उचित आहार : स्वस्थ जीवन का आधार – कक्षा 6 विज्ञान (जिज्ञासा)
एक स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित और उचित आहार अत्यंत आवश्यक है। इस अध्याय में हम जानेंगे कि भोजन में कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं, वे हमारे शरीर के लिए क्यों आवश्यक हैं, और संतुलित आहार का निर्माण कैसे किया जाता है। यह अध्याय बच्चों में पोषण जागरूकता बढ़ाने, कुपोषण से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को समझने में मदद करता है।
सप्ताह में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों की तालिका
दिन | सुबह का नाश्ता | दोपहर का भोजन | रात का भोजन |
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सोमवार | दूध, फल, दलिया | चपाती, दाल, हरी सब्ज़ी | चावल, दाल, सलाद |
मंगलवार | अंडा/चना, ब्रेड | चपाती, पनीर, दही | खिचड़ी, रायता |
बुधवार | पोहा, केला, दूध | राजमा चावल, सलाद | रोटी, सब्ज़ी, छाछ |
गुरुवार | दूध, टोस्ट, फल | चना दाल, चपाती, सलाद | उपमा, दही |
शुक्रवार | इडली-सांभर | अलू-गोभी, दाल, चपाती | चावल, मूंग दाल |
शनिवार | पराठा, दही | मिक्स वेज, रोटी, अचार | रोटी, दाल, खीर |
रविवार | हलवा, दूध, फल | छोले भटूरे, रायता | पुलाव, सलाद |
विभिन्न क्षेत्रों के आहार
भारत के विभिन्न राज्यों में पारंपरिक रूप से खाए जाने वाले भोजन में विविधता देखने को मिलती है। यह विविधता स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली फसलों, मौसम, पानी की उपलब्धता और सांस्कृतिक परंपराओं पर निर्भर करती है।
तालिका – भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ पारंपरिक खाद्य पदार्थ
राज्य | स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली फसलें | खाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थ | पेय |
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पंजाब | मक्का, गेहूं, चना, दालें | मक्के की रोटी, सरसों का साग, छोले-भटूरे, परांठा, हलवा, खीर | लस्सी, छाछ, दूध, चाय |
कर्नाटक | चावल, रागी, उड़द, नारियल | इडली, डोसा, सांभर, नारियल चटनी, रागी मूढ़े, उपमा, समा, चावल | छाछ, कॉफी, चाय |
मणिपुर | चावल, दालें, सोयाबीन | चावल, इरोलपा (चटनी), इरोइब (सब्जी), सिन्नु, कांग्सोई | काली दूध की चाय |
विश्लेषण:
- भारत में भोजन की विविधता स्थानीय फसलों और भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है।
- पारंपरिक भोजन स्वाद, पोषण और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।
- भोजन की आदतें पर्यावरण और कृषि प्रणाली से गहराई से जुड़ी होती हैं।
समय के साथ भोजन पकाने की पद्धतियां कैसे प्रवर्तित हुईं
प्राचीन काल में मनुष्य भोजन पकाने की प्रक्रिया से परिचित नहीं था। वह कच्चे फल, बीज और कभी-कभी कच्चा मांस भी खा लिया करता था। जैसे-जैसे समय बीता और मानव का विकास हुआ, उसने अग्नि का आविष्कार किया और भोजन पकाने की शुरुआत की। इससे न केवल भोजन स्वादिष्ट हुआ बल्कि अधिक सुरक्षित और सुपाच्य भी बना।
भोजन पकाने की पद्धतियों का क्रमिक विकास
काल | भोजन पकाने की पद्धति | मुख्य विशेषताएँ |
---|---|---|
प्रागैतिहासिक काल | आग पर सीधे पकाना | मांस और जड़ें भूनना |
प्राचीन सभ्यताएं | मिट्टी के बर्तन, उबालना | धान, सब्जियां पकाई जाती थीं |
मध्यकाल | चूल्हा, हांडी | घर में पकाने की परंपरा विकसित हुई |
आधुनिक काल | गैस, इंडक्शन, माइक्रोवेव | तेज़, सुरक्षित और ऊर्जा कुशल |
निष्कर्ष
