कार्बन एवं उसके यौगिक (Carbon and its Compounds)
कार्बन एक अद्वितीय तत्व है जो पृथ्वी पर जीवन के निर्माण का आधार है। इसकी संयोजकता (valency), सहसंयोजक बंधों (covalent bonds) की क्षमता, तथा श्रृंखला बनाने की क्षमता (catenation) इसे विशेष बनाती है।
कार्बन की संयोजकता 4 होती है (Valency = 4), जिससे यह 4 अन्य परमाणुओं से सहसंयोजक बंध बनाता है।
कार्बन की संरचना (Structure of Carbon)
- परमाणु संख्या (Atomic number) = 6
- इलेक्ट्रॉन विन्यास (Electronic configuration) = 2, 4
- संयोजकता (Valency) = 4
- सभी चार इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बंधों में भाग लेते हैं
सहसंयोजक बंध (Covalent Bond)
कार्बन परमाणु इलेक्ट्रॉनों को साझा करके अन्य तत्वों से सहसंयोजक बंध बनाता है। इसमें कोई इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण नहीं होता।
उदाहरण:
- CH4 (मीथेन): एक कार्बन परमाणु चार हाइड्रोजन से जुड़ता है
- H2O (जल): ऑक्सीजन दो हाइड्रोजन से सहसंयोजक बंध बनाता है
शृंखला निर्माण (Catenation)
कार्बन की सबसे अनोखी विशेषता है इसकी लंबी शृंखला बनाने की क्षमता। ये शृंखलाएं सीधे, शाखित या चक्रीय हो सकती हैं।
कार्बन के यौगिकों की संख्या लाखों में है, जो किसी भी अन्य तत्व से अधिक है।
कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds)
वे यौगिक जो मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन से बने होते हैं, उन्हें कार्बनिक यौगिक कहते हैं। जैसे – मीथेन, एथेन, ग्लूकोज आदि।
प्रकार:
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated) – केवल एकल बंध जैसे मीथेन (CH₄)
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated) – दोहरे या त्रैतीय बंध जैसे एथीन (C₂H₄), एथाइन (C₂H₂)
समावयवता (Isomerism)
जब एक ही आणविक सूत्र (molecular formula) वाले यौगिकों की संरचना अलग होती है, तो उसे समावयवता कहते हैं।
C₄H₁₀ – ब्यूटेन की दो अलग-अलग संरचनाएँ संभव हैं (Normal और Iso-butane)
क्रियाएँ (Reactions of Carbon Compounds)
- Combustion (दहन)
- Oxidation (ऑक्सीकरण)
- Addition (योजन)
- Substitution (अपस्थानन)
एथेन + ब्रोमीन = रंगहीन यौगिक (योजन अभिक्रिया का उदाहरण)
साबुन एवं डिटर्जेंट
- साबुन – कार्बोक्सिलिक अम्ल और क्षार से बनता है
- डिटर्जेंट – पेट्रोलियम उत्पादों से निर्मित
- साबुन soft water में बेहतर काम करता है, hard water में नहीं
साबुन का क्रियाविधि “Micelle Formation” पर आधारित होता है जो गंदगी को हटाता है।
कार्बन के 10 महत्वपूर्ण यौगिकों के संरचना सूत्र
क्रम सं. | यौगिक का नाम | संरचना सूत्र (Structural Formula) | मॉलिक्युलर फॉर्मूला |
---|---|---|---|
1 | मीथेन (Methane) | CH₄ | CH₄ |
2 | एथेन (Ethane) | H−C−C−H | | H H |
C₂H₆ |
3 | एथीन (Ethene) | H₂C=CH₂ | C₂H₄ |
4 | एथाइन (Ethyne) | HC≡CH | C₂H₂ |
5 | इथाइल अल्कोहल (Ethanol) | CH₃−CH₂−OH | C₂H₅OH |
6 | ईथेनॉयिक अम्ल (Ethanoic Acid / Acetic Acid) | CH₃−COOH | C₂H₄O₂ |
7 | प्रोपेन (Propane) | CH₃−CH₂−CH₃ | C₃H₈ |
8 | ब्यूटेन (Butane) | CH₃−CH₂−CH₂−CH₃ | C₄H₁₀ |
9 | बेंजीन (Benzene) | ⏣ (Hexagonal ring with alternate double bonds) | C₆H₆ |
10 | ग्लूकोज़ (Glucose) | C₆H₁₂O₆ (Simplified) |
C₆H₁₂O₆ |
महत्वपूर्ण तथ्य:
- मीथेन simplest hydrocarbon है जो एकल बंधों के साथ बना है।
- एथीन व एथाइन असंतृप्त यौगिक हैं, जिनमें क्रमशः डबल व ट्रिपल बॉन्ड होते हैं।
- ग्लूकोज़ एक कार्बोहाइड्रेट है – ऊर्जा का स्रोत।
- बेंजीन एक सुगंधित यौगिक है, जिसमें चक्रीय सहसंयोजक संरचना होती है।
कार्बन के अपरूप (Allotropes of Carbon)
कार्बन के वे रूप जिनमें इसका रासायनिक स्वरूप समान लेकिन भौतिक संरचना अलग हो, उन्हें अपरूप (Allotropes) कहते हैं। मुख्य अपरूप हैं:
हीरा (Diamond)
- संरचना: प्रत्येक कार्बन परमाणु 4 अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंध बनाकर एक त्रि-आयामी जाल (3D tetrahedral network) बनाता है।
- गुण: सबसे कठोर पदार्थ, पारदर्शी, विद्युत का कुचालक
- उपयोग: आभूषण, काँच काटने के उपकरण, ड्रिलिंग मशीनें
ग्रेफाइट (Graphite)
- संरचना: कार्बन परमाणु षट्कोणीय चपटी परतों (hexagonal layers) में व्यवस्थित रहते हैं, और प्रत्येक C तीन अन्य C से जुड़ा होता है।
- चौथा इलेक्ट्रॉन परतों के बीच स्वतंत्र रूप से चलता है → इसे विद्युत चालक</strong बनाता है।
- उपयोग: पेंसिल “लेड”, इलेक्ट्रोड, लुब्रिकेंट
फुलरीन (Fullerene)
- संरचना: कार्बन परमाणु गेंद जैसे पिंजरे (Cage-like structure) में होते हैं।
- सबसे प्रसिद्ध: Buckminsterfullerene (C₆₀) — 20 हेक्सागन + 12 पेंटागन
- गुण: नरम, विद्युत चालक, हल्के
- उपयोग: नैनो-टेक्नोलॉजी, दवा डिलीवरी सिस्टम, सुपरकंडक्टर
महत्वपूर्ण तथ्य:
- हीरा विद्युत का कुचालक है जबकि ग्रेफाइट चालक है।
- फुलरीन 1985 में खोजा गया और इसके खोजकर्ताओं को नोबेल पुरस्कार मिला।
- हीरा 3D संरचना में, ग्रेफाइट 2D परतों में और फुलरीन 0D बॉल जैसी संरचना में होता है।
