिका भित्ति एक कठोर एवं अपरिवर्ती संरचना है, जो केवल पादप कोशिकाओं, कवक, शैवाल एवं कुछ जीवाणुओं की कोशिकाओं में पाई जाती है। यह प्लाज्मा झिल्ली के बाहर स्थित होती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • कोशिका को एक निश्चित आकार देती है।
  • यह कठोर होती है और बाहरी आघात से रक्षा करती है।
  • यह अर्धपारगम्य होती है और जल तथा घुलनशील पदार्थों के आवागमन को नियंत्रित करती है।
  • यह मुख्यतः सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज, पेेक्टिन और प्रोटीन से बनी होती है।

पादप कोशिका की कोशिका भित्ति की संरचना:

1. प्राथमिक भित्ति: यह कोशिका विभाजन के समय बनती है। यह पतली, लचीली एवं सेल्यूलोज से बनी होती है।
2. द्वितीयक भित्ति: यह प्राथमिक भित्ति के अंदर बनती है एवं अधिक मोटी और कठोर होती है। इसमें लिग्निन की अधिक मात्रा होती है।
3. मध्य पत्र (Middle Lamella): यह दो कोशिकाओं की भित्तियों के बीच सीमेंट की तरह काम करता है एवं पेक्टिन से बना होता है।

कार्य:

  1. कोशिका को एक निश्चित आकार प्रदान करना।
  2. बाहरी आघातों से रक्षा करना।
  3. अत्यधिक जल प्रवेश के समय कोशिका को फटने से बचाना।
  4. पारगम्यता के माध्यम से पदार्थों के विनिमय को नियंत्रित करना।
नोट: जन्तु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती, केवल पादप कोशिकाओं में यह उपस्थित होती है।

केंद्रक (Nucleus) – जीवन की नियंत्रण इकाई

केंद्रक किसी भी यूकैरियोटिक कोशिका का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है, जिसे कोशिका का नियंत्रण केंद्र भी कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका की सभी गतिविधियों और आनुवंशिक जानकारी को नियंत्रित करता है।

मुख्य तथ्य:
– केंद्रक केवल यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है।
– यह DNA तथा RNA जैसे आनुवंशिक पदार्थों को संचित करता है।
– कोशिका विभाजन, वृद्धि एवं प्रोटीन संश्लेषण में प्रमुख भूमिका निभाता है।

केंद्रक की संरचना:

  • 1. न्यूक्लियर झिल्ली (Nuclear Membrane): यह दोहरी झिल्ली होती है जो केंद्रक को साइटोप्लाज्म से अलग करती है। इसमें न्यूक्लियर पोर्स होते हैं जिनसे पदार्थों का आवागमन होता है।
  • 2. न्यूक्लियोप्लाज्म (Nucleoplasm): इसे केंद्रकीय रस (karyolymph) भी कहा जाता है जिसमें क्रोमेटिन तथा न्यूक्लियोलस स्थित होते हैं।
  • 3. न्यूक्लियोलस (Nucleolus): यह RNA और राइबोसोम के निर्माण का केंद्र होता है।
  • 4. क्रोमेटिन रेशे (Chromatin Fibres): ये DNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं जो कोशिका विभाजन के समय संघनित होकर क्रोमोसोम बनाते हैं।
ध्यान दें: प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं (जैसे बैक्टीरिया) में केंद्रक नहीं होता, वहां DNA साइटोप्लाज्म में बिखरा होता है।

केंद्रक के कार्य:

  1. DNA के रूप में आनुवंशिक जानकारी को संचित करना।
  2. RNA तथा राइबोसोम के निर्माण में सहायता।
  3. कोशिका विभाजन को नियंत्रित करना।
  4. प्रोटीन संश्लेषण हेतु निर्देश देना।
  5. कोशिका की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करना।
निष्कर्ष: केंद्रक कोशिका की वह संरचना है जो न केवल आनुवंशिक सामग्री को संचित करता है बल्कि कोशिका के सभी कार्यों का नियमन और निर्देशन करता है। इसलिए इसे “कोशिका का मस्तिष्क” भी कहा जाता है।

कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) – पूर्ण विवरण

कोशिका द्रव्य एक जेल जैसी तरल संरचना होती है जो कोशिका झिल्ली और केंद्रक के बीच स्थित होती है। यह कोशिका के सभी आंतरिक कार्यों और जीवन प्रक्रियाओं के संचालन में सहायक होता है।