भोजन पकाने की पद्धतियों में बदलाव के साथ-साथ हमारे खाने की आदतों और पोषण में भी परिवर्तन आया है। यह विकास न केवल स्वाद और विविधता लाया है, बल्कि स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
पारम्परिक एवं आधुनिक पाक पद्धतियाँ
भोजन पकाने की पद्धतियाँ समय के साथ बदली हैं। पहले जहाँ पारम्परिक तरीके जैसे कि मिट्टी के चूल्हे और लकड़ी-कोयले का उपयोग होता था, वहीं अब गैस, माइक्रोवेव और इलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। नीचे दी गई तालिका में पारम्परिक और आधुनिक पाक पद्धतियों की तुलना की गई है:
पारामीटर | पारम्परिक पाक पद्धति | आधुनिक पाक पद्धति |
---|---|---|
ईंधन | लकड़ी, गोबर के उपले, कोयला | एल.पी.जी., विद्युत, माइक्रोवेव |
उपकरण | मिट्टी के बर्तन, तवा, हांडी | नॉन-स्टिक बर्तन, प्रेशर कुकर, ओवन |
समय | अधिक समय लगता है | कम समय में भोजन तैयार |
स्वास्थ्य पर प्रभाव | धीमी आंच पर पकने से पोषक तत्व सुरक्षित | तेज़ आंच व प्रोसेसिंग से कुछ पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं |
प्रभाव पर्यावरण पर | धुआं उत्पन्न करता है, प्रदूषण फैलता है | क्लीन एनर्जी का उपयोग, कम प्रदूषण |
पारम्परिक और आधुनिक दोनों पाक पद्धतियों के अपने-अपने लाभ हैं। हमें दोनों पद्धतियों के सकारात्मक पहलुओं को समझकर स्वास्थ्य और पर्यावरण के अनुकूल भोजन पकाना चाहिए।
भोजन के घटक
हम जो भोजन करते हैं, उसमें विभिन्न पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिन्हें भोजन के घटक कहा जाता है। ये हमारे शरीर को ऊर्जा, वृद्धि, मरम्मत और स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।
मुख्य भोजन घटक
- 1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates): ऊर्जा का प्रमुख स्रोत
- 2. प्रोटीन (Proteins): शरीर की वृद्धि और मरम्मत में सहायक
- 3. वसा (Fats): ऊर्जा का संचित रूप और शरीर को गर्म रखने में सहायक
- 4. विटामिन (Vitamins): शरीर के कार्यों को नियंत्रित और बनाए रखने में सहायक
- 5. खनिज लवण (Minerals): हड्डियों, दांतों और शरीर की अन्य क्रियाओं के लिए आवश्यक
- 6. जल (Water): जीवन के लिए आवश्यक, शरीर में रासायनिक क्रियाओं और तापमान नियंत्रण में सहायक
- 7. रेशा या रेशेदार पदार्थ (Roughage/Fibre): पाचन क्रिया में सहायक
विटामिन और खनिज तत्व तालिका
भोजन के घटक (विटामिन या खनिज) | कार्य | स्रोत | अभावजन्य रोग या विकार | लक्षण |
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विटामिन A | आँखों और त्वचा को स्वस्थ रखता है | पालक, गाजर, आम, दूध | दृष्टि का ह्रास या क्षति | दुर्बल दृष्टि, अंधेरा (रात) में देखने में कठिनाई, पूर्ण अंधता |
विटामिन B1 | हृदय को स्वस्थ रखता है और शरीर के कार्यों में सहायक | फलियाँ, मेवे, अनाज, बीज, दूध | बेरीबेरी | सूजन, हाथ-पैरों में जलन, सांस लेने में कठिनाई |
विटामिन C | रोगों से रक्षा करता है | आंवला, अमरूद, नींबू, संतरा, हरी मिर्च | स्कर्वी | मसूड़ों से खून आना, घाव भरने में विलंब |
विटामिन D | हड्डियों और दाँतों के लिए आवश्यक, कैल्शियम अवशोषण में सहायक | सूर्य का प्रकाश, दूध, मछली, अंडा | रिकेट्स | अस्थियों का झुकना या कमजोर होना |
कैल्शियम | हड्डी और दाँत मजबूत करता है | दूध, दही, पनीर, हरी सब्जियाँ | अस्थि दुर्बलता | हड्डियों का कमजोर होना |
आयोडीन | मानसिक और शारीरिक क्रियाओं में सहायक | आयोडीनयुक्त नमक, सीफूड, समुद्री शैवाल | गण्डमाला (ग्वॉयटर) | गर्दन के अग्र भाग में सूजन |
आयरन (लौह तत्व) | रक्त निर्माण में सहायक | हरी पत्तेदार सब्जियाँ, चुकंदर, अनार | एनीमिया (खून की कमी) | थकावट, सांस लेने में दिक्कत |