तुलना तालिका (Comparison Table)
गुण | हीरा | ग्रेफाइट | फुलरीन |
---|---|---|---|
संरचना | 3D tetrahedral | Hexagonal layers | Cage-like (C₆₀) |
कठोरता | बहुत कठोर | नरम | बहुत नरम |
विद्युत चालकता | नहीं | हाँ | हाँ |
उपयोग | काटने उपकरण | पेंसिल, इलेक्ट्रोड | नैनोटेक्नोलॉजी |
कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति (Versatile Nature of Carbon)
कार्बन पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जैविक यौगिकों का आधार है। इसकी संयोजकता होने के कारण यह अनेक प्रकार के यौगिक बना सकता है। इसी गुण को सर्वतोमुखी प्रकृति कहते हैं।
जब कोई तत्व विभिन्न प्रकार के यौगिक बनाने में सक्षम होता है तो उसे सर्वतोमुखी (versatile) कहा जाता है। कार्बन में यह गुण अत्यधिक होता है।
कारण (Reasons for Versatility)
- 1. चार संयोजकता (Tetravalency): कार्बन चार अन्य परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बंध बना सकता है।
- 2. शृंखला निर्माण (Catenation): कार्बन स्वयं से लंबी सीधी, शाखित या चक्रीय श्रृंखलाएं बना सकता है।
- 3. सहसंयोजक बंध: यह मजबूत और स्थायी होते हैं, जो कार्बनिक यौगिकों को स्थिरता देते हैं।
- 4. विभिन्न प्रकार के यौगिक: सिंगल, डबल और ट्रिपल बॉन्ड द्वारा संतृप्त और असंतृप्त यौगिक बना सकता है।
उदाहरण:
- CH₄ (मीथेन)
- C₂H₄ (एथीन – डबल बॉन्ड)
- C₂H₂ (एथाइन – ट्रिपल बॉन्ड)
- CH₃−CH₂−CH₃ (प्रोपेन – श्रृंखला यौगिक)
सहसंयोजक बंधों की विशेषता
- यह बंध इलेक्ट्रॉनों को साझा करके बनते हैं
- मजबूत होते हैं और टूटते नहीं आसानी से
- कोई आयन नहीं बनता – इसलिए ये यौगिक खराब चालक होते हैं
शृंखला निर्माण (Catenation) की विशेषता
- कार्बन कार्बन से जुड़कर लंबी श्रृंखला बना सकता है
- यह श्रृंखला सीधी, शाखित या चक्रीय हो सकती है
- इससे लाखों यौगिक बनते हैं
पृथ्वी पर 90% से अधिक ज्ञात यौगिक कार्बनिक हैं, जो कार्बन पर आधारित हैं। यह इसकी सर्वतोमुखी प्रकृति का प्रमाण है।
निष्कर्ष:
कार्बन की 4 संयोजकता, शृंखला निर्माण की क्षमता और सहसंयोजक बंधों के कारण यह जीवन के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि इसे “जीवन का आधार” कहा जाता है।
संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बन यौगिक
कार्बन यौगिकों को उनके कार्बन-कार्बन बंधों के आधार पर दो प्रमुख वर्गों में बाँटा जाता है:
संतृप्त यौगिक (Saturated Compounds) और
असंतृप्त यौगिक (Unsaturated Compounds)।
संतृप्त यौगिक (Saturated Compounds)
वे यौगिक जिनमें केवल एकल बंध (single bonds) होते हैं, उन्हें संतृप्त यौगिक कहते हैं। ये रासायनिक रूप से अधिक स्थिर होते हैं।
उदाहरण:
- मीथेन (CH₄)
- एथेन (C₂H₆)
- प्रोपेन (C₃H₈)
- ब्यूटेन (C₄H₁₀)
असंतृप्त यौगिक (Unsaturated Compounds)
वे यौगिक जिनमें एक या अधिक दोहरे (double) या त्रैतीय (triple) बंध होते हैं, उन्हें असंतृप्त यौगिक कहा जाता है। ये अधिक क्रियाशील होते हैं।
उदाहरण:
- एथीन (C₂H₄) – डबल बंध
- प्रोपीन (C₃H₆)
- एथाइन (C₂H₂) – ट्रिपल बंध
- ब्यूटाइन (C₄H₆)
संतृप्त और असंतृप्त यौगिकों के बीच अंतर
विशेषता | संतृप्त यौगिक | असंतृप्त यौगिक |
---|---|---|
बंधन का प्रकार | केवल एकल बंध | डबल या ट्रिपल बंध |
रासायनिक क्रियाशीलता | कम | अधिक |
उदाहरण | मीथेन, एथेन | एथीन, एथाइन |
संरचना | सीधी या शाखित श्रृंखला | डबल/ट्रिपल बंध युक्त श्रृंखला |
हाइड्रोजन की मात्रा | अधिक | कम |
याद रखने योग्य बिंदु:
- संतृप्त यौगिकों में जोड़ (Addition) अभिक्रिया नहीं होती।
- असंतृप्त यौगिक ब्रोमीन जल के साथ रंगहीन हो जाते हैं।
- संतृप्त यौगिक मुख्यतः अल्केन (Alkane) होते हैं।
- असंतृप्त यौगिक मुख्यतः एल्कीन (Alkene) और अल्काइन (Alkyne) होते हैं।
श्रृंखलाएं, शाखाएँ एवं वलय वाले यौगिक
कार्बन यौगिकों की संरचना तीन मुख्य रूपों में पाई जाती है – सीधी श्रृंखला, शाखित श्रृंखला और वलय संरचना। नीचे दी गई तालिका में इनका वर्गीकरण और उदाहरण दिए गए हैं:
संरचना का प्रकार | संक्षिप्त विवरण | उदाहरण | संरचना का स्वरूप |
---|---|---|---|
1. सीधी श्रृंखला यौगिक (Straight Chain Compounds) |
कार्बन परमाणु एक सीधी रेखा में जुड़े होते हैं। | ब्यूटेन (C₄H₁₀) | CH₃−CH₂−CH₂−CH₃ |
2. शाखित श्रृंखला यौगिक (Branched Chain Compounds) |
मुख्य श्रृंखला से एक या अधिक कार्बन शाखाएँ जुड़ी होती हैं। | आइसोब्यूटेन (C₄H₁₀) | CH₃ | CH₃−CH−CH₃ |
3. वलय यौगिक (Cyclic Compounds) |
कार्बन परमाणु एक बंद वलय बनाते हैं। | साइक्लोहेक्सेन (C₆H₁₂), बेंजीन (C₆H₆) | ⏣ या CH₂−CH₂−CH₂−CH₂−CH₂−CH₂ (Cyclic) |
ध्यान दें:
- सीधी और शाखित श्रृंखलाएं मुख्य रूप से अल्केन, अल्कीन, अल्काइन में होती हैं।
- वलय यौगिक सुगंधित (aromatic) और चक्रिय (cyclic) दोनों हो सकते हैं।
- बेंजीन एक विशिष्ट सुगंधित वलय यौगिक है।
क्रियात्मक समूह (Functional Groups)
