विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव – Class 10 Science Chapter 13 | Notes, MCQs, Questions & Solutions in Hindi

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पाठ 13 – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

क्या आपने कभी देखा है कि विद्युत धारा प्रवाहित करते समय किसी तार के पास कंपास की सुई हिलने लगती है? यह एक आश्चर्यजनक वैज्ञानिक सिद्धांत की ओर इशारा करता है, जिसे हम कहते हैं – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव। इस अध्याय में हम जानेंगे कि किस प्रकार विद्युत धारा के प्रवाह से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और कैसे यह हमारे जीवन में उपयोगी है।

हंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड द्वारा 1820 में की गई खोज के अनुसार, जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह सिद्धांत विज्ञान की दुनिया में एक नई क्रांति लेकर आया और इसके आधार पर कई आधुनिक उपकरण जैसे – इलेक्ट्रिक मोटर, विद्युत घंटी, और ट्रांसफॉर्मर विकसित हुए।

📘 रोचक तथ्य:
विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव वही सिद्धांत है जिस पर MRI मशीन, मेटल डिटेक्टर और स्पीकर जैसे डिवाइस कार्य करते हैं।

इस अध्याय में हम अध्ययन करेंगे:

  • विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
  • चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारण – दाहिने हाथ का नियम
  • विद्युत मोटर का कार्य सिद्धांत
  • विद्युत चुंबक और विद्युत घंटी
  • विद्युत प्रवाह की सुरक्षा – फ्यूज और MCB

इस पाठ का उद्देश्य यह समझना है कि किस प्रकार विज्ञान और तकनीक का मेल हमारे जीवन को सुगम बनाता है। आगे हम प्रत्येक टॉपिक को उदाहरणों, चित्रों और प्रयोगों के माध्यम से विस्तारपूर्वक समझेंगे।

हंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड (Hans Christian Ørsted)

हंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड एक डेनिश भौतिक विज्ञानी और रसायनज्ञ थे, जिन्होंने 1820 में यह महत्वपूर्ण खोज की कि विद्युत धारा के प्रवाह से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह विज्ञान के इतिहास की सबसे क्रांतिकारी खोजों में से एक मानी जाती है।

उन्होंने प्रयोग करते हुए देखा कि जैसे ही एक विद्युत धारा वाले तार के पास चुंबकीय सुई (कंपास) रखी जाती है, वह अपनी दिशा बदल देती है। इससे यह सिद्ध हुआ कि विद्युत और चुंबकत्व (Electricity & Magnetism) आपस में जुड़े हुए हैं।

ऑर्स्टेड की यह खोज ही आगे चलकर एंपियर, फैराडे, और मैक्सवेल जैसे वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा बनी, जिन्होंने विद्युत-चुंबकीय सिद्धांत को और विकसित किया।

जन्म: 14 अगस्त 1777, डेनमार्क
मृत्यु: 9 मार्च 1851

चुंबकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएं

जब कोई चुंबक अपने चारों ओर अन्य चुंबकीय वस्तुओं पर बल का प्रभाव डालता है, तो उस क्षेत्र को चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) कहा जाता है। यह एक अदृश्य क्षेत्र होता है जिसमें चुंबकीय बल कार्य करता है।

परिभाषा:
चुंबकीय क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें किसी चुंबक या विद्युत धारा द्वारा प्रभावित स्थानों पर चुंबकीय बल कार्य करता है।

चुंबकीय क्षेत्र की कल्पना और चित्रण के लिए हम चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं बनाते हैं। ये रेखाएं यह दर्शाती हैं कि किसी बिंदु पर चुंबकीय बल की दिशा क्या है और उसका प्रभाव कितना अधिक है।

चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की विशेषताएँ

  • ये रेखाएं उत्तर (North) से दक्षिण (South) ध्रुव की ओर बाहर जाती हैं।
  • चुंबक के अंदर ये रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर चलती हैं, जिससे यह एक पूर्ण लूप बनाती हैं।
  • जहाँ रेखाएं पास-पास होती हैं, वहाँ चुंबकीय बल अधिक होता है।
  • ये रेखाएं कभी एक-दूसरे को काटती नहीं हैं।
📘 ध्यान दें:
यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक बिंदु पर कटें, तो उस बिंदु पर चुंबकीय बल की दो दिशाएँ होंगी – जो संभव नहीं है। इसलिए क्षेत्र रेखाएं कभी एक-दूसरे को नहीं काटतीं।