तथ्य: कोशिका द्रव्य को ‘प्रोटोप्लाज्म’ का एक भाग माना जाता है जिसमें कोशिकांग (organelles) तैरते रहते हैं।

कोशिका द्रव्य के घटक:

  • साइटोसोल: तरल भाग जिसमें विभिन्न अणु घुले रहते हैं।
  • कोशिकांग: छोटे-छोटे अंग जिनमें विशिष्ट कार्य होते हैं जैसे माइटोकॉण्ड्रिया, राइबोसोम, गॉल्जी उपकरण आदि।
  • साइटोस्केलेटन: प्रोटीन से बनी संरचनाएं जो कोशिका को आकार और सहायता प्रदान करती हैं।

मुख्य कार्य:

कार्य विवरण
पोषण भोजन के अणुओं को कोशिकांगों तक पहुंचाना।
रासायनिक अभिक्रियाएँ एंजाइम्स की सहायता से जैव-रासायनिक क्रियाओं का संचालन।
पदार्थों का परिवहन पदार्थों को कोशिका के विभिन्न भागों में पहुंचाना।
सहारा और आकृति कोशिका को आकृति और समर्थन देना।

कोशिका द्रव्य की विशेषताएँ:

  • यह अर्द्धद्रव रूप में होता है।
  • यह जीवन क्रियाओं का स्थल है।
  • यह कोशिकांगों का संरक्षण करता है।
नोट: कोशिका द्रव्य केवल सजीव कोशिकाओं में ही पाया जाता है। मृत कोशिकाओं में यह अनुपस्थित होता है।

निष्कर्ष:

कोशिका द्रव्य कोशिका की जीवन क्रियाओं को संचालित करने का मुख्य स्थल है। यह सभी कोशिकांगों को सहारा प्रदान करता है और उनके कार्यों का समन्वय करता है।

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum – ER)

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम एक झिल्ली से घिरी हुई संरचना होती है, जो कोशिका के साइटोप्लाज्म में उपस्थित होती है। यह एक जालीनुमा रचना होती है जो नाभिक से प्लाज्मा झिल्ली तक फैली रहती है।

मुख्य प्रकार:
एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम दो प्रकार का होता है:

  • रूक्ष एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough ER): इसकी सतह पर राइबोसोम्स होते हैं। यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होता है।
  • मृदु एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Smooth ER): इसमें राइबोसोम्स नहीं होते। यह वसा (लिपिड्स), हार्मोन, स्टेरॉयड का निर्माण करता है।

कार्य:

  • प्रोटीन एवं लिपिड्स का संश्लेषण
  • प्रोटीन का पैकेजिंग एवं ट्रांसपोर्ट
  • विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करना
  • कई एंजाइम्स के लिए साइट उपलब्ध कराना

रोचक तथ्य:ER का नेटवर्क कोशिका को आकार बनाए रखने में मदद करता है और यह राइबोसोम्स से बने प्रोटीन को गोल्जी उपकरण तक पहुंचाता है।

गोल्जी उपकरण (Golgi Apparatus)

गोल्जी उपकरण कोशिका का एक महत्वपूर्ण अंगक (organelle) है, जो मुख्यतः प्रोटीन और लिपिड्स के संश्लेषण के बाद उनके संशोधन (modification), पैकेजिंग (packaging), तथा ट्रांसपोर्ट (transport) का कार्य करता है।

संरचना:

  • यह चपटी, थैलीनुमा झिल्लियों (cisternae) की एक श्रेणी होती है।
  • इन थैलियों का एक सिरा ‘cis face’ कहलाता है जो एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की ओर होता है, और दूसरा सिरा ‘trans face’ कहलाता है जो प्लाज्मा झिल्ली की ओर होता है।

मुख्य कार्य:

  • प्रोटीन एवं वसा का संशोधन (modification)
  • उन्हें उचित स्थानों के लिए पैकेज करना
  • लाइसोसोम्स (lysosomes) का निर्माण करना
  • कोशिका में स्रवण (secretion) से संबंधित कार्य करना

महत्वपूर्ण तथ्य:गोल्जी उपकरण को “कोशिका की डाकघर (Post Office)” कहा जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन व अन्य पदार्थों को सॉर्ट कर उनके गंतव्य तक भेजता है।