क्रियात्मक समूह वे विशिष्ट परमाणु या परमाणुओं का समूह होता है जो कार्बनिक यौगिक के रासायनिक गुणों को निर्धारित करता है। इससे यौगिकों का वर्गीकरण और नामकरण संभव होता है।
प्रमुख क्रियात्मक समूहों की तालिका
क्रियात्मक समूह | संरचना सूत्र (Formula) | नामकरण में प्रत्यय / उपसर्ग | उदाहरण |
---|---|---|---|
Hydroxyl | −OH | Alcohol → -ol | Ethanol (CH₃CH₂OH) |
Aldehyde | −CHO | Aldehyde → -al | Ethanal (CH₃CHO) |
Ketone | −CO− | Ketone → -one | Propanone (CH₃COCH₃) |
Carboxylic acid | −COOH | Acid → -oic acid | Ethanoic acid (CH₃COOH) |
Halogen | −X (F, Cl, Br, I) | Prefix → fluoro-/chloro-/bromo-/iodo- | Chloroethane (CH₃CH₂Cl) |
Amino | −NH₂ | Amines → -amine | Ethylamine (CH₃CH₂NH₂) |
Ester | −COO− | Esters → -oate | Ethyl ethanoate (CH₃COOC₂H₅) |
Nitro | −NO₂ | Prefix → nitro- | Nitrobenzene (C₆H₅NO₂) |
याद रखने योग्य बिंदु:
- क्रियात्मक समूह यौगिक के रासायनिक व्यवहार को नियंत्रित करता है।
- नामकरण करते समय प्रत्यय या उपसर्ग का चयन उसी पर आधारित होता है।
- COOH, CHO, OH, NH₂ आदि NCERT Class 10 बोर्ड परीक्षा में प्रमुख हैं।
कुछ सामान्य नामों के साथ उदाहरण:
- CH₃CH₂OH → Ethanol (Alcohol group)
- CH₃CHO → Ethanal (Aldehyde group)
- CH₃COOH → Ethanoic acid (Carboxylic acid group)
- CH₃CH₂Cl → Chloroethane (Halo group)
- CH₃CH₂NH₂ → Ethylamine (Amino group)
सजातीय श्रेणी (Homologous Series) – कार्बन यौगिकों में
कार्बन यौगिकों में एक जैसे रासायनिक गुणों और सामान्य सूत्र वाले यौगिकों की श्रृंखला को सजातीय श्रेणी कहा जाता है। प्रत्येक सदस्य का अणु पिछले सदस्य से −CH₂− इकाई में भिन्न होता है।
एक जैसी रासायनिक संरचना वाले यौगिकों का समूह जिसमें प्रत्येक सदस्य पिछले से −CH₂− इकाई से भिन्न होता है, उसे सजातीय श्रेणी कहते हैं।
सजातीय श्रेणी की विशेषताएँ
- सभी यौगिकों का सामान्य रासायनिक सूत्र होता है।
- सभी का रासायनिक व्यवहार समान होता है।
- हर दो लगातार सदस्यों के बीच −CH₂− इकाई और 14 amu का अंतर होता है।
- भौतिक गुण जैसे क्वथनांक, गलनांक क्रमशः बदलते हैं।
अल्केन की सजातीय श्रेणी का उदाहरण:
सदस्य | संरचना सूत्र | सामान्य सूत्र | अणु भार |
---|---|---|---|
मीथेन | CH₄ | CnH2n+2 | 16 |
एथेन | C₂H₆ | 30 | |
प्रोपेन | C₃H₈ | 44 | |
ब्यूटेन | C₄H₁₀ | 58 | |
पेंटेन | C₅H₁₂ | 72 |
ध्यान दें:
- सजातीय श्रेणी की सभी यौगिकों में क्रियात्मक समूह एक समान होता है।
- नामकरण में प्रत्यय जैसे −ane, −ene, −yne आदि उपयोग किए जाते हैं।
- Alkane → CnH2n+2, Alkene → CnH2n, Alkyne → CnH2n−2
निष्कर्ष:
सजातीय श्रेणी हमें कार्बनिक यौगिकों को व्यवस्थित करने और समझने में मदद करती है। इससे रासायनिक गुणों की भविष्यवाणी आसान होती है और नामकरण भी सरल होता है।
कार्बन यौगिकों की नाम पद्धति (IUPAC Nomenclature of Carbon Compounds)
कार्बन यौगिकों की संख्या लाखों में है, इसलिए इनका वैज्ञानिक और स्पष्ट नामकरण आवश्यक है। नामकरण के लिए IUPAC (International Union of Pure and Applied Chemistry) द्वारा नियम बनाए गए हैं, जिन्हें हम IUPAC नाम पद्धति कहते हैं।
कार्बनिक यौगिकों को एक वैज्ञानिक ढंग से नाम देने की प्रक्रिया को नामपद्धति (nomenclature) कहते हैं।
नामकरण के मुख्य घटक
- 1. मूल श्रृंखला (Parent Chain): सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला का चयन करें।
- 2. क्रियात्मक समूह: जैसे −OH, −CHO, −COOH, −NH₂ आदि
- 3. उपसर्ग (Prefix): जैसे −Cl (Chloro), −CH₃ (Methyl)
- 4. प्रत्यय (Suffix): जैसे −ane, −ol, −al, −oic acid
- 5. स्थिति संख्या (Position Number): जहाँ क्रियात्मक समूह जुड़ा है उसे कम से कम संख्या दें।
उदाहरण:
- CH₃CH₂CH₂CH₃ → Butane (चार कार्बन, केवल एकल बंध)
- CH₃CH₂CH₂OH → Butan-1-ol (−OH ग्रुप पहले कार्बन पर)
- CH₃CH₂COOH → Propanoic acid (−COOH समूह, तीन कार्बन)
- CH₃CHClCH₃ → 2-Chloropropane (क्लोरीन दूसरे कार्बन पर)
सामान्य नामकरण तालिका
कार्बन परमाणु की संख्या | Parent Name | उदाहरण | IUPAC नाम |
---|---|---|---|
1 | Meth | CH₄ | Methane |
2 | Eth | C₂H₆ | Ethane |
3 | Prop | C₃H₈ | Propane |
4 | But | C₄H₁₀ | Butane |
5 | Pent | C₅H₁₂ | Pentane |
नामकरण के नियम:
- सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला चुनें जिसमें क्रियात्मक समूह हो।
- मुख्य श्रृंखला को इस तरह नंबर दें कि क्रियात्मक समूह को न्यूनतम संख्या मिले।
- उपसर्ग और प्रत्यय को उचित स्थान पर जोड़ें।
- यदि एक से अधिक उपसर्ग हों, तो उन्हें वर्णमाला क्रम में रखें।
निष्कर्ष:
IUPAC नामकरण से यौगिकों की पहचान सरल, वैज्ञानिक और वैश्विक रूप से मान्य होती है। छात्रों के लिए यह समझना आवश्यक है क्योंकि इससे यौगिकों की संरचना भी ज्ञात की जा सकती है।
कार्बनिक यौगिकों का दहन (Combustion of Organic Compounds)
जब कोई कार्बनिक यौगिक ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलता है और ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है, तो उस प्रक्रिया को दहन (Combustion) कहा जाता है।