तुलना तालिका: चुंबकीय क्षेत्र बनाम क्षेत्र रेखाएं

चुंबकीय क्षेत्र चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं
यह वह स्थान है जहाँ चुंबकीय बल कार्य करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाने वाली काल्पनिक रेखाएं हैं।
दृष्टिगोचर नहीं होता। दृष्टिगत रूप से चित्रित किया जा सकता है।
यह बल की दिशा और प्रभाव बताता है। यह दिशा और घनत्व दोनों दर्शाती हैं।

चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को लोहे की बुरादे (Iron filings) का प्रयोग करके देखा जा सकता है, जहाँ ये चुंबकीय क्षेत्र के पैटर्न के अनुसार व्यवस्थित हो जाती हैं।

दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम (Right-Hand Thumb Rule)

जब किसी सीधे चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर एक वृत्तीय चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का निर्धारण करने के लिए एक सरल नियम का प्रयोग किया जाता है, जिसे हम दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम कहते हैं।

📌 नियम:
यदि आप अपने दाहिने हाथ को इस प्रकार रखें कि अंगुष्ठ (Thumb) विद्युत धारा की दिशा में संकेत करे, तो मुड़ी हुई उंगलियों की दिशा उस चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाएगी।

कैसे करें प्रयोग:

  • अपने दाहिने हाथ को इस प्रकार पकड़ें कि अंगुष्ठ सीधा हो और बाकी उंगलियां मुड़ी हों।
  • अंगुष्ठ को उस दिशा में रखें जिस दिशा में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है (धनात्मक से ऋणात्मक)।
  • उंगलियों की गोलाई जिस दिशा में है, वही चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होगी।
ध्यान दें:
यह नियम केवल सीधे चालक के लिए प्रयुक्त होता है। कुंडल (coil) या वृताकार तार में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा जानने के लिए दूसरे नियमों का प्रयोग किया जाता है।

तुलना: दक्षिण हस्त नियम बनाम चुंबकीय क्षेत्र दिशा

घटक दिशा
विद्युत धारा अंगुष्ठ की दिशा में
चुंबकीय क्षेत्र उंगलियों की वक्र दिशा में

उदाहरण:

यदि एक ऊर्ध्वाधर चालक में विद्युत धारा ऊपर की ओर प्रवाहित हो रही है, और आप दाहिना हाथ अंगुष्ठ ऊपर की ओर रखें, तो आपकी उंगलियों की दिशा में (घड़ी की दिशा में) चुंबकीय क्षेत्र होगा।

अभ्यास प्रश्न: चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ

1. किसी छड़-चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।

उत्तर: छड़-चुंबक (Bar Magnet) के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ इस प्रकार होती हैं:

  • रेखाएं चुंबक के उत्तर (North) ध्रुव से निकलती हैं और दक्षिण (South) ध्रुव में प्रविष्ट होती हैं।
  • चुंबक के अंदर रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर जाती हैं, जिससे यह एक बंद लूप बनाती हैं।

इन रेखाओं को आरेख के रूप में चित्रित किया जाता है, जैसे:

छड़-चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र आरेख

2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।

🔍 चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के मुख्य गुण:

  • रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर चुंबक के बाहर तथा दक्षिण से उत्तर की ओर चुंबक के अंदर चलती हैं।
  • यह रेखाएं हमेशा बंद वक्र (closed curves) होती हैं।
  • रेखाओं का घनत्व (density) उस क्षेत्र में चुंबकीय बल की तीव्रता को दर्शाता है।
  • रेखाएं कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं
  • जहाँ रेखाएं पास-पास होती हैं, वहाँ चुंबकीय बल अधिक होता है।

3. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?

उत्तर: यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें, तो उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी, जो भौतिक रूप से असंभव है। चूंकि किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की केवल एक ही स्पष्ट दिशा हो सकती है, इसलिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं।

विद्युत धारावाही वृताकार पाश के कारण चुंबकीय क्षेत्र

जब किसी चालक तार को वृताकार रूप (Circle/Loop) में मोड़ दिया जाता है और उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो यह एक विशेष प्रकार का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र वृत के केंद्र पर सबसे अधिक तीव्र होता है और रेखाएं केंद्र पर सीधी एवं समानांतर होती हैं।

परिभाषा:
विद्युत धारावाही वृताकार चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र एक केंद्रित क्षेत्र होता है, जो चालक के केंद्र पर सीधा और लंबवत होता है, और तार के हर बिंदु का क्षेत्र केंद्र में जुड़कर इसे मजबूत बनाता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम से ज्ञात किया जाता है।
  • वृत्त के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होती है।
  • यदि वृत में एक से अधिक कुंडल हो (N turns), तो चुंबकीय क्षेत्र भी N गुना बढ़ जाता है।
  • वृत्त से दूर जाने पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कम हो जाती है।