खनिज और विटामिन: स्रोत एवं कार्य
स्वस्थ शरीर के लिए खनिज (Minerals) और विटामिन (Vitamins) की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। नीचे दी गई तालिका में इनके प्रमुख स्रोत और कार्य बताए गए हैं।
घटक | प्रमुख स्रोत | मुख्य कार्य |
---|---|---|
कैल्शियम (Calcium) | दूध, पनीर, दही, हरी पत्तेदार सब्जियाँ | हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाता है |
लोहा (Iron) | हरी सब्जियाँ, गुड़, सेब, दालें | हीमोग्लोबिन निर्माण में सहायक, रक्त में ऑक्सीजन का परिवहन |
आयोडीन (Iodine) | आयोडीन युक्त नमक, समुद्री मछलियाँ | थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को नियमित करता है |
विटामिन A | गाजर, पपीता, दूध, मक्खन | रात्रि दृष्टि, त्वचा और बालों को स्वस्थ रखता है |
विटामिन B-complex | अनाज, दालें, अंडा, मांस | ऊर्जा उत्पादन और तंत्रिका तंत्र के लिए आवश्यक |
विटामिन C | नींबू, संतरा, अमरूद, आँवला | प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करता है, घाव भरने में सहायक |
विटामिन D | सूर्य प्रकाश, मछली, अंडा, दूध | कैल्शियम के अवशोषण में सहायक, हड्डियों को मजबूत बनाता है |
विटामिन K | हरी सब्जियाँ, दही | रक्त के थक्के बनाने में सहायक |
कोलाथुर गोपालन का परिचय
कोलाथुर गोपालन (Kolathur Gopalan) एक प्रसिद्ध भारतीय पोषण वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारत में कुपोषण और बाल पोषण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया। वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN), हैदराबाद के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक रहे और बाद में संस्थान के निदेशक भी बने।
कोलाथुर गोपालन का जन्म भारत में हुआ था और उन्होंने चिकित्सा एवं पोषण विज्ञान की पढ़ाई की। वे शुरू से ही समाज के गरीब और कमजोर वर्गों की स्वास्थ्य समस्याओं को समझने और समाधान खोजने के लिए समर्पित थे।
प्रमुख योगदान:
- भारत में पहले राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (National Nutrition Surveys) की शुरुआत में योगदान।
- ICMR के अधीन कई शोध परियोजनाओं का नेतृत्व।
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कुपोषण की स्थिति का विश्लेषण और सुधार के उपाय।
- मध्यान्ह भोजन योजना (Mid Day Meal Scheme) जैसे पोषण सुधार कार्यक्रमों की संकल्पना।
- आयरन-फोलिक एसिड आपूर्ति कार्यक्रम की शुरुआत।
उन्होंने भारतीय आहार तालिका (Indian Food Composition Table) तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई शोध पत्र एवं पुस्तकें प्रकाशित कीं जो आज भी पोषण विज्ञान के छात्रों के लिए उपयोगी हैं।
कोलाथुर गोपालन को उनके महान योगदानों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
भोजन के विभिन्न घटक का परीक्षण – मंड (स्टार्च) का परीक्षण
भोजन में कई प्रकार के घटक होते हैं जैसे – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज, जल और रेशा। इन घटकों की उपस्थिति की जाँच प्रयोगशाला में कुछ सरल परीक्षणों द्वारा की जा सकती है।
मंड (स्टार्च) का परीक्षण
आवश्यक सामग्री:
- भोजन का नमूना (जैसे – आलू, चावल, ब्रेड आदि)
- आयोडीन विलयन
- ड्रॉपर
- साफ स्लाइड या प्लेट
प्रक्रिया:
- भोजन के नमूने का छोटा-सा टुकड़ा स्लाइड या प्लेट पर रखें।
- उस पर कुछ बूँदें आयोडीन विलयन की डालें।
परिणाम:
यदि भोजन में मंड (स्टार्च) उपस्थित है, तो आयोडीन की बूँदें उस पर नीले-काले रंग की हो जाएंगी।