कार्बनिक यौगिकों का ऑक्सीजन के साथ उच्च ताप पर अभिक्रिया करके CO₂, H₂O, ऊष्मा और कभी-कभी लपट उत्पन्न करना दहन कहलाता है।
सामान्य दहन अभिक्रिया:
CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा
यह एक पूर्ण दहन है, जहाँ मीथेन पूरी तरह से जलकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है।
दहन के प्रकार:
प्रकार | विवरण | उदाहरण |
---|---|---|
1. पूर्ण दहन (Complete Combustion) |
प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन में, CO₂ और H₂O का निर्माण | CH₄ + O₂ → CO₂ + H₂O |
2. अपूर्ण दहन (Incomplete Combustion) |
ऑक्सीजन की कमी में CO या कार्बन (कालिख) बनती है | CH₄ + O₂ → CO + H₂O / C + H₂O |
महत्वपूर्ण बातें:
- कार्बनिक यौगिकों में मुख्य रूप से कार्बन और हाइड्रोजन होते हैं।
- दहन से प्राप्त ऊष्मा को ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
- अपूर्ण दहन में कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है, जो विषैली होती है।
- अपूर्ण दहन से कालिख (soot) भी निकलती है।
दैनिक जीवन में उदाहरण:
- गैस चूल्हे में एलपीजी का पूर्ण दहन → नीली लपट
- मोमबत्ती का जलना → अपूर्ण दहन (पीली लपट)
- वाहनों में पेट्रोल का अपूर्ण दहन → प्रदूषण
निष्कर्ष:
कार्बनिक यौगिकों का दहन ऊष्मा का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन अपूर्ण दहन वायुप्रदूषण का कारण बन सकता है। इसलिए स्वच्छ और पूर्ण दहन को प्रोत्साहित किया जाता है।
संतृप्त एवं असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों का दहन
सभी कार्बनिक यौगिक, जिनमें मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन होते हैं, ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलते हैं। इस प्रक्रिया को दहन कहा जाता है। संतृप्त और असंतृप्त यौगिकों का दहन अलग तरीके से होता है।
संतृप्त यौगिकों का दहन (Saturated Compounds)
संतृप्त यौगिक जैसे अल्केन (Alkane) में केवल एकल बंध होते हैं और ये पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में नीली, स्वच्छ लपट के साथ जलते हैं।
CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा
(मीथेन का पूर्ण दहन)
असंतृप्त यौगिकों का दहन (Unsaturated Compounds)
असंतृप्त यौगिक जैसे अल्कीन (Alkene) और अल्काइन (Alkyne) में डबल या ट्रिपल बंध होते हैं। इनका हाइड्रोजन से अनुपात कम होने के कारण, दहन अपूर्ण होता है और पीली, धुएँदार लपट बनती है।
C₂H₂ + 1.5O₂ → 2C + H₂O
(एथाइन का अपूर्ण दहन, जिसमें कालिख बनती है)
संतृप्त एवं असंतृप्त यौगिकों के दहन में अंतर
विशेषता | संतृप्त यौगिक | असंतृप्त यौगिक |
---|---|---|
बंध | केवल एकल बंध | डबल/ट्रिपल बंध |
दहन का प्रकार | पूर्ण दहन | अपूर्ण दहन |
लपट | नीली और स्वच्छ | पीली और धुएँदार |
ऊष्मा उत्पादन | अधिक | कम |
उत्पाद | CO₂ + H₂O | CO / C + H₂O |
निष्कर्ष:
- संतृप्त यौगिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में बेहतर होते हैं।
- असंतृप्त यौगिकों का उपयोग अक्सर वेल्डिंग गैस (जैसे एसीटिलीन) के रूप में किया जाता है।
- अपूर्ण दहन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है।
कार्बनिक यौगिकों में ऑक्सीकरण, संकलन एवं प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ
कार्बनिक यौगिक विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं। इनमें से मुख्य अभिक्रियाएँ हैं: ऑक्सीकरण (Oxidation), संकलन (Addition) और प्रतिस्थापन (Substitution)।
ऑक्सीकरण अभिक्रिया (Oxidation Reaction)
जब किसी कार्बनिक यौगिक में ऑक्सीजन जोड़ी जाती है या हाइड्रोजन हटाई जाती है, तो उसे ऑक्सीकरण कहा जाता है।
CH₃CH₂OH (इथेनॉल) → CH₃COOH (इथेनॉइक अम्ल)
(ऑक्सीकरण एजेंट: अल्कलाइन KMnO₄ या ऐसिडिक K₂Cr₂O₇)
- यह अभिक्रिया श्वसन में भी होती है।
- कई बार एंजाइम के माध्यम से भी ऑक्सीकरण होता है।
संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction)
जब एक असंतृप्त यौगिक (डबल या ट्रिपल बंध वाला) किसी अणु को जोड़कर संतृप्त यौगिक में परिवर्तित हो जाता है, तो यह संकलन अभिक्रिया कहलाती है।
CH₂=CH₂ + H₂ → CH₃−CH₃ (निकल या Pd उत्प्रेरक की उपस्थिति में)
- यह अभिक्रिया केवल असंतृप्त यौगिकों (alkenes और alkynes) के साथ होती है।
- Hydrogenation इसका सामान्य रूप है।
- वनस्पति तेल को वनस्पति घी में बदलना इसका उदाहरण है।
प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction)
जब संतृप्त यौगिक का कोई हाइड्रोजन परमाणु किसी अन्य परमाणु से बदल दिया जाता है, तो इसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
CH₄ + Cl₂ → CH₃Cl + HCl (प्रकाश की उपस्थिति में)
- यह अभिक्रिया संतृप्त यौगिकों (alkanes) में होती है।
- अक्सर हैलोजन के साथ होती है → Chlorination, Bromination आदि।
- प्रकाश या ऊष्मा की उपस्थिति आवश्यक होती है।
तुलना तालिका