कैमिलो गोल्जी (Camillo Golgi)

कैमिलो गोल्जी एक प्रसिद्ध इतालवी न्यूरोसाइंटिस्ट और कोशिका विज्ञानी थे, जिन्हें कोशिका के एक महत्वपूर्ण अंगक गोल्जी उपकरण (Golgi Apparatus) की खोज के लिए जाना जाता है। उन्होंने न्यूरोलॉजी और कोशिकाविज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जन्म: 7 जुलाई 1843, कोर्टेनो, इटली
मृत्यु: 21 जनवरी 1926, पाविया, इटली

प्रमुख योगदान:

  • गोल्जी उपकरण (Golgi Apparatus) की खोज
  • ‘ब्लैक रिएक्शन’ (Black Reaction) नामक एक तकनीक का विकास, जिससे तंत्रिका कोशिकाएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थीं
  • न्यूरॉन सिद्धांत और कोशिकात्मक संगठन की समझ को बढ़ावा दिया

सम्मान:

  • 1906 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया (सैंटियागो रैमोन ई काजाल के साथ साझा रूप से)
  • उनके नाम पर गोल्जी उपकरण, गोल्जी बॉडी, और गोल्जी कॉम्प्लेक्स नामित किया गया

रोचक तथ्य:कैमिलो गोल्जी का नाम विज्ञान में स्थायी रूप से दर्ज है, क्योंकि उनके द्वारा खोजे गए अंगक का नाम उन्हीं के नाम पर “गोल्जी” रखा गया है।

लाइसोसोम (Lysosome)

लाइसोसोम एक झिल्ली से घिरा हुआ कोशिकांग (organelle) होता है, जो पाचक एंजाइमों से भरपूर होता है। इसे कोशिका का अपच केन्द्र भी कहा जाता है। यह मृत कोशिका अवयवों, अपशिष्ट पदार्थों और बाहरी रोगाणुओं को नष्ट करता है।

खोज: क्रिश्चियन डी ड्यूव (Christian de Duve) ने 1955 में की थी।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह एकल झिल्ली वाला कोशिकांग है।
  • इसमें हाइड्रोलिटिक एंजाइम (digestive enzymes) होते हैं।
  • यह प्रोटीन, लिपिड्स, न्यूक्लिक एसिड्स आदि को तोड़ने में सक्षम है।
  • अधिकांश जानवरों की कोशिकाओं में पाया जाता है, परंतु पादप कोशिकाओं में बहुत कम या अनुपस्थित रहता है।

कार्य:

  • कोशिका के भीतर अपच कार्य करना
  • पुराने या खराब हो चुके कोशिकांगों को नष्ट करना
  • बाहरी रोगाणुओं को पचाना
  • ऑटोफैगी (Autophagy) में भाग लेना
  • कोशिका की आपात स्थिति में आत्म-विनाश (Autolysis) करना

रोचक तथ्य:लाइसोसोम को “Suicidal Bag of the Cell” कहा जाता है क्योंकि यह आवश्यकता पड़ने पर स्वयं को फाड़कर कोशिका को नष्ट कर देता है।

माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)

माइटोकॉन्ड्रिया एक झिल्ली से घिरा हुआ द्विझिल्लीय कोशिकांग है जिसे “कोशिका का पावर हाउस” कहा जाता है, क्योंकि यही कोशिका में ऊर्जा (ATP) का निर्माण करता है।

खोज: रिचर्ड अल्टमैन (Richard Altmann) ने 1890 में किया था और इसे “Bioblast” नाम दिया था।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह एक द्वि-झिल्ली (double membrane) युक्त कोशिकांग है।
  • भीतरी झिल्ली पर बनी तहों को क्रिस्टी (Cristae) कहते हैं।
  • आंतरिक द्रव्य को मैट्रिक्स कहते हैं।
  • स्वयं का DNA, RNA एवं राइबोसोम होता है – जिससे यह स्वतंत्र प्रोटीन संश्लेषण कर सकता है।
  • यह केवल सजीव पादप व जन्तु कोशिकाओं में पाया जाता है।

कार्य:

  • कोशिका को ऊर्जा (ATP) प्रदान करना
  • श्वसन क्रिया में भाग लेना (Aerobic respiration)
  • गर्मी उत्पादन में सहायक
  • कुछ हार्मोन्स के संश्लेषण में सहायक
  • अपोप्टोसिस (Apoptosis) – कोशिका की नियंत्रित मृत्यु में भूमिका