मंड परीक्षण से संबंधित उपयोगी जानकारी
परीक्षण | उपकरण | परिणाम का संकेत | घटक की पुष्टि |
---|---|---|---|
मंड (स्टार्च) | आयोडीन विलयन | नीला-काला रंग | स्टार्च की उपस्थिति |
जानने योग्य तथ्य
- आलू, चावल, गेहूँ जैसे खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में स्टार्च होता है।
- आयोडीन का रंग सामान्यतः हल्का भूरा होता है, लेकिन स्टार्च के संपर्क में आने पर यह नीला-काला हो जाता है।
वसा के लिए परीक्षण (Test for Fats)
वसा (Fats) शरीर को ऊर्जा देने वाला एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। वसा की उपस्थिति का पता लगाने के लिए हम सरल प्रयोग कर सकते हैं।
वसा के अच्छे स्रोत हैं – घी, मक्खन, तेल, मूँगफली, मेवा (जैसे बादाम, काजू), नारियल आदि।
वसा का परीक्षण कैसे करें?
चरण | विवरण |
---|---|
1 | एक कागज़ की शीट लें और उस पर परीक्षण की जाने वाली खाद्य वस्तु को रगड़ें। |
2 | थोड़ी देर के लिए कागज़ को सुखा लें। |
3 | यदि कागज़ पर पारदर्शी (translucent) दाग़ दिखाई दे तो यह वसा की उपस्थिति को दर्शाता है। |
निष्कर्ष
यदि कागज़ पर चिकनाई जैसा पारदर्शी दाग़ बन जाए, तो इसका अर्थ है कि उस खाद्य पदार्थ में वसा मौजूद है।
प्रयोग के समय अत्यधिक तेलीय खाद्य पदार्थों से कागज़ गीला न करें, केवल हल्के से रगड़ें।
प्रोटीन के लिए परीक्षण (Test for Proteins)
प्रोटीन शरीर की वृद्धि, मरम्मत और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। प्रोटीन की उपस्थिति का परीक्षण निम्न प्रयोग द्वारा किया जाता है।
प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं – दालें, अंडा, दूध, पनीर, मछली, सोयाबीन, चना, मूँगफली आदि।
प्रोटीन का परीक्षण कैसे करें? (Biuret Test)
चरण | विवरण |
---|---|
1 | थोड़ी-सी खाद्य सामग्री को एक टेस्ट ट्यूब में लें। |
2 | उसमें 2-3 ml कॉपर सल्फेट (CuSO₄) घोल की कुछ बूँदें डालें। |
3 | अब उसमें 10-12 बूंदें सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) का घोल डालें। |
4 | यदि बैंगनी (जैसा कि लैवेंडर) रंग बनता है, तो यह प्रोटीन की उपस्थिति दर्शाता है। |
निष्कर्ष
यदि परीक्षण के बाद बैंगनी रंग दिखाई दे, तो इसका अर्थ है कि उस खाद्य पदार्थ में प्रोटीन मौजूद है। यह परीक्षण Biuret परीक्षण कहलाता है।
परीक्षण करते समय रसायनों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करें और बच्चों को केवल पर्यवेक्षण में ही प्रयोग करने दें।
तालिका — खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की उपस्थिति
खाद्य पदार्थ का नाम | मंड परीक्षण में रंग | वसा परीक्षण में तेलीय धब्बे | प्रोटीन परीक्षण में रंग | मंड उपस्थित | वसा उपस्थित | प्रोटीन उपस्थित |
---|---|---|---|---|---|---|
आलू | नीला-काला | नहीं | नहीं | हाँ | नहीं | नहीं |
खीरा | हल्का नीला | नहीं | नहीं | कुछ हद तक | नहीं | नहीं |
उबले चावल | नीला-काला | नहीं | नहीं | हाँ | नहीं | नहीं |
उबले चने | नहीं | नहीं | हल्का बैंगनी | नहीं | नहीं | हाँ |
मूँगफली | नहीं | तेलीय धब्बे | बैंगनी | नहीं | हाँ | हाँ |
रोटी या ब्रेड | नीला-काला | नहीं | नहीं | हाँ | नहीं | नहीं |
मक्खन | नहीं | तेलीय धब्बे | नहीं | नहीं | हाँ | नहीं |
नारियल | नहीं | हल्के धब्बे | कुछ रंग | नहीं | हाँ | हाँ |
अन्य | — | — | — | — | — | — |
संतुलित आहार
हमारे शरीर को ठीक प्रकार से कार्य करने और बीमारियों से लड़ने के लिए ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जब हम सभी आवश्यक पोषक तत्वों को सही मात्रा में प्राप्त करते हैं, तो उसे संतुलित आहार कहा जाता है।