Circular Loop Magnetic Field

चित्र: विद्युत धारावाही वृताकार पाश के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र

सूत्र (केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र):

B = (μ₀ × I) / (2R)

जहाँ,
B = चुंबकीय क्षेत्र (Tesla में)
μ₀ = निर्वात में पारगम्यता (4π × 10⁻⁷ Tm/A)
I = विद्युत धारा (A)
R = पाश की त्रिज्या (meter में)

उदाहरण:

यदि किसी 10 cm त्रिज्या वाले वृताकार तार में 5 A की धारा प्रवाहित की जाए, तो उसके केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र कितना होगा?
समाधान:

R = 0.1 m, I = 5 A
⇒ B = (4π × 10⁻⁷ × 5) / (2 × 0.1) = 3.14 × 10⁻⁵ T

परीनलिका में प्रवाहित विद्युत धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र

जब एक लंबे चालक तार को सर्पिल रूप (helical form) में कसकर लपेटा जाता है, तो उसे परीनलिका (Solenoid) कहा जाता है। यदि इस सोलनॉइड में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए, तो उसके अंदर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जो एक छड़-चुंबक के समान होता है।विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

परिभाषा:
सोलनॉइड एक लंबे तार की ऐसी कुंडली है जिसमें प्रत्येक लपेट एक वृत बनाता है और सभी लपेट एक-दूसरे के समानांतर होते हैं। जब इसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो यह एक समान चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • परीनलिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र समान और सीधा होता है।
  • परीनलिका के बाहर चुंबकीय क्षेत्र कमजोर और असमान होता है।
  • धारा की दिशा बदलने से चुंबकीय क्षेत्र की दिशा भी बदल जाती है।
  • यह एक द्विध्रुवीय चुंबक की तरह कार्य करता है – जिसमें एक सिरा उत्तर और दूसरा दक्षिण ध्रुव की तरह होता है।

Solenoid Magnetic Field

चित्र: परिनालिका में विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र

चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र:

B = μ₀ × n × I

जहाँ,
B = चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (Tesla)
μ₀ = वैक्यूम में चुंबकीय पारगम्यता (4π × 10⁻⁷ Tm/A)
n = प्रति मीटर कुंडलों की संख्या (turns per meter)
I = प्रवाहित धारा (Ampere)

उदाहरण:

यदि एक परिनालिका में प्रति मीटर 1000 कुंडल हों और उसमें 2A की धारा प्रवाहित हो, तो अंदर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र क्या होगा?

B = μ₀ × n × I = 4π × 10⁻⁷ × 1000 × 2 ≈ 2.51 × 10⁻³ T

परीनलिका का उपयोग:

  • इलेक्ट्रोमैग्नेट बनाने में
  • विद्युत घंटी, ट्रांसफॉर्मर और मोटर में
  • विज्ञान प्रयोगों में स्थायी चुंबक के स्थान पर

अभ्यास प्रश्न उत्तर (विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव)

1. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।

उत्तर: दक्षिणावर्त (clockwise) विद्युत धारा का अर्थ है कि धारा का प्रवाह घड़ी की दिशा में है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार:

  • पाश के भीतर (केंद्र में) चुंबकीय क्षेत्र नीचे की ओर (मेज के अंदर) होगा।
  • पाश के बाहर चुंबकीय क्षेत्र ऊपर की ओर (मेज से बाहर) होगा।

वृत्ताकार पाश में चुंबकीय क्षेत्र दिशा

चित्र: वृत्ताकार पाश में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा (दक्षिणावर्त धारा)

2. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।

उत्तर: एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाने के लिए समांतर रेखाएं बनाई जाती हैं, जो एक दिशा में हों और आपस में समान दूरी पर हों।

Uniform Magnetic Field

चित्र: एकसमान चुंबकीय क्षेत्र का आरेख

3. सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न: किसी विद्युत धारावाहीं सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र –

  1. शून्य होता है।
  2. इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
  3. इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
  4. सभी बिंदुओं पर समान होता है। ✅
सही उत्तर: (d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
स्पष्टीकरण: लंबी और सघन परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र एकसमान और समान दिशा में होता है, जो केंद्र में सबसे तीव्र होता है।

 

चुंबकीय क्षेत्र में किसी धारावाही चालक पर बल

जब किसी विद्युत धारावाही चालक को किसी बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस पर एक यांत्रिक बल कार्य करता है। यह बल चालक की धारा की दिशा और चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दोनों पर निर्भर करता है।विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

📌 नियम: यदि कोई चालक किसी चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा गया है कि उसमें धारा प्रवाहित हो रही है और वह क्षेत्र को काटता है, तो उस चालक पर चुंबकीय बल कार्य करता है। इस बल की दिशा फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम (Fleming’s Left-Hand Rule) द्वारा ज्ञात की जाती है।

फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम:

यदि आप अपना बायाँ हाथ इस प्रकार रखें कि:

  • पहली उंगली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दिखाए (उत्तर से दक्षिण)
  • बीच की उंगली धारा की दिशा दिखाए (धनात्मक से ऋणात्मक)
  • तो अंगूठा उस चालक पर लगने वाले बल की दिशा दिखाएगा

Fleming's Left Hand Rule Diagram

चित्र: फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम

बल की मात्रा (Formula):

F = B × I × L × sinθ

जहाँ,
F = चालक पर लगने वाला बल (Newton)
B = चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (Tesla)
I = प्रवाहित धारा (Ampere)
L = चालक की लंबाई (meter)
θ = धारा और चुंबकीय क्षेत्र के बीच कोण

विशेष तथ्य:

  • यदि धारा और चुंबकीय क्षेत्र समान दिशा में हैं, तो बल = 0 (θ = 0°)
  • बल अधिकतम तब होता है जब θ = 90° यानी धारा और क्षेत्र एक-दूसरे को लंबवत काटते हैं।
  • यह सिद्धांत विद्युत मोटर की कार्यविधि का मूल है।

उदाहरण:

यदि 0.1 m लंबा चालक, 5 A धारा, और 0.5 T के चुंबकीय क्षेत्र में रखा गया हो तथा θ = 90° हो, तो:
F = BIL sinθ = 0.5 × 5 × 0.1 × sin90° = 0.25 N
यानी चालक पर लगने वाला बल = 0.25 न्यूटन

फ्लेमिंग के बाएं हाथ का नियम (Fleming’s Left-Hand Rule)

जब किसी विद्युत धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में लंबवत रखा जाता है, तो उस पर एक यांत्रिक बल कार्य करता है। इस बल की दिशा ज्ञात करने के लिए हम फ्लेमिंग का बायाँ हाथ नियम (Fleming’s Left-Hand Rule) का प्रयोग करते हैं।

📌 नियम का कथन:
यदि हम अपने बाएँ हाथ को इस प्रकार रखें कि:

  • पहली उंगली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाए (उत्तर से दक्षिण)
  • बीच की उंगली विद्युत धारा की दिशा दर्शाए (धनात्मक से ऋणात्मक)
  • तो अंगूठा उस चालक पर लगने वाले बल की दिशा दर्शाएगा

दिशा की समझ:

यह नियम चुंबकीय बल की दिशा को जानने में सहायक होता है जब:

  • धारा चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत हो
  • कंडक्टर चुंबकीय क्षेत्र में हो

Fleming's Left Hand Rule Diagram

चित्र: फ्लेमिंग का बायाँ हाथ नियम

अनुप्रयोग:

  • विद्युत मोटर (Electric Motor) की कार्यविधि में
  • लाउडस्पीकर और विद्युत घंटी में
  • चुंबकीय बल की दिशा ज्ञात करने हेतु

याद रखने की ट्रिक:

FBI:

  • F = Force (अंगूठा)
  • B = Magnetic Field (पहली उंगली)
  • I = Current (बीच की उंगली)

अभ्यास प्रश्न: चुंबकीय क्षेत्र और विद्युत धारा

1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है?

  • (a) द्रव्यमान ❌
  • (b) चाल ✅
  • (c) वेग ✅
  • (d) संवेग ✅
स्पष्टीकरण:
चुंबकीय क्षेत्र में प्रोटॉन की गति की दिशा बदलती है, जिससे उसका वेग (Velocity) और संवेग (Momentum) बदलता है, लेकिन चाल (Speed) और द्रव्यमान स्थिर चुंबकीय क्षेत्र में लगभग समान रह सकते हैं। यदि कण घूमता है (circular motion), तो चाल स्थिर रहती है लेकिन दिशा बदलती है। इसलिए (b), (c), और (d) सही उत्तर हैं।

2. क्रियाकलाप 12.7: छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा?

यदि:

  • (i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए: बल बढ़ जाएगा, क्योंकि बल F = BIL पर निर्भर करता है।
  • (ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए: चुंबकीय क्षेत्र B अधिक होगा, अतः बल बढ़ेगा
  • (iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए: लंबाई L अधिक होने से भी बल बढ़ेगा
निष्कर्ष:
तीनों स्थितियों में छड़ पर कार्य करने वाला बल बढ़ेगा, जिससे छड़ का विस्थापन बढ़ेगा

3. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?