रोचक तथ्य:माइटोकॉन्ड्रिया मातृ पक्ष (maternal side) से संतानों में स्थानांतरित होता है।

अन्य नाम: कोशिका का ऊर्जा केन्द्र (Power House of the Cell)

 

प्लास्टिड (Plastid) – विस्तृत जानकारी

प्लास्टिड केवल पौधों और कुछ शैवालों में पाए जाने वाले कोशिकांग हैं। ये कोशिका के भीतर विशेष कार्यों को संपन्न करने के लिए होते हैं, जैसे कि प्रकाश-संश्लेषण, भोजन का भंडारण, और रंगद्रव्यों की उपस्थिति।

नोट: प्लास्टिड्स डबल मेंब्रेन से घिरे होते हैं और स्वयं का DNA, RNA तथा राइबोसोम रखते हैं, इसीलिए इन्हें अर्धस्वायत्त कोशिकांग कहते हैं।

प्लास्टिड के प्रकार:

प्रकार कार्य उदाहरण
1. क्लोरोप्लास्ट प्रकाश-संश्लेषण करना पत्तियों में
2. क्रोमोप्लास्ट फलों, फूलों को रंग देना गाजर, टमाटर
3. ल्यूकोप्लास्ट भोजन का संग्रहण (शर्करा, तेल, प्रोटीन) जड़ें, बीज, कंद

क्लोरोप्लास्ट की विशेषताएँ:

  • यह हरा रंग प्रदान करता है — क्लोरोफिल के कारण।
  • प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में CO₂ और पानी से ग्लूकोज़ का निर्माण होता है।
  • इसके अंदर थाइलेकोइड और स्ट्रोमा जैसे भाग होते हैं।
  • यह स्वतः विभाजन में सक्षम होते हैं।
क्या आप जानते हैं? – क्लोरोप्लास्ट और माइटोकॉन्ड्रिया को अर्धस्वायत्त अंगक (Semi-autonomous organelles) कहा जाता है क्योंकि ये खुद के DNA और राइबोसोम रखते हैं।

 

रसधानी (Vacuoles)

रसधानी कोशिका का एक महत्वपूर्ण भाग होती है जो तरल पदार्थों का भंडारण करती है। यह कोशिकाओं में रस (cell sap) से भरी एक झिल्ली से घिरी थैली होती है। यह तरल मुख्य रूप से जल, शर्करा, लवण, प्रोटीन तथा अपशिष्ट पदार्थों का मिश्रण होता है।

मुख्य तथ्य:

  • रसधानी झिल्ली से घिरी हुई संरचना होती है जिसे टोनीप्लास्ट (Tonoplast) कहते हैं।
  • यह जल, खनिज लवण, शर्करा, अमीनो अम्ल तथा अपशिष्ट उत्पादों को संग्रहित करती है।
  • पौधों की कोशिकाओं में रसधानी आकार में बड़ी होती है जबकि पशु कोशिकाओं में छोटी या अनुपस्थित हो सकती है।
  • यह कोशिका की आकार को बनाए रखने में भी सहायता करती है।

रसधानी के कार्य

  • भंडारण का कार्य करना (जल, लवण, शर्करा आदि)।
  • अपशिष्ट पदार्थों को एकत्र करके कोशिका से बाहर निकालना।
  • कोशिका का दबाव (Turgor Pressure) बनाए रखना।
  • कोशिका के आंतरिक वातावरण को संतुलित रखना।

पौधों व पशु कोशिकाओं में तुलना

पैरामीटर पौधों की कोशिका पशु कोशिका
संख्या आमतौर पर एक बड़ी रसधानी अनेक छोटी रसधानियाँ या अनुपस्थित
आकार बड़ी, केंद्र में स्थित छोटी और किनारे की ओर
कार्य भंडारण, आकार बनाए रखना भंडारण (यदि मौजूद हो)
 रसधानी पौधों की कोशिका में जल संचित करके उसका आकार बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। यह कोशिका के चयापचय (metabolism) से संबंधित अवांछनीय उत्पादों को भी संग्रहीत करती है।

 

1. क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?

उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया और प्लास्टिड (विशेषकर क्लोरोप्लास्ट) ऐसे दो कोशिकांग हैं जिनमें अपना स्वयं का डीएनए पाया जाता है।

2. यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?

उत्तर: यदि कोशिका का संगठन भौतिक या रासायनिक प्रभावों के कारण नष्ट हो जाता है, तो उसकी कार्यप्रणालियाँ रुक जाती हैं और वह कोशिका मर जाती है। इससे ऊतक व अंगों की क्रियाएँ भी प्रभावित होती हैं।

3. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?

उत्तर: लाइसोसोम को आत्मघाती थैली (Suicidal Bag) कहा जाता है क्योंकि यह आवश्यकता पड़ने पर अपने ही एंजाइम्स को छोड़कर कोशिका को नष्ट कर सकता है। यह तब होता है जब कोशिका बहुत अधिक क्षतिग्रस्त या संक्रमित हो जाती है।

4. कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?

उत्तर: कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम पर होता है। राइबोसोम को ‘प्रोटीन फैक्ट्री’ भी कहा जाता है।

कोशिका विभाजन (Cell Division)

कोशिका विभाजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक माता कोशिका दो या दो से अधिक पुत्र कोशिकाओं में विभाजित होती है। यह प्रक्रिया जीवन के विकास, वृद्धि, और मरम्मत के लिए आवश्यक है।

मुख्य उद्देश्य:
कोशिका विभाजन के द्वारा कोशिकाएँ अपना जीवन चक्र पूरा करती हैं, नई कोशिकाएँ उत्पन्न होती हैं और शरीर की वृद्धि व क्षतिपूर्ति होती है।

कोशिका विभाजन के प्रकार

  1. मायोटिक विभाजन (Mitosis) – यह समसूत्री विभाजन है जिसमें एक डिप्लॉइड कोशिका दो समान डिप्लॉइड कोशिकाओं में विभाजित होती है।
  2. मियोटिक विभाजन (Meiosis) – यह अपसूत्री विभाजन है जिससे चार हाप्लॉइड कोशिकाएँ बनती हैं। यह लैंगिक जनन में महत्वपूर्ण होता है।

1. समसूत्री विभाजन (Mitosis)

यह विभाजन शरीर की कोशिकाओं में होता है। इसमें विभाजन के बाद उत्पन्न दोनों कोशिकाएँ माता कोशिका के समान होती हैं।

चरण विशेषताएँ
1. इंटरफेज कोशिका विभाजन से पहले की तैयारी। डीएनए की प्रतिकृति होती है।
2. प्रोफेज क्रोमेटिन गाढ़े होकर क्रोमोसोम बनते हैं। न्यूक्लियर मेम्ब्रेन गायब हो जाती है।
3. मेटाफेज क्रोमोसोम कोशिका के मध्य रेखा पर सजते हैं।
4. एनाफेज क्रोमेटिड्स ध्रुवों की ओर खिंचते हैं।
5. टेलोफेज दो नई न्यूक्लियस बनते हैं, न्यूक्लियर मेम्ब्रेन फिर से बनती है।
6. साइटोकाइनेसिस साइटोप्लाज्म का विभाजन होकर दो पुत्र कोशिकाएँ बनती हैं।

2. अपसूत्री विभाजन (Meiosis)

यह लैंगिक कोशिकाओं (गैमेट्स) के निर्माण हेतु होता है। इसमें एक डिप्लॉइड कोशिका चार हाप्लॉइड कोशिकाओं में विभाजित होती है।

विशेषता: मियोटिक विभाजन आनुवंशिक विविधता उत्पन्न करता है।
  • Meiosis I: होमो लॉगस क्रोमोसोम्स का अलग होना।
  • Meiosis II: क्रोमैटिड्स का अलग होना।

महत्व

  • शरीर की वृद्धि और मरम्मत
  • गैमेट्स का निर्माण
  • आनुवंशिक पदार्थ का समान या विविध वितरण