संतुलित आहार के घटक
पोषक तत्व | मुख्य कार्य | स्रोत |
---|---|---|
कार्बोहाइड्रेट | ऊर्जा प्रदान करते हैं | चावल, गेहूं, आलू |
प्रोटीन | शरीर की वृद्धि और मरम्मत | दूध, दालें, अंडा |
वसा | ऊर्जा का भंडारण | तेल, घी, मक्खन |
विटामिन | रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं | फल, सब्जियां, दूध |
खनिज | शरीर के अंगों का कार्य संचालन | लौह, कैल्शियम, नमक |
जल | शरीर को हाइड्रेटेड रखता है | पेयजल, फल, सब्जियां |
रेशा (फाइबर) | पाचन तंत्र को ठीक रखता है | सलाद, साबुत अनाज, फल |
संतुलित आहार के लाभ
- शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है
- शारीरिक और मानसिक विकास सही होता है
- रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है
- वजन संतुलित रहता है
मिलेट (मोटा अनाज): पोषक अनाज
आजकल के बदलते खानपान में मोटा अनाज (Millets) का महत्व पुनः बढ़ रहा है। ये अनाज स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होते हैं। मोटे अनाजों को हम पोषक अनाज (Nutri-Cereals) भी कहते हैं।
भारत सरकार ने वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष” (International Year of Millets) के रूप में मनाया।
मुख्य मोटे अनाज
- बाजरा
- ज्वार
- रागी (मड़ुआ)
- कोदो
- सामा
- कुटकी
- चौलाई
मोटे अनाजों के पोषक तत्व
अनाज का नाम | मुख्य पोषक तत्व | लाभ |
---|---|---|
बाजरा | फाइबर, लोहा, मैग्नीशियम | पाचन सुधारता है, रक्त की कमी दूर करता है |
ज्वार | प्रोटीन, फाइबर | ऊर्जा प्रदान करता है, मधुमेह में लाभदायक |
रागी (मड़ुआ) | कैल्शियम, आयरन | हड्डियों को मजबूत करता है |
मोटे अनाजों के लाभ
- ग्लूटेन मुक्त होते हैं – एलर्जी से बचाते हैं।
- फाइबर से भरपूर – पाचन बेहतर करते हैं।
- कम जल व उर्वरक की आवश्यकता – पर्यावरण के अनुकूल।
- स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने में सहायक।
खाद्य मील (Food Mile): खेत से हमारी थाली तक
खाद्य मील का अर्थ है – भोजन में उपयोग होने वाली वस्तु को हमारे खेतों से लेकर हमारी थाली तक पहुंचने में जितनी दूरी तय करनी पड़ती है। यह दूरी जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक ऊर्जा, पैकेजिंग और परिवहन की आवश्यकता होगी, जिससे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।
खेत से थाली तक की यात्रा
- उत्पादन: भोजन जैसे चावल, सब्ज़ियाँ या फल खेतों में उगाए जाते हैं।
- संग्रहण और प्रसंस्करण: इन्हें तोड़ा/काटा जाता है और प्रसंस्करण के लिए भेजा जाता है (जैसे दाल छिलना, दूध पैक करना)।
- पैकेजिंग: भोजन को प्लास्टिक, डिब्बों या अन्य सामग्रियों में पैक किया जाता है।
- परिवहन: ट्रक, ट्रेनों या विमानों द्वारा बाजार या दुकानों तक पहुंचाया जाता है।
- खपत: अंत में यह हमारी थाली तक पहुंचता है।
खाद्य मील कम करने के उपाय
- स्थानीय रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देना।
- मौसमी फलों और सब्ज़ियों का सेवन करना।
- अवांछनीय पैकेजिंग से बचना।
- ऑर्गेनिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
जब हम स्थानीय और ताज़ा खाद्य वस्तुओं का चयन करते हैं, तो हम न केवल पोषण प्राप्त करते हैं बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान करते हैं।
प्रमुख शब्दों का संक्षेप में विवरण
1. कार्बोहाइड्रेट
यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। यह चावल, आलू, गेहूं आदि में पाया जाता है।
2. मिलेट (मोटा अनाज)