अभिक्रिया | शामिल यौगिक | मुख्य शर्तें | उत्पाद |
---|---|---|---|
ऑक्सीकरण | Alcohols, Aldehydes | KMnO₄, K₂Cr₂O₇ | Acids, Ketones |
संकलन | Alkenes, Alkynes | Hydrogen + Catalyst | Alkanes |
प्रतिस्थापन | Alkanes | Halogen + UV Light | Haloalkanes |
निष्कर्ष:
- ऑक्सीकरण रासायनिक ऊर्जा और कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण है।
- संकलन अभिक्रियाएं हाइड्रोजनीकरण व इंडस्ट्री में प्रयुक्त होती हैं।
- प्रतिस्थापन अभिक्रिया रासायनिक संश्लेषण में अत्यंत उपयोगी है।
महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक: इथेनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल
इथेनॉल (C₂H₅OH) और एथेनॉइक अम्ल (CH₃COOH) दो अत्यंत महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक हैं जो दैनिक जीवन में अनेक कार्यों में प्रयुक्त होते हैं। नीचे इनका निर्माण, कार्य और रासायनिक गुण विस्तार से दिया गया है।
इथेनॉल (Ethanol)
सामान्य नाम: अल्कोहल (Alcohol)
निर्माण:
- ग्लूकोज के किण्वन (fermentation) द्वारा
- C₆H₁₂O₆ → 2C₂H₅OH + 2CO₂
- यह प्रक्रिया यीस्ट (yeast) की सहायता से होती है।
उपयोग:
- औषधियों और टिंक्चर में
- इंजन में ईंधन (power alcohol) के रूप में
- साबुन, डिटर्जेंट और परफ्यूम बनाने में
- एंटीसेप्टिक के रूप में
रासायनिक गुण:
- जल में घुलनशील, हल्की गंध और ज्वलनशील
- सोडियम के साथ अभिक्रिया: H₂ गैस उत्पन्न करता हैC₂H₅OH + Na → C₂H₅ONa + H₂↑
- ऑक्सीकरण: एथेनॉइक अम्ल बनाता हैC₂H₅OH + O₂ → CH₃COOH + H₂O
एथेनॉइक अम्ल (Ethanoic Acid)
सामान्य नाम: एसिटिक अम्ल (Acetic Acid)
निर्माण:
- इथेनॉल का ऑक्सीकरण करके
- C₂H₅OH + [O] → CH₃COOH + H₂O
- अभिक्रियाशील ऑक्सीजन: Alkaline KMnO₄ या K₂Cr₂O₇
उपयोग:
- सिरके (vinegar) में स्वाद के लिए
- प्लास्टिक, रेशे, रंजक व रंगों के निर्माण में
- खाद्य संरक्षक (food preservative) के रूप में
- औद्योगिक रसायनों का संश्लेषण
रासायनिक गुण:
- तेज़ गंध एवं खट्टा स्वाद।
- नीला लिटमस → लाल करता है (अम्लीय प्रकृति)
- धातुओं के साथ → हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है2CH₃COOH + Zn → (CH₃COO)₂Zn + H₂↑
- कार्बोनेट/बाइकार्बोनेट के साथ → CO₂ गैस बनती हैCH₃COOH + NaHCO₃ → CH₃COONa + H₂O + CO₂↑
तुलना तालिका: इथेनॉल बनाम एथेनॉइक अम्ल
गुण | इथेनॉल | एथेनॉइक अम्ल |
---|---|---|
रासायनिक सूत्र | C₂H₅OH | CH₃COOH |
गंध | मृदु/हल्की | तेज़/तीखी |
pH प्रकृति | तटस्थ | अम्लीय |
उपयोग | दवा, इंधन | सिरका, प्लास्टिक |
ऑक्सीकरण पर | → CH₃COOH | → नहीं होता |
निष्कर्ष:
- इथेनॉल और एथेनॉइक अम्ल दोनों दैनिक जीवन और उद्योग में अत्यंत उपयोगी यौगिक हैं।
- इनकी रासायनिक अभिक्रियाएँ कार्बनिक रसायन के मूलभूत उदाहरणों में गिनी जाती हैं।
साबुन एवं अपमार्जक (Soap and Detergents)
साबुन और अपमार्जक दोनों ही सर्फैक्टेंट (surface-active agents) हैं, जो धूल, चिकनाई और मैल को हटाने में मदद करते हैं। दोनों की रासायनिक संरचना और कार्य करने का तरीका अलग होता है।
साबुन का निर्माण (Preparation of Soap)
जब वसा/तेल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) से गर्म किया जाता है, तो यह प्रक्रिया सैपोनिफिकेशन (Saponification) कहलाती है।Triglyceride + NaOH → Soap + Glycerol
कार्य करने की विधि:
- साबुन के अणु में एक छोर जलप्रेमी (hydrophilic) और दूसरा तैलप्रेमी (hydrophobic) होता है।
- यह तैलीय गंदगी को घेरकर मिकेल (micelle) बनाते हैं, जिसे पानी से धोया जा सकता है।
सीमाएँ:
- साबुन कठोर जल (hard water) में कम असरदार होते हैं क्योंकि ये Ca²⁺ और Mg²⁺ से मिलकर स्कम (scum) बनाते हैं।
अपमार्जक का निर्माण (Preparation of Detergents)
अपमार्जक पेट्रोलियम उत्पादों से बनाए जाते हैं, और इनका मुख्य घटक होता है सोडियम ऐल्काइल सल्फेट या सोडियम ऐरिल सल्फोनेट।
कार्य करने की विधि:
- इनमें भी जलप्रेमी और तैलप्रेमी सिरे होते हैं, जो मिकेल बनाते हैं और मैल को हटाते हैं।
- अपमार्जक कठोर जल में भी प्रभावी होते हैं।
विशेषता:
- अपमार्जक झाग अधिक बनाते हैं और घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग दोनों में प्रयुक्त होते हैं।
- इन्हें सिंथेटिक सर्फैक्टेंट भी कहा जाता है।
तुलना तालिका: साबुन बनाम अपमार्जक
विशेषता | साबुन | अपमार्जक |
---|---|---|
स्रोत | प्राकृतिक वसा/तेल | पेट्रोलियम उत्पाद |
कठोर जल में कार्य | असरदार नहीं | असरदार |
झाग की मात्रा | कम | अधिक |
प्रकृति | बायोडिग्रेडेबल | कुछ नॉन-बायोडिग्रेडेबल |
उदाहरण | नहाने वाला साबुन | सर्फ, टाइड, एक्सेल |
निष्कर्ष:
- साबुन पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित हैं लेकिन कठोर जल में कम असरदार।
- अपमार्जक अधिक प्रभावी हैं, विशेष रूप से कठोर जल में, परंतु कुछ पर्यावरणीय नुकसान करते हैं।
कुछ पाठ्यनिहित प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न:1 CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी?