आपने क्या सीखा

  • कोशिका के चारों ओर प्लाज़्मा झिल्ली होती है, जो लिपिड तथा प्रोटीन से बनी होती है।
  • कोशिका झिल्ली एक सक्रिय भाग होती है जो कोशिका के अंदर-बाहर पदार्थों की गति को नियमित करती है।
  • पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के बाहर कोशिका भित्ति होती है, जो सेल्यूलोज की बनी होती है।
  • पादप कोशिकाओं की भित्ति फंजाई एवं बैक्टीरिया को अल्प परासरण दाब पर जीवित रहने में मदद करती है।
  • यूकैरियोट में केंद्रक दोहरी झिल्ली से कोशिकाद्रव्य से अलग होता है और कोशिका की जीवन प्रक्रियाओं को निर्देशित करता है।
  • एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) अंतः कोशिकीय परिवहन व उत्पादन सतह के रूप में कार्य करता है।
  • गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिकाओं का समूह है जो पदार्थों का संचयन, रूपांतरण और पैकेजिंग करता है।
  • प्लास्टिड पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं – मुख्यतः क्रोमोप्लास्ट (रंगद्रव्य युक्त) और ल्यूकोप्लास्ट (संचय कार्य)।
  • क्लोरोप्लास्ट क्रोमोप्लास्ट का एक प्रकार है जिसमें क्लोरोफिल होता है और ये प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
  • ल्यूकोप्लास्ट का मुख्य कार्य संचय करना होता है।
  • अधिकांश परिपक्व पादप कोशिकाओं में एक बड़ी रसधानी होती है, जो स्फीतता बनाए रखने और पदार्थों के संचयन का कार्य करती है।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोई भी झिल्ली युक्त अंगक नहीं होता, उनमें न्यूक्लिक अम्ल और छोटे राइबोसोम ही पाए जाते हैं।
  • जीवों में कायिक वृद्धि के लिए कोशिकाएँ विभाजित होती हैं।

अभ्यास प्रश्नों के उत्तर

1. पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।

पादप कोशिका जंतु कोशिका
कोशिका भित्ति उपस्थित होती है। कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
क्लोरोप्लास्ट होते हैं। क्लोरोप्लास्ट नहीं होते।
एक बड़ी रसधानी होती है। छोटी-छोटी अनेक रसधानियाँ होती हैं।
गोल्जी उपकरण छितरा हुआ होता है। गोल्जी उपकरण एक स्थान पर केन्द्रित होता है।

2. प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?

प्रोकैरियोटी कोशिकाओं में झिल्ली युक्त अंगक नहीं होते, जबकि यूकैरियोटी कोशिकाओं में झिल्ली युक्त अंगक जैसे केंद्रक, माइटोकॉन्ड्रिया, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम आदि होते हैं। प्रोकैरियोट्स में केंद्रक नहीं होता, केवल न्यूक्लियोइड क्षेत्र होता है।

3. यदि प्लैज़्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?

यदि प्लाज़्मा झिल्ली टूट जाए तो कोशिका की आंतरिक सामग्री बाहर निकल जाएगी और कोशिका मर जाएगी, क्योंकि यह झिल्ली कोशिका की सुरक्षा करती है और अन्दर-बाहर के पदार्थों का आदान-प्रदान नियंत्रित करती है।

4. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?

यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका में बनने वाले प्रोटीन और वसा का संशोधन, पैकेजिंग और स्थानांतरण नहीं हो पाएगा। इससे कोशिका के कई कार्य रुक जाएंगे और कोशिका की वृद्धि व विकास बाधित होगा।

5. कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?

माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका में ऊर्जा (ATP) का उत्पादन करता है, जो जीवन के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है।

6. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
कोशिका झिल्ली के निर्माण में उपयोग होने वाले लिपिड्स का संश्लेषण स्मूद एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (SER) में तथा प्रोटीन का संश्लेषण रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (RER) में होता है।

7. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
अमीबा झूठे पाँव (Pseudopodia) बनाकर भोजन कणों को घेर लेता है और उसे अपने अंदर खींच लेता है। इस प्रक्रिया को फैगोसाइटोसिस कहते हैं।

8. परासरण क्या है?
परासरण वह प्रक्रिया है जिसमें अर्धपारगम्य झिल्ली के पार कम सान्द्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन की ओर जल का प्रवाह होता है।

9. परासरण प्रयोग और उत्तर

(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
कप ‘B’ और ‘C’ में चीनी और नमक होने के कारण वहाँ उच्च सान्द्रता का घोल बना। बाहरी पानी परासरण द्वारा अंदर गया और वहाँ जल एकत्र हुआ।

(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
कप ‘A’ एक नियंत्रण (Control) के रूप में कार्य करता है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि जल का प्रवेश केवल सान्द्रता के कारण हुआ।