  • (a) दक्षिण की ओर ❌
  • (b) पूर्व की ओर ❌
  • (c) अधोमुखी ✅
  • (d) उपरिमुखी ❌
सही उत्तर: (c) अधोमुखी (Into the page)
स्पष्टीकरण:
फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम का प्रयोग करें:
– पहली उंगली: चुंबकीय क्षेत्र (B) → “?”
– मध्य उंगली: धारा की दिशा (I) → पश्चिम
– अंगूठा: बल की दिशा (F) → उत्तर
इस आधार पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा अधोमुखी (page के अंदर) होगी।

औषधि में चुंबकत्व (Magnetism in Medicine)

चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग केवल विद्युत मोटर या विज्ञान प्रयोगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रयोग आधुनिक चिकित्सा (मेडिकल साइंस) में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसे हम “औषधि में चुंबकत्व” कहते हैं।

📌 परिभाषा:
चिकित्सा क्षेत्र में जब चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग रोगों की पहचान, उपचार या स्कैनिंग के लिए किया जाता है, तो उसे “औषधि में चुंबकत्व” कहा जाता है।

प्रमुख उपयोग:

  • एम.आर.आई. (MRI – Magnetic Resonance Imaging): यह एक अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग कर शरीर के अंगों की आंतरिक संरचना की छवि प्राप्त करता है। यह कैंसर, चोट, मस्तिष्क रोग आदि की पहचान में सहायक है।
  • मैग्नेटोथैरेपी (Magnetotherapy): यह एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जिसमें शरीर पर चुंबकीय क्षेत्र डालकर रक्त प्रवाह, दर्द निवारण आदि किया जाता है।
  • सर्जरी में चुंबकीय उपकरण: सूक्ष्म चुम्बकीय उपकरणों द्वारा ट्यूमर निकालना आदि किया जाता है।

रोचक तथ्य:

  • मानव शरीर का रक्त लौह तत्व (Fe) युक्त होता है, इसलिए वह चुंबकीय क्षेत्र से थोड़ा प्रभावित होता है।
  • MRI में उपयोग होने वाला चुंबकीय क्षेत्र लगभग 10,000 गुना पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से अधिक होता है।
  • चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य उपचार (जैसे TMS – Transcranial Magnetic Stimulation) में भी किया जाता है।

निष्कर्ष:

चिकित्सा विज्ञान में चुंबकत्व एक प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। न केवल रोगों की पहचान बल्कि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में भी इसका प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। यह विज्ञान और स्वास्थ्य का सुंदर संगम है।

घरेलू विद्युत परिपथ (Household Electric Circuit)

हमारे घरों में उपयोग की जाने वाली विद्युत आपूर्ति 220 वोल्ट ए.सी. (AC) होती है, जिसकी आवृत्ति 50 Hz होती है। यह बिजली बिजलीघर से तारों के माध्यम से ट्रांसफॉर्मर और फिर घर तक पहुँचाई जाती है। इस संपूर्ण व्यवस्था को घरेलू विद्युत परिपथ कहते हैं।

📌 परिभाषा:
घरेलू विद्युत परिपथ वह विद्युत प्रणाली है जिसके माध्यम से बिजली को सुरक्षित रूप से घर के विभिन्न उपकरणों तक पहुँचाया जाता है। इसमें फ्यूज, स्विच, मीटर, सर्किट ब्रेकर आदि शामिल होते हैं।

घरेलू परिपथ के मुख्य घटक:

  • फेज़ तार (Live Wire): इसमें 220V की धारा होती है।
  • न्यूट्रल तार: यह एक शून्य पोटेंशियल पर होता है।
  • अर्थिंग तार: सुरक्षा हेतु उपयोग होता है, जिससे विद्युत झटके से बचाव होता है।
  • मुख्य फ्यूज: अधिक धारा बहने पर परिपथ को तोड़कर उपकरणों को सुरक्षा देता है।
  • M.C.B. (Miniature Circuit Breaker): यह स्वचालित सुरक्षा यंत्र है जो फ्यूज का आधुनिक रूप है।

घरेलू विद्युत परिपथ चित्र

चित्र: घरेलू विद्युत परिपथ का चित्र

मुख्य तथ्य:

  • घरेलू परिपथ में विभिन्न उपकरण समानांतर रूप से जोड़े जाते हैं ताकि हर एक को आवश्यक वोल्टेज मिल सके।
  • समानांतर संयोजन से यदि एक यंत्र खराब हो जाए, तो बाकी यंत्र प्रभावित नहीं होते।
  • MCB, फ्यूज की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और पुनः प्रयोज्य होता है।
  • अर्थिंग तार बिजली के रिसाव से सुरक्षा देता है।

सुरक्षा के उपाय:

  • सही रेटिंग वाले फ्यूज या MCB का प्रयोग करें।
  • गीले हाथों से स्विच या प्लग न छुएं।
  • अर्थिंग प्रणाली को हमेशा चालू रखें।
  • टूटे तार, खराब प्लग या नग्न तारों से बचें।

निष्कर्ष:

घरेलू विद्युत परिपथ को सुरक्षित, सही ढंग से संयोजित और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों से स्थापित करना आवश्यक है ताकि घर में बिजली का उपयोग बिना किसी खतरे के किया जा सके।

सूत्र सारणी – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

क्रमांक सूत्र विवरण
1 B ∝ I चुंबकीय क्षेत्र (B) चालक में प्रवाहित धारा (I) के अनुपाती होता है।
2 B ∝ 1/r चुंबकीय क्षेत्र (B) दूरी (r) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
3 F = BIL sinθ चुंबकीय क्षेत्र में विद्युत धारावाही चालक पर लगने वाला बल
4 अधिकतम बल = BIL (जब θ = 90°) जब चालक और चुंबकीय क्षेत्र परस्पर लंबवत हों
5 न्यूनतम बल = 0 (जब θ = 0° या 180°) जब चालक और चुंबकीय क्षेत्र समान दिशा में हों
6 Right-hand Thumb Rule धारा की दिशा = अंगूठा, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा = उंगलियों की घुमाव
7 Fleming’s Left-Hand Rule बल, धारा और क्षेत्र की दिशा का निर्धारण

अभ्यास प्रश्न: घरेलू विद्युत परिपथ

1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।

उत्तर:
विद्युत परिपथों में सामान्यतः निम्नलिखित दो सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं:

  1. फ्यूज (Fuse): यह परिपथ में धारा अधिक हो जाने पर गल कर परिपथ को तोड़ देता है।
  2. एम.सी.बी. (Miniature Circuit Breaker): यह एक स्वचालित यंत्र है जो अत्यधिक धारा प्रवाह पर परिपथ को रोक देता है।

2. 2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
दी गई शक्ति, P = 2 kW = 2000 W
वोल्टेज, V = 220 V
धारा की गणना करें:
I = P/V = 2000/220 ≈ 9.09 Aपरिपथ का अनुमत धारा मान = 5 A
चूँकि तंदूर 9.09 A की धारा खींचेगा जो अनुमत धारा (5 A) से अधिक है, अतः:

  • फ्यूज गल जाएगा
  • या MCB सक्रिय होकर परिपथ को तोड़ देगी
  • यह अतिभारण (overload) की स्थिति पैदा करेगा

3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तर:
अतिभारण से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

  • एक ही सॉकेट पर अनेक उच्च शक्ति उपकरणों को न चलाएँ
  • MCB या उपयुक्त रेटिंग का फ्यूज लगाएँ
  • अर्थिंग की उचित व्यवस्था करें
  • वायरिंग सही एवं सक्षम इलेक्ट्रिशियन द्वारा कराएँ
  • जले या ढीले प्लग, तार, सॉकेट का प्रयोग न करें

 

आपने क्या सीखा – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

  • दिक्सूची एक छोटा चुंबक होता है, जिसका उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाला सिरा उत्तर ध्रुव कहलाता है एवं दूसरा दक्षिण ध्रुव।
  • किसी चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र होता है, जिसमें चुंबकीय बल का प्रभाव अनुभव किया जा सकता है।
  • चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ उस पथ को दर्शाती हैं, जिसके अनुदिश परिकल्पित स्वतंत्र उत्तर ध्रुव गमन करता है। जहाँ क्षेत्र अधिक प्रबल होता है, वहाँ रेखाएँ निकट होती हैं।
  • किसी धारावाही चालक तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जो संकेंद्रित वृत्तों के रूप में होता है। इनकी दिशा दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।
  • विद्युत चुंबक एक ऐसा उपकरण है, जिसमें नर्म लौह-क्रोड के चारों ओर ताँबे के तार की कुंडली लिपटी होती है।
  • जब कोई धारावाही चालक चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस पर बल कार्य करता है। यदि धारा और क्षेत्र परस्पर लंबवत हों, तो बल की दिशा फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम द्वारा ज्ञात होती है।
  • हमारे घरों में विद्युत आपूर्ति 220 V, 50 Hz प्रत्यावर्ती धारा के रूप में होती है। यह तीन तारों के रूप में आती है:
    • लाल तार: विद्युन्मय (Live)
    • काला तार: उदासीन (Neutral)
    • हरा तार: भूसंपर्क (Earth)
  • भूसंपर्कण (Earthing) एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है, जो विद्युत झटके से बचाव करता है।
  • फ्यूज एक ऐसा यंत्र है, जो विद्युत परिपथ में लघुपथन या अतिभारण से होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करता है।

अभ्यास प्रश्न (MCQ) – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?