उत्तर: कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) में एक कार्बन परमाणु और दो ऑक्सीजन परमाणु होते हैं। इसमें कार्बन दोनों ऑक्सीजन से डबल बॉन्ड द्वारा जुड़ा होता है।
इलेक्ट्रॉन डॉट संरचना:
:Ö::C::Ö:
(यहाँ “:” डबल बॉन्ड दर्शाता है, और Ö ऑक्सीजन को उसके lone pair के साथ दिखाता है।)
- कार्बन 4 इलेक्ट्रॉन साझा करता है (2 प्रत्येक ऑक्सीजन से)।
- ऑक्सीजन 6 वैलेन्स इलेक्ट्रॉन में से 2 बाँधता है, 4 अकेले रहते हैं।
- CO₂ रेखीय (Linear) संरचना बनाता है।
प्रश्न:2 S₈ (सल्फर के आठ परमाणुओं वाला अणु) की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी?
उत्तर: S₈ अणु में आठ सल्फर परमाणु एक अष्टभुजीय रिंग (Octagonal Ring) में एक-दूसरे से एकल बंध (Single Bonds) द्वारा जुड़े होते हैं।
सरल संकेत संरचना:
S - S - S - S | | S S \ / S ----- S
(यह 8-सदस्यीय रिंग एक क्राउन जैसी आकृति बनाती है।)
- प्रत्येक सल्फर परमाणु के बाहरी कक्षा में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
- प्रत्येक सल्फर 2 इलेक्ट्रॉन साझा करता है और 4 अकेले रहते हैं।
- इस संरचना में ऑक्टेट नियम का पालन होता है।
🔍 नोट:
- इलेक्ट्रॉन डॉट संरचना सहसंयोजक यौगिकों की आंतरिक बनावट को दर्शाने में सहायक होती है।
- यह प्रश्न NCERT कक्षा 10 के अध्याय “कार्बन और उसके यौगिक” से संबंधित है।
प्रश्न:3 पेन्टेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर: पेन्टेन (C₅H₁₂) के कुल तीन संरचनात्मक समावयवी (isomers) हो सकते हैं:
- n-पेन्टेन – सभी कार्बन सीधे श्रृंखला में जुड़े होते हैं।
- आइसो-पेन्टेन – मुख्य श्रृंखला में 4 कार्बन और एक साइड शाखा।
- नियो-पेन्टेन – एक मुख्य कार्बन से चार शाखाएँ।
प्रश्न: 4 कार्बन के दो गुणधर्म कौन से हैं, जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
उत्तर:
- श्रृंखलन (Catenation): कार्बन परमाणु स्वयं से लंबी श्रृंखलाएं बना सकते हैं।
- चार संयोज्यता (Tetravalency): कार्बन चार अन्य परमाणुओं से सहसंयोजक बंध बना सकता है।
प्रश्न:5 साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होंगे?
उत्तर: साइक्लोपेन्टेन का अणुसूत्र है C₅H₁₀। इसमें पाँच कार्बन एक बंद रिंग में जुड़े होते हैं।
इलेक्ट्रॉन डॉट संरचना (सामान्य रूप):
C C / \ C C \ / C
(प्रत्येक कार्बन 2 हाइड्रोजन से और 2 कार्बन से जुड़ा होता है)
प्रश्न: 6 निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ चित्रित कीजिए:
- (i) एथेनॉइक अम्ल (CH₃COOH)
H O \ || C – C – OH / H
- (ii) ब्रोमोपेन्टेन (C₅H₁₁Br)
CH₃–CH₂–CH₂–CH₂–CH₂–Br
संरचनात्मक समावयवी संभव हैं: जैसे Br विभिन्न स्थानों पर जुड़ सकता है।
- (iii) ब्यूटेनोन (C₄H₈O)
CH₃–CO–CH₂–CH₃
- (iv) हेक्सेनाल (C₆H₁₂O)
CH₃–CH₂–CH₂–CH₂–CH₂–CHO
प्रश्न: 7 निम्नलिखित यौगिकों का नामकरण कैसे करेंगे?