(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
‘A’ में कोई घुलनशील पदार्थ नहीं था जिससे परासरण नहीं हुआ। ‘D’ कप उबला होने के कारण उसकी कोशिका झिल्लियाँ नष्ट हो गई थीं और वह परासरण नहीं कर सका।

10. कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएं?
कायिक वृद्धि और मरम्मत के लिए मिटोसिस (Mitosis) नामक कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे समान संख्या में गुणसूत्रों वाली दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।

11. युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्व बताएं।
युग्मकों (गैमेट्स) के निर्माण हेतु मियोसिस (Meiosis) होता है। यह विभाजन गुणसूत्रों की संख्या को आधा कर देता है जिससे निषेचन के समय संतति में गुणसूत्रों की संख्या स्थिर बनी रहती है।


कोशिका – जीवन की इकाई : 20 MCQs with Answers

Q1. कोशिका का अध्ययन किस वैज्ञानिक ने किया था?
उत्तर: रॉबर्ट हुक

Q2. किस कोशिका में दीवार पाई जाती है?
उत्तर: पादप कोशिका

Q3. कोशिका का शक्ति घर किसे कहा जाता है?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया

Q4. प्लास्टिड किसमें पाए जाते हैं?
उत्तर: पादप कोशिकाओं में

Q5. लाइसोसोम को क्या कहा जाता है?
उत्तर: आत्मघाती थैली

Q6. राइबोसोम का कार्य क्या है?
उत्तर: प्रोटीन संश्लेषण

Q7. कोशिका झिल्ली किससे बनी होती है?
उत्तर: लिपिड और प्रोटीन

Q8. गॉल्जी उपकरण का कार्य क्या है?
उत्तर: पदार्थों का संशोधन और पैकेजिंग

Q9. परासरण किससे संबंधित है?
उत्तर: अर्धपारगम्य झिल्ली से

Q10. अमीबा भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर: झूठे पादों (pseudopodia) द्वारा

Q11. कोशिका सिद्धांत किसने दिया?
उत्तर: श्लाइडन और श्वान

Q12. यूकैरियोटिक कोशिकाओं में क्या विशेषता होती है?
उत्तर: सुसंगठित नाभिक

Q13. रसधानी किसमें अधिक विकसित होती है?
उत्तर: पादप कोशिका में

Q14. DNA कहाँ पाया जाता है?
उत्तर: नाभिक में

Q15. कोशिका विभाजन में कौन-कौन से चरण होते हैं?
उत्तर: इंटरफेज़, माइटोटिक चरण

Q16. माइटोसिस किसके लिए आवश्यक होता है?
उत्तर: कायिक वृद्धि और मरम्मत

Q17. मेयोसिस में कितने कोशिकाएँ बनती हैं?
उत्तर: चार

Q18. जीवाणु किस प्रकार की कोशिका होती है?
उत्तर: प्रोकैरियोटिक

Q19. कोशिका का तरल भाग क्या कहलाता है?
उत्तर: साइटोप्लाज्म

Q20. क्लोरोप्लास्ट में कौन-सा रंजक पाया जाता है?
उत्तर: क्लोरोफिल

कक्षा 9 विज्ञान – अध्यायवार सूची (2025-26)

  1. हमारे आस-पास के पदार्थ
  2. क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?
  3. परमाणु एवं अणु
  4. परमाणु की संरचना
  5. जीवन की मौलिक इकाई
  6. ऊतक
  7. गति
  8. बल तथा गति के नियम
  9. गुरुत्वाकर्षण
  10. कार्य तथा ऊर्जा
  11. ध्वनि
  12. खाद्य संसाधनों में सुधार


कक्षा 9 विज्ञान के सभी अध्याय – NCERT आधारित

यहाँ आपको कक्षा 9 के विज्ञान विषय के सभी अध्याय मिलेंगे जो NCERT सिलेबस पर आधारित हैं। ये अध्याय UP Board, CBSE और Bihar Board सहित सभी प्रमुख भारतीय शैक्षणिक बोर्डों के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हर अध्याय के साथ सरल भाषा में सारांश, प्रश्नोत्तर, MCQ, और महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकें।

कक्षा 9 विज्ञान class 9 Science NCERT Notes

विशेषताएं:

  • पूरी तरह NCERT आधारित कंटेंट है।
  • CBSE, UP Board, Bihar Board के लिए उपयुक्त हैं।
  • प्रत्येक अध्याय के लिए प्रश्नोत्तर, MCQs और संक्षिप्त नोट्स हैं।
  • परीक्षा उपयोगी और सरल भाषा में लिखा गया है।

किस-किस बोर्ड के लिए उपयोगी?