पोषण से भरपूर मोटे अनाज जैसे रागी, बाजरा आदि, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।
3. विश्लेषण
किसी वस्तु या स्थिति की गहराई से जांच और अध्ययन करना।
4. पाक पद्धतियाँ
भोजन पकाने के तरीके जैसे उबालना, तलना, भूनना आदि।
5. खनिज
शरीर की क्रियाओं को सुचारू रखने वाले पोषक तत्व जैसे आयरन, कैल्शियम आदि।
6. तुलना करना
दो या दो से अधिक वस्तुओं में समानता और भिन्नता देखना।
7. अभावजन्य रोग
पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग जैसे स्कर्वी, रिकेट्स आदि।
8. पोषक तत्व
भोजन में पाए जाने वाले वे तत्व जो शरीर की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।
9. परिणाम निकालना
जानकारी के आधार पर निष्कर्ष या नतीजा प्राप्त करना।
10. प्रोटीन
शरीर की वृद्धि और मरम्मत के लिए आवश्यक पोषक तत्व। दूध, दाल, अंडा आदि में पाया जाता है।
11. निष्कर्ष निकालना
किसी प्रक्रिया या अध्ययन के आधार पर अंतिम बात कहना।
12. वसा
शरीर में ऊर्जा संग्रह करने वाला पोषक तत्व। घी, तेल, मक्खन आदि में पाया जाता है।
13. आहार के घटक
वे सभी पोषक तत्व जो संतुलित आहार में शामिल होते हैं जैसे – कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज।
14. रिकेट्स
विटामिन D की कमी से होने वाला रोग जिससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं।
15. जाँच करना
किसी वस्तु या तथ्य की सही जानकारी के लिए परीक्षण करना।
16. खाद्य मील
भोजन की यात्रा, जो खेत से हमारी थाली तक पहुँचने में लगती है।
17. आहारीय रेशे
पौधों से प्राप्त फाइबर जो पाचन में मदद करते हैं।
18. अवलोकन करना
किसी घटना या वस्तु को ध्यानपूर्वक देखना और उसका अध्ययन करना।
19. आयोडीनयुक्त नमक
वह नमक जिसमें आयोडीन मिलाया जाता है ताकि गण्डमाला जैसे रोगों से बचा जा सके।
20. स्कर्वी
विटामिन C की कमी से होने वाला रोग जिसमें मसूड़ों से खून आता है।
21. पूर्वानुमान
भविष्य की स्थिति का अनुमान लगाना या भविष्यवाणी करना।
22. विटामिन
सूक्ष्म पोषक तत्व जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और अन्य कार्यों में सहायक होते हैं।
सारांश और मुख्य बिंदु
संपूर्ण भारत में लोग विविध प्रकार का आहार लेते हैं, जिसमें विभिन्न खाद्य घटक उपस्थित होते हैं।
समय के साथ पाक पद्धतियाँ परिवर्तित हो गई हैं। खाना पकाने के पारंपरिक और आधुनिक तरीकों में बहुत अंतर है।
हमारे आहार में प्रमुख पोषक तत्व कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन और खनिज हैं। इसके अतिरिक्त, आहारीय रेशे और जल भी भोजन के आवश्यक घटक हैं।
- कार्बोहाइड्रेट और वसा – प्राथमिक ऊर्जा स्रोत
- प्रोटीन – शरीर-वर्धक पोषक तत्व
- विटामिन और खनिज – रोगों से सुरक्षा और शरीर को मजबूत बनाते हैं
संतुलित आहार वह है जो उचित मात्रा में सभी अनिवार्य पोषक तत्व प्रदान करता है और इसमें पर्याप्त आहारीय रेशे और जल भी होता है।
जंक फूड अस्वास्थ्यकर होते हैं क्योंकि इनमें शर्करा और वसा तो अधिक होती है, लेकिन प्रोटीन, खनिज, विटामिन और आहारीय रेशे कम होते हैं।
स्थानीय खाद्य पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होता है।
हमें भोजन की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और उतना ही भोजन लेना चाहिए जितना आवश्यक हो।
आइए, और अधिक सीखें
- निम्नलिखित में से असंगत को चुनें और कारण बताएँ–
- (क) ज्वार, बाजरा, रागी, चना — चना एक दलहन है, शेष सभी मोटे अनाज हैं।
- (ख) राजमा, मूंग, सोयाबीन, चावल — चावल एक अनाज है, शेष सभी दलहन हैं।