- CH₃–CHBr–CH₃ → 2-ब्रोमोप्रोपेन
- H–CHO → फॉर्मल्डिहाइड (Methanal)
- CH₃–CH₂–CH₂–CH₂–CH=CH₂ → 1-हेक्सीन
प्रश्न:8 एथनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
उत्तर: एथनॉल (C₂H₅OH) को जब ऑक्सीकारक (जैसे कि Alkaline KMnO₄ या K₂Cr₂O₇) की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो यह एथेनॉइक अम्ल (CH₃COOH) में बदल जाता है।
C₂H₅OH + [O] → CH₃COOH + H₂O
- इस अभिक्रिया में ऑक्सीजन के अणु जुड़ते हैं।
- इसलिए इसे एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहा जाता है।
- यह प्रतिक्रिया कार्बनिक यौगिकों की ऑक्सीकरण विशेषता को दर्शाती है।
प्रश्न:9 ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
उत्तर: वेल्डिंग के लिए अत्यधिक तापमान की आवश्यकता होती है जो केवल एथाइन और शुद्ध ऑक्सीजन के मिश्रण के दहन से प्राप्त होता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- एथाइन + ऑक्सीजन → तेज़ी से दहन → उच्च तापमान (~3000°C)
- एथाइन + वायु → अधूरा दहन → कम ताप (~1400°C) + कालिख (soot)
इसलिए वायुमंडलीय वायु में उपस्थित कम ऑक्सीजन के कारण पूर्ण दहन नहीं होता और वेल्डिंग जैसे कार्यों के लिए आवश्यक उच्च तापमान प्राप्त नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष:
- एथनॉल से एथेनॉइक अम्ल का रूपांतरण एक क्लासिक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।
- वेल्डिंग के लिए पूर्ण दहन (एथाइन + ऑक्सीजन) आवश्यक है, अधूरा दहन उपयोगी नहीं।
प्रश्न:9 प्रयोग द्वारा आप एल्कोहल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल में कैसे अंतर कर सकते हैं?
उत्तर: एल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल में अंतर करने के लिए निम्न प्रयोग किए जा सकते हैं:
परीक्षण:
- सोडियम धातु परीक्षण:
- एल्कोहल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल दोनों सोडियम धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस छोड़ते हैं।
- लेकिन अम्ल में यह प्रतिक्रिया अधिक तीव्र होती है।
- सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण (NaHCO₃):
- कार्बोक्सिलिक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ क्रिया करके CO₂ गैस उत्पन्न करता है, जिससे बुलबुले बनते हैं।
- एल्कोहल इस क्रिया में प्रतिक्रिया नहीं करता।
निष्कर्ष: NaHCO₃ परीक्षण से एल्कोहल और कार्बोक्सिलिक अम्ल में स्पष्ट अंतर किया जा सकता है।
प्रश्न:10 ऑक्सीकारक क्या है?
उत्तर: ऑक्सीकारक (Oxidising Agent) वे पदार्थ होते हैं जो किसी अन्य यौगिक को ऑक्सीजन प्रदान करके या हाइड्रोजन छीनकर उसे ऑक्सीकृत कर देते हैं।
📌 उदाहरण:
- Alkaline Potassium Permanganate (KMnO₄)
- Acidified Potassium Dichromate (K₂Cr₂O₇)
कार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीकृत करने में ये ऑक्सीकारक प्रयोग किए जाते हैं, जैसे कि एथनॉल को एथेनॉइक अम्ल</strong में परिवर्तित करना।
ध्यान दें:
- एल्कोहल और अम्ल का अंतर प्रयोगात्मक स्तर पर भी किया जा सकता है।
- ऑक्सीकारक कार्बनिक रासायनिकी का एक महत्वपूर्ण घटक हैं।
प्रश्न:11 क्या आप डिटरजेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
उत्तर: हाँ, डिटरजेंट का प्रयोग कर यह पता लगाया जा सकता है कि जल कठोर है या नहीं।
प्रयोग:
- एक कंटेनर में नमूना जल लें।
- थोड़ा सा डिटरजेंट मिलाएं और हिलाएं।
- यदि झाग बनता है → जल मृदु (soft) है।
- यदि झाग बहुत कम बनता है या नहीं बनता → जल कठोर (hard) है।
नोट: डिटरजेंट कठोर जल में भी झाग बना सकते हैं, जबकि साबुन नहीं। इससे तुलना की जा सकती है।
प्रश्न:12 कपड़ा साफ़ करने के लिए उसे रगड़ने की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर: जब हम कपड़ों पर साबुन या डिटरजेंट लगाते हैं, तो वह चिकनाई और धूल जैसे कणों को ढीला करता है। लेकिन केवल रासायनिक प्रक्रिया पर्याप्त नहीं होती।
रगड़ने के मुख्य कारण:
- यह मेकेनिकल क्रिया (Mechanical Action) है जो गंदगी को ढीला करके हटाती है।
- साबुन के माइसेल (micelle) गंदगी को घेरते हैं, और रगड़ने से वह अलग होकर जल में बंध जाते हैं।
- ब्रुश, मशीन या हाथ से रगड़ने पर यह प्रक्रिया तेज़ होती है।
निष्कर्ष: रगड़ने से गंदगी को तंतुओं से अलग करना आसान होता है, जिससे सफाई प्रभावी बनती है।
ध्यान दें:
- साफ-सफाई में रसायन और भौतिक क्रियाओं का संयुक्त योगदान होता है।
- डिटरजेंट की मदद से जल की गुणवत्ता का भी परीक्षण किया जा सकता है।
MCQ: कार्बन और उसके यौगिक
क्रम | प्रश्न | विकल्प |
---|---|---|
1 | कार्बन परमाणु में कितने संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं? | (A) 2 (B) 4 ✅ (C) 6 (D) 8 |
2 | कार्बन की सबसे प्रमुख विशेषता क्या है? | (A) धात्विकता (B) श्रृंखलन ✅ (C) संक्षारण (D) कठोरता |
3 | एथेन का आणविक सूत्र क्या है? | (A) C₂H₄ ✅ (B) C₂H₆ (C) C₃H₈ (D) CH₄ |
4 | कौन-सा यौगिक एल्कोहल है? | (A) CH₃COOH (B) C₂H₅OH ✅ (C) C₂H₂ (D) CH₄ |
5 | कौन सा यौगिक सिरका कहलाता है? | (A) एथनॉल (B) एथेन (C) एथेनॉइक अम्ल ✅ (D) ब्यूटेन |