यह कंटेंट विशेष रूप से उन छात्रों के लिए बनाया गया है जो CBSE, UP Board और Bihar Board के छात्र हैं। पाठ्यक्रम पूरी तरह से NCERT किताबों पर आधारित है। ये सभी अध्याय भारत के प्रमुख बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में मददगार हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: क्या यह सभी पाठ कक्षा 9 के पूरे सिलेबस को कवर करते हैं?

हाँ, ये सभी अध्याय NCERT कक्षा 9 विज्ञान की पुस्तक से लिए गए हैं और पूरी पुस्तक को कवर करते हैं।

Q2: क्या यह UP Board और Bihar Board के लिए भी मान्य है?

बिलकुल, क्योंकि UP Board और Bihar Board भी NCERT आधारित पाठ्यक्रम को ही फॉलो करते हैं।

Q3: क्या इसमें Objective (MCQ) Questions भी मिलेंगे?

हाँ, प्रत्येक अध्याय के अंत में आपको MCQs और अन्य अभ्यास प्रश्न भी मिलेंगे।

कक्षा 9 विज्ञान – सभी अध्यायों का सारांश (NCERT आधारित)

कक्षा 9 विज्ञान का पाठ्यक्रम छात्रों को वैज्ञानिक सोच विकसित करने और जीवन से जुड़ी बुनियादी अवधारणाओं को समझने में मदद करता है। इसमें विभिन्न विषयों जैसे रसायन, भौतिकी और जीवविज्ञान को संतुलित रूप से शामिल किया गया है।

अध्याय “हमारे आस-पास के पदार्थ” में पदार्थों की भौतिक अवस्थाओं, विशेषताओं और परिवर्तनशीलता की जानकारी दी गई है। इसके बाद “क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं?” में मिश्रण, विलयन, मिश्रधातु, और पृथक्करण तकनीकों जैसे छानना, वाष्पीकरण, और क्रिस्टलीकरण की विधियाँ समझाई गई हैं।

“परमाणु एवं अणु” अध्याय में पदार्थ के निर्माण में आने वाले कणों जैसे परमाणु, अणु, अणुभार, रासायनिक सूत्र आदि की जानकारी दी गई है। फिर “परमाणु की संरचना” में थॉमसन, रदरफोर्ड और बोहर के परमाणु मॉडल, तथा इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की खोज और स्थान का अध्ययन कराया गया है।

“जीवन की मौलिक इकाई” अध्याय कोशिका की संरचना, प्रकार (पशु और पौधों की कोशिका), अंगकों जैसे न्यूक्लियस, माइटोकॉन्ड्रिया आदि की भूमिका पर केंद्रित है। “ऊतक” में पौधों और जन्तुओं के ऊतकों जैसे स्थायी और जलीय ऊतक, पेशीय ऊतक, तंत्रिका ऊतक का अध्ययन किया गया है।

“गति” अध्याय में चाल, वेग, त्वरण, गति के ग्राफ और समीकरणों की मदद से वस्तुओं की गति को समझाया गया है। “बल तथा गति के नियम” में न्यूटन के गति के तीन नियम, बल, संवेग और उनके परस्पर संबंधों को उदाहरणों सहित समझाया गया है।

“गुरुत्वाकर्षण” में पृथ्वी का आकर्षण बल, वस्तुओं का भार और द्रव्यमान, तैरती वस्तुएँ, तथा आर्किमिडीज का सिद्धांत बताया गया है। “कार्य तथा ऊर्जा” में कार्य के प्रकार, ऊर्जा के रूप, गतिज और स्थितिज ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण और पावर की गणनाओं को शामिल किया गया है।

“ध्वनि” अध्याय में ध्वनि की उत्पत्ति, संचरण, गुण, पिच, प्रतिध्वनि और श्रवण सीमा को सरल भाषा में समझाया गया है। अंत में “खाद्य संसाधनों में सुधार” में कृषि, पशुपालन, फसल सुधार, खाद्य संरक्षण और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।



 

 

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