- भारत में पारंपरिक और आधुनिक पाक पद्धतियों की तुलना करते हुए चर्चा करें।
पारंपरिक पाक पद्धतियाँ जैसे – उबालना, भाप में पकाना, तंदूर आदि अधिक पौष्टिकता बनाए रखती हैं। जबकि आधुनिक पद्धतियाँ जैसे – माइक्रोवेव, डीप फ्राइंग, फास्ट फूड, पोषण की हानि कर सकती हैं। पारंपरिक पद्धतियों में स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों का प्रयोग अधिक होता है। - शिक्षक का कहना है कि अच्छा आहार औषधि के रूप में कार्य कर सकता है। रवि इस कथन को लेकर उत्सुक है और वह अपने शिक्षक से कुछ प्रश्न पूछना चाहता है। कम से कम ऐसे दो प्रश्न सूचीबद्ध करें–
- कौन-कौन से खाद्य पदार्थ औषधीय गुण रखते हैं?
- क्या खराब आहार बीमारियों का कारण बन सकता है?
- सभी स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ आवश्यक रूप से स्वास्थ्यप्रद नहीं होते, और सभी पौष्टिक खाद्य पदार्थ सदैव आनंददायक नहीं होते। कुछ उदाहरणों के साथ अपने विचार साझा करें।
पिज्जा, बर्गर, चिप्स जैसे स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ वसा और नमक से भरपूर होते हैं, लेकिन ये स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दूसरी ओर दलिया, हरी सब्जियाँ, अंकुरित दालें पौष्टिक होती हैं, परंतु सबको स्वादिष्ट नहीं लगतीं। इसलिए हमें स्वाद और पोषण का संतुलन बनाना चाहिए। - मेदू सब्जियाँ नहीं खाता लेकिन बिस्कुट, नूडल्स और डबल रोटी (सफेद ब्रेड) का आनंद लेता है। उसे अक्सर पेट में दर्द और कब्ज की शिकायत रहती है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए उसे अपने आहार में क्या बदलाव करना चाहिए? अपने उत्तर को विस्तार से समझाइए।
मेदू को आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज, दालें आदि शामिल करनी चाहिए। साथ ही उसे जंक फूड की मात्रा कम करनी चाहिए और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। यह परिवर्तन उसकी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करेगा। - रेशमा को कम रोशनी में देखने में कठिनाई हो रही थी। चिकित्सक ने उसकी दृष्टि का परीक्षण किया और एक विशेष विटामिन पूरक (सप्लीमेंट) लेने की सलाह दी। उन्होंने उसे अपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करने की भी सलाह दी–
- (क) वह रात्रि-अंधता (नाइट ब्लाइंडनेस) नामक अभावजन्य रोग से पीड़ित है।
- (ख) उसके आहार में विटामिन A की कमी हो सकती है।
- (ग) उसे गाजर, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अंडा, दूध आदि जैसे खाद्य पदार्थ अपने आहार में शामिल करने चाहिए।
प्रश्न 7 और 8
7. आपको निम्नलिखित पदार्थ उपलब्ध कराए जाते हैं-
- (क) डिब्बाबंद फलों का रस
- (ख) ताजे फलों का रस
- (ग) ताजे फल
प्रश्न: पोषण की दृष्टि से आप किसे लेना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं ताजे फल (ग) को लेना पसंद करूँगा क्योंकि इनमें सभी पोषक तत्व प्राकृतिक रूप में उपलब्ध होते हैं, जैसे कि विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट। डिब्बाबंद रस में अक्सर प्रिज़रवेटिव्स और शर्करा मिलाई जाती है, और ताजे रस में भी कुछ विटामिन (जैसे विटामिन C) जल्दी समाप्त हो सकते हैं। ताजे फल फाइबर में भी समृद्ध होते हैं जो पाचन तंत्र के लिए लाभकारी है।
8. गौरव के पैर की हड्डी टूट गई।
उसके चिकित्सक ने हड्डियों को सीधा (संरेखित) किया और प्लास्टर लगा दिया। चिकित्सक ने उसे कैल्सियम की गोली दी और बाद में विटामिन D युक्त सिरप भी दिया। चित्र 3.5 का संदर्भ लें और निम्न प्रश्नों के उत्तर दें:
(क) चिकित्सक ने गौरव को कैल्सियम की गोली क्यों दी?