6 | कार्बन की संयोजकता कितनी होती है? | (A) 2 (B) 3 (C) 4 ✅ (D) 1 |
7 | शृंखलन किस तत्व की विशेषता है? | (A) नाइट्रोजन (B) हाइड्रोजन (C) ऑक्सीजन (D) कार्बन ✅ |
8 | कौन सा यौगिक पूर्ण दहन पर नीली ज्वाला देता है? | (A) एथीन (B) एथाइन ✅ (C) मिथेन (D) ब्यूटेन |
9 | डिटर्जेंट किस जल में कार्य करता है? | (A) केवल मृदु जल (B) केवल कठोर जल (C) दोनों ✅ (D) किसी में नहीं |
10 | एस्टर की गंध कैसी होती है? | (A) तेजाबिक (B) फूलों जैसी ✅ (C) गंधहीन (D) सल्फर जैसी |
11 | साबुन को धोने के लिए रगड़ने की आवश्यकता क्यों होती है? | (A) घर्षण से कपड़ा टूटेगा (B) सफाई बेहतर हो ✅ (C) रंग निकले (D) कोई नहीं |
12 | एथनॉल का उपयोग नहीं होता है: | (A) टॉनिक में (B) ईंधन में (C) शराब में (D) प्लास्टिक में ✅ |
13 | कार्बन के कितने अपरूप होते हैं? | (A) 2 (B) 3 ✅ (C) 4 (D) 5 |
14 | एथीन की संरचना में कितने डबल बॉन्ड होते हैं? | (A) 1 ✅ (B) 2 (C) 3 (D) 0 |
15 | माइसेल किससे बनते हैं? | (A) अम्ल से (B) जल से (C) साबुन अणुओं से ✅ (D) डिटर्जेंट से |
16 | NaHCO₃ से कौन सा यौगिक CO₂ गैस छोड़ता है? | (A) एथनॉल (B) एथेनॉइक अम्ल ✅ (C) साबुन (D) डिटर्जेंट |
17 | फॉर्मूला C₃H₈ किसका है? | (A) प्रोपीन (B) प्रोपेन ✅ (C) प्रोपाइन (D) ब्यूटेन |
18 | साबुन किससे नहीं बनता? | (A) वसा (B) तेल (C) बेस (D) अम्ल ✅ |
19 | शृंखलन का अर्थ है: | (A) लंबी श्रृंखला बनाना ✅ (B) जल बनाना (C) H₂ देना (D) टूटना |
20 | कार्बन के यौगिकों को ऑक्सीकृत करने के लिए कौन प्रयोग होता है? | (A) HCl (B) NaOH (C) KMnO₄ ✅ (D) NH₃ |
1-B, 2-B, 3-A, 4-B, 5-C, 6-C, 7-D, 8-B, 9-C, 10-B,
11-B, 12-D, 13-B, 14-A, 15-C, 16-B, 17-B, 18-D, 19-A, 20-C
📘 अभ्यास प्रश्न–उत्तर – कार्बन और उसके यौगिक
- एथेन का आणविक सूत्र C2H6 है। इसमें कितने सहसंयोजक आबंध होते हैं?
उत्तर: इसमें कुल 8 सहसंयोजक आबंध होते हैं। कार्बन परमाणु 4-4 आबंध बनाते हैं। - एथेनॉल एक चार-कार्बन यौगिक है, इसका प्रकार्यात्मक समूह क्या है?
उत्तर: इसका प्रकार्यात्मक समूह –OH (हाइड्रॉक्सिल) होता है, जो कि ऐल्कोहल वर्ग में आता है। - खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही हो तो इसका क्या कारण है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है। अधूरा दहन हो रहा है। - CH3Cl में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।
उत्तर: इसमें कार्बन चार सहसंयोजक आबंध बनाता है—तीन हाइड्रोजन से और एक क्लोरीन से। यह एक सहसंयोजक यौगिक है। - इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए – एथेनॉइक अम्ल, H2S, प्रोपेनोन, F2
उत्तर:- एथेनॉइक अम्ल – CH3COOH
- H2S – दो एकल जोड़ी वाले इलेक्ट्रॉन और दो सहसंयोजक आबंध
- प्रोपेनोन – CH3COCH3
- F2 – एकल सहसंयोजक आबंध
- सजातीय श्रेणी क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर: सजातीय श्रेणी उन यौगिकों का समूह होता है जिनके रासायनिक गुण समान होते हैं और प्रत्येक सदस्य में –CH2– इकाई से भिन्नता होती है। उदाहरण: CH3OH, C2H5OH, C3H7OH - भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर एथेनॉल और एथेनॉइक अम्ल में क्या अंतर है?
उत्तर: एथेनॉल रंगहीन, सुगंधित तरल है जबकि एथेनॉइक अम्ल तीव्र गंध वाला अम्लीय तरल है। एथेनॉइक अम्ल NaHCO₃ से CO₂ गैस छोड़ता है, एथेनॉल नहीं। - साबुन के जल में डालने पर मिश्रण क्यों बनता है? क्या एथेनॉल में भी ऐसा होता है?
उत्तर: जल में साबुन के अणु माइसेल बनाते हैं जो तेल व गंदगी को घेर लेते हैं। एथेनॉल जैसे अपोलर विलायक में यह प्रक्रिया नहीं होती। - कार्बन यौगिकों का ईंधन के रूप में प्रयोग क्यों होता है?
उत्तर: ये यौगिक दहन में उच्च उष्मा देते हैं, सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं। - डिटर्जेंट का उपयोग कठोर जल में क्यों किया जाता है?
उत्तर: डिटर्जेंट कठोर जल में भी झाग बनाते हैं क्योंकि वे कैल्शियम/मैग्नीशियम लवण के साथ अवक्षेप नहीं बनाते। - ताम्बे की पट्टी पर साबुन का क्या प्रभाव होगा?
उत्तर: ताम्बे की पट्टी पर यदि ग्रीस लगी हो तो साबुन माइसेल बनाकर उसे हटा देगा और पट्टी साफ हो जाएगी। - हाइड्रोकार्बन क्या होते हैं? इनके अनुप्रयोग बताइए।
उत्तर: जिन यौगिकों में केवल हाइड्रोजन और कार्बन होते हैं, उन्हें हाइड्रोकार्बन कहते हैं। उपयोग – ईंधन, सॉल्वेंट, पेट्रोकेमिकल। - C4H10, C3H8, CH4 और C2H6 में वलयात्मक अभिक्रिया किसमें होगी?
उत्तर: ये सभी संतृप्त यौगिक हैं, इनसे वलयात्मक अभिक्रिया नहीं होती। असंतृप्त यौगिक ही वलय बनाते हैं। - साबुन और डिटर्जेंट में क्या अंतर है? तालिका बनाइए।
उत्तर:विशेषता साबुन डिटर्जेंट बनावट वसा + NaOH/KOH पेट्रोलियम डेरिवेटिव कठोर जल में कार्य नहीं करता करता है झाग निर्माण मृदु जल में हर प्रकार के जल में - साबुन की सफाई की प्रक्रिया कैसे होती है?
उत्तर: साबुन अणु में जल-प्रिय और तेल-प्रिय भाग होते हैं। ये गंदगी को चारों ओर से घेरकर माइसेल बनाते हैं और जल के साथ मिलकर उसे हटा देते हैं।
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