  • (a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।
  • (b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
  • (c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
  • (d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है। ✅
स्पष्टीकरण:
किसी लंबे सीधे विद्युत धारावाही तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र संकेंद्री वृत्ताकार होता है। इन क्षेत्र रेखाओं का केंद्र वह तार होता है, जिससे धारा प्रवाहित हो रही है। इनकी दिशा दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा निर्धारित होती है।

2. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान –

  • (a) बहुत कम हो जाता है।
  • (b) परिवर्तित नहीं होता।
  • (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है। ✅
  • (d) निरंतर परिवर्तित होता है।
स्पष्टीकरण:
जब किसी परिपथ में लघुपथन (short circuit) होता है, तब विद्युत प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है। फलस्वरूप परिपथ में बहने वाली धारा का मान अचानक बहुत अधिक बढ़ जाता है, जो उपकरणों को नुकसान पहुँचा सकता है। इसी कारण से फ्यूज या MCB जैसे सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

3. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए:

  • (a) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।  (सही)
  • (b) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।  (गलत)
स्पष्टीकरण:
(a) लंबी कुंडली (सोलनॉइड) के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ समानांतर सीधी होती हैं।
(b) हरे रंग का तार भू-संपर्क (Earthing) तार होता है, न कि विद्युन्मय (Live)।

4. चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।

उत्तर:
चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के दो मुख्य तरीके:

  1. किसी धारावाही चालक तार से धारा प्रवाहित करके
  2. विद्युत चुंबक का उपयोग करके (ताँबे की कुंडली और लौह क्रोड)

5. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?

उत्तर:
जब चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा और चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत कोण हो (90°), तब चालक पर लगने वाला बल अधिकतम होता है।

6. एक चैंबर में आपकी पीठ दीवार से लगी है और एक इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे से सामने की ओर क्षैतिज गमन कर रहा है तथा दाईं ओर विक्षेपित हो रहा है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?

उत्तर:
इलेक्ट्रॉन पुंज की दिशा: पीछे से सामने
विक्षेपण की दिशा: दाईं ओर
कण ऋणावेशित है, अतः फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम को विपरीत रूप से लागू करें।इस स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होगी — नीचे की ओर (अधोमुखी), यानी चैंबर के फर्श की ओर।

7. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए:

  1. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र –
    दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम (Right-hand Thumb Rule)
  2. किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल –
    फ्लेमिंग का बायाँ हाथ नियम (Fleming’s Left Hand Rule)

स्पष्टीकरण:

  • दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम: यदि हम सीधे चालक में धारा की दिशा में दाहिने हाथ का अंगूठा रखें, तो मुड़ी हुई उंगलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती हैं।
  • फ्लेमिंग का बायाँ हाथ नियम: बाएँ हाथ की तर्जनी को चुंबकीय क्षेत्र की दिशा, बीच की अंगुली को धारा की दिशा में रखने पर अंगूठा बल की दिशा बताता है।

8. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?

उत्तर:
जब किसी परिपथ में विद्युन्मय (Live) तथा उदासीन (Neutral) तार आपस में सीधे संपर्क में आ जाते हैं, बिना किसी अवरोध (लोड) के, तब परिपथ में लघुपथन (Short Circuit) होता है।इससे प्रतिरोध शून्य के निकट हो जाता है और धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, जो उपकरणों को नुकसान पहुँचा सकती है तथा आग भी लग सकती है।

9. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर:
भूसंपर्क तार (Earth Wire) का कार्य है – बिजली के किसी भी रिसाव को सीधे जमीन में प्रवाहित कर देना, जिससे बिजली के झटकों से सुरक्षा मिलती है।धातु के आवरण वाले साधित्रों को भूसंपर्कित करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यदि विद्युत धारा गलती से उनके आवरण में चली जाए, तो उपयोगकर्ता को झटका लग सकता है। भूसंपर्क तार उस धारा को जमीन में प्रवाहित कर देता है और व्यक्ति की सुरक्षा करता है।

 

Top 20 MCQs – विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव (Class 10)

1. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ दर्शाती हैं –
(a) बल की मात्रा
(b) चुंबकीय बल की दिशा
(c) क्षेत्र का रंग
(d) विद्युत धारा की दिशा

 सही उत्तर: (b)

 

2. दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम से ज्ञात की जाती है –
(a) विद्युत धारा की मात्रा
(b) चुंबकीय क्षेत्र की दिशा
(c) बल की दिशा
(d) कोई नहीं