उत्तर: कैल्सियम हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए आवश्यक खनिज है। हड्डी टूटने की स्थिति में शरीर को हड्डी को पुनः जोड़ने और मज़बूत करने के लिए अतिरिक्त कैल्सियम की आवश्यकता होती है।
(ख) दूसरी बार देखने पर चिकित्सक ने उसे कैल्सियम के साथ विटामिन D सिरप क्यों दिया?
उत्तर: विटामिन D कैल्सियम के अवशोषण में सहायता करता है। यदि शरीर में विटामिन D की कमी हो तो कैल्सियम ठीक से अवशोषित नहीं होता। इसलिए हड्डी की मरम्मत के लिए दोनों की आवश्यकता होती है।
(ग) चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली दवाओं के चयन के बारे में आपके मन में क्या सवाल उठता है?
उत्तर: क्या सिर्फ कैल्सियम पर्याप्त होता या विटामिन D की आवश्यकता पहले से ही थी? क्या दवाएँ उम्र, आहार या जीवनशैली के अनुसार तय की गई थीं?
प्रश्न 9: चीनी का आयोडीन से रंग परिवर्तन न होने का कारण: आयोडीन केवल मंड (स्टार्च) के साथ प्रतिक्रिया करके नीला-काला रंग देता है। जबकि चीनी (ग्लूकोज़, फ्रक्टोज़) साधारण कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिनमें यह गुण नहीं होता। इसलिए आयोडीन डालने पर रंग नहीं बदलता।
प्रश्न 10: रमन का कथन: “सभी मंड कार्बोहाइड्रेट हैं लेकिन सभी कार्बोहाइड्रेट मंड नहीं हैं।”
स्पष्टीकरण: मंड एक बहुशर्करा (पॉलीसेकेराइड) है। अन्य कार्बोहाइड्रेट जैसे ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज इत्यादि एकल या द्वि शर्करा होते हैं।
क्रियाकलाप:
- ग्लूकोज़ और मंड के दो नमूने लें।
- दोनों में आयोडीन की कुछ बूँदें डालें।
- जहाँ नीला-काला रंग आए – वह मंड है। जहाँ रंग न बदले – वह साधारण कार्बोहाइड्रेट।
प्रश्न 11: मिष्टी के मोजे और शिक्षिका की साड़ी पर आयोडीन की प्रतिक्रिया में अंतर का कारण:
साड़ी के कपड़े में मंड (स्टार्च) की उपस्थिति हो सकती है, जैसे कि स्टार्च प्रेस। इसलिए आयोडीन से प्रतिक्रिया करके वह नीला-काला हो गया।
मोजे में स्टार्च नहीं था, इसलिए रंग नहीं बदला।
प्रश्न 12: कदन्न (मिलेट) को स्वास्थ्यप्रद क्यों माना जाता है:
- ये पोषक तत्वों जैसे फाइबर, आयरन, कैल्शियम, जिंक से भरपूर होते हैं।
- यह ग्लूटन मुक्त होते हैं और पाचन के लिए बेहतर हैं।
प्रश्न 13: किसी अज्ञात विलयन की पहचान आयोडीन के रूप में कैसे करें:
परीक्षण विधि:
- स्टार्च का एक छोटा घोल तैयार करें।
- अज्ञात विलयन की कुछ बूँदें उसमें डालें।
- यदि रंग नीला-काला हो जाता है, तो यह आयोडीन हो सकता है।
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