 सही उत्तर: (b)

 

3. फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम किसके लिए प्रयोग होता है?
(a) प्रेरित धारा की दिशा
(b) चुंबकीय क्षेत्र की दिशा
(c) चालक पर लगने वाले बल की दिशा
(d) वोल्टेज की दिशा

 सही उत्तर: (c)

 

4. विद्युत चुंबक में किस धातु का प्रयोग क्रोड के रूप में होता है?
(a) ताँबा
(b) लोहा
(c) जस्ता
(d) एल्युमिनियम

 सही उत्तर: (b)

 

5. MCB का पूरा नाम क्या है?
(a) Mini Circuit Breaker
(b) Micro Circuit Breaker
(c) Miniature Circuit Breaker
(d) Maximum Circuit Breaker

सही उत्तर: (c)

 

6. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा –
(a) बहुत कम हो जाती है
(b) परिवर्तित नहीं होती
(c) बहुत अधिक बढ़ जाती है
(d) निरंतर परिवर्तित होती है

 सही उत्तर: (c)

 

7. भू-संपर्क तार का रंग होता है –
(a) लाल
(b) नीला
(c) हरा
(d) पीला

 सही उत्तर: (c)

 

8. भारत में विद्युत आपूर्ति की आवृत्ति होती है –
(a) 60 Hz
(b) 50 Hz
(c) 220 Hz
(d) 110 Hz

 सही उत्तर: (b)

 

9. विद्युत मोटर में ऊर्जा का रूपांतरण होता है –
(a) यांत्रिक से विद्युत
(b) विद्युत से यांत्रिक
(c) ऊष्मा से यांत्रिक
(d) रासायनिक से विद्युत

सही उत्तर: (b)

 

10. विद्युत चुंबक का उपयोग होता है –
(a) टोस्टर में
(b) रेडियो में
(c) स्क्रैप उठाने में
(d) टीवी में

 सही उत्तर: (c)

 

11. विद्युत धारा की दिशा और चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत होने पर बल –
(a) न्यूनतम होता है
(b) अधिकतम होता है
(c) शून्य होता है
(d) कोई प्रभाव नहीं होता

सही उत्तर: (b)

 

12. किसी चुंबक का उत्तर ध्रुव –
(a) दक्षिण की ओर इंगित करता है
(b) उत्तर की ओर इंगित करता है
(c) कोई निश्चित दिशा नहीं
(d) ऊपर की ओर इंगित करता है

✔सही उत्तर: (b)

 

13. विद्युत धारा बंद करते ही विद्युत चुंबक –
(a) स्थायी चुंबक बन जाता है
(b) और अधिक शक्तिशाली हो जाता है
(c) अपना चुंबकीय गुण खो देता है
(d) गर्म हो जाता है

 सही उत्तर: (c)

 

14. विद्युत धारा प्रवाहित करने पर सीधी तार के चारों ओर –
(a) बल रेखाएँ समांतर होती हैं
(b) संकेंद्री वृत्ताकार रेखाएँ बनती हैं
(c) कोई प्रभाव नहीं होता
(d) क्षेत्र शून्य होता है

 सही उत्तर: (b)

 

15. किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखे चालक पर बल का दिशा ज्ञात की जाती है –
(a) दाएँ हाथ के नियम से
(b) बाएँ हाथ के नियम से
(c) दोनों से
(d) कोई नहीं

 सही उत्तर: (b)

 

16. विद्युत परिपथ में सुरक्षा के लिए प्रयोग होता है –
(a) मोटर
(b) फ्यूज
(c) पंखा
(d) चुंबक

 सही उत्तर: (b)

 

17. फ्यूज कार्य करता है –
(a) विद्युत मोटर चालू करने में
(b) लघुपथन से सुरक्षा हेतु
(c) हीटर चलाने में
(d) पंखे की गति बढ़ाने में

 सही उत्तर: (b)

 

18. विद्युत मोटर का उपयोग नहीं होता –
(a) वाशिंग मशीन
(b) पंखे
(c) रेफ्रिजरेटर
(d) वोल्टमीटर

✔सही उत्तर: (d)

 

19. वृत्ताकार पाश में चुंबकीय क्षेत्र का केंद्र पर दिशा होती है –
(a) पाश के समांतर
(b) धारा की दिशा में
(c) धारा के लंबवत
(d) सभी सही

 सही उत्तर: (c)

 

20. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती क्योंकि –
(a) वे अर्धवृत्त होती हैं
(b) क्षेत्र कमजोर होता है
(c) एक बिंदु पर दो दिशाएँ नहीं हो सकती
(d) वे अस्थायी होती हैं

 सही उत्तर: (c)

